वित्त वर्ष 2019 में राज्यों द्वारा संचालित बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का वित्तीय घाटा 83 प्रतिशत बढ़ गया। यह घाटा 61 हजार 360 करोड़ रुपए रहा है। 2018 में यह घाटा 33,365 करोड़ रुपए था। हालांकि वित्त वर्ष 2015 की तुलना से यह काफी ज्यादा है। 2015 नवंबर में ही रिवाइवल के लिए उदय योजना को लागू किया गया था।
वित्त वर्ष 2015 में कुल नुकसान 57,000 करोड़ रुपए था
पीएफसी के ऑडिट आंकड़ों के मुताबिक देश भर में सरकारी डिस्कॉम का कुल नुकसान वित्त वर्ष 2019 में 61 हजार 360 करोड़ रुपए रहा है। यह ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से दोगुना से भी ज्यादा है। ऊर्जा मंत्रालय ने कुल नुकसान 28 हजार 36 करोड़ करोड़ रुपए बताया था। ऑडिटेड आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018 में डिस्कॉम का 33,365 करोड़ रुपए था। 2015 के वित्त वर्ष में कुल नुकसान 57,000 करोड़ रुपए था।
2020 में ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों से दोगुना घाटा हो सकता है
ऑडिट किए गए आंकड़े इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि नवंबर 2015 में शुरू की गई उदय योजना का डिस्कॉम की वित्तीय स्थिति पर शार्ट टर्म और लगभग पूरा सकारात्मक प्रभाव पड़ा था। पर यह वित्त वर्ष 2019 में नुकसान को टालने में विफल रहा। हो सकता है कि वित्त वर्ष 2020 में स्थिति और बिगड़ गई हो। उदय स्कीम एक तरह से बेलआउट करने के लिए लाई गई थी। आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020 में ऊर्जा मंत्रालय ने डिस्कॉम के 30 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की बात कही थी। लेकिन इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि सही आंकड़ा इसका दोगुना हो सकता है।
वित्त वर्ष 2021 में रेवेन्यू कलेक्शन में 66 प्रतिशत की कमी आ सकती है
रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक पावर की कम मांग और और डिस्कॉम में लॉजिस्टिक की दिक्कतों से कोरोना के समय रेवेन्यू कलेक्शन में वित्त वर्ष 2021 में 66 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। इक्रा ने अनुमान लगाया है कि 2021 में 50 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। इक्रा के मुताबिक, उदय स्कीम का 2015 नवंबर से मार्च 2019 के बीच असर देखा जाए तो इसका उद्देश्य डिस्कॉम के टेक्निकल एवं कमर्शियल नुकसान को कम करने का था। साथ ही सप्लाई लागत और रेवेन्यू के बीच गैप को भी करने का उद्देश्य था।
बता दें कि कोरोना की वजह से केंद्र सरकार ने डिस्कॉम के लिए 90 हजार करोड़ रुपए के पैकेज की घोषणा की थी। इसके जरिए पावर जनरेर्ट्स की देनदारी को खत्म करना था।