पांच नदियों के पवित्र जल से होगा भूमि पूजन, बीएचयू के तीन विद्वानों को पूजन कराने की मिली जिम्मेदारी

अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर की आधारशिला पांच अगस्त को उनके जन्म के मुहूर्तकाल में रखी जाएगी। सुबह गौरी-गणेश की पूजा के साथ ही पांच पावन नदियों के जल से अनुष्ठानहोगा। नवग्रह, सभी देवी-देवताओं की पूजा की जाएगी।सारे अनुष्ठानकाशी विद्वत परिषद को सौंपी गई है।परिषद ने वेदांत, धर्मशास्त्र और ज्योतिष के तीन विद्वानों के नामों पर मुहर लगाई है, जो भूमि और शिला पूजन शास्त्रीय विधि से संपन्न कराएंगे।

इन्हें मिली पूजन कराने की जिम्मेदारी

विद्वत परिषद के संयोजकऔर बीएचयू के प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया किबीएचयू संस्कृत विद्या धर्म संकाय के ज्योतिषविभाग के प्रोफेसर विनय पांडेय, प्रोफेसर रामचंद्र पांडेय और खुद मैं अयोध्या में भूमि पूजन के समय रहूंगा। उन्होंने बताया कि भूमि व शिला पूजन के लिए चार बिंदु अहम हैं। उसी के आधार पर पूजन होगा।

ये हैं पूजन के प्रमुख चार चरण-

  • सुबह 8.30 बजे गणपति कापूजन।
  • भगवान भास्कर समेत नवग्रहों कापूजन।
  • 5 नदियों केजल से पूजन होगा। प्रयागराज कीत्रिवेणी, अयोध्या से सरयू और नर्मदा के जल लाया जाएगा।
  • वरुण, इंद्र समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन।
प्रोफेसर विनय पांडेय।

शुभ मुहुर्त में होगा शिलान्यास

बीएचयू के प्रो. विनय पांडेय ने बताया कि अभिजीत मुहूर्त यानी मध्यान्हकाल होता है। एक दिन में 15 मुहूर्त होते हैं। 5 अगस्त को अयोध्या में 5.31 बजे सुबह सूर्योदय होगा और शाम6.41 बजे पर सूर्यास्त होगा। इसके बीच का समय करीब 13 घंटा 10 मिनट का होगा, जिसे 15 से भाग करने परकरीब 53 की संख्या मिलती है। यानी 53मिनट।

शुरू के 7 मुहूर्त और बाद के 7 मुहूर्त को छोड़ दीजिए तो बीच के आठवें मुहूर्त को मध्यान्हकाल कहते हैं। 5 अगस्त को मध्यान्हकाल11 बजकर 40 मिनट 29 सेकेंड से 12.बजकर 33 मिनट9 सेकेंड तक होगा। इसी बीच प्रभु श्रीराम का जन्म भी हुआ था। काशी से हम सभी लोग शास्त्रीय मत और जानकार के रूप में वहां मौजूद रहेंगे। काशी विद्वत परिषद से हम लोगों के जाने की सूचना मिली है।

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यह तस्वीर अयोध्या की है। मंदिर निर्माण के लिए यहां कारसेवकपुरम में बीते 28 सालों से तराशकर रखे पत्थरों को चमकाने का काम जारी है।