सेंसेशनल सिंगर अरमान मलिक ने सनसनीखेज खुलासे किए हैं। वह यह कि पिछले दो सालों में उन्हें 12 गानों से रिप्लेस किया गया है। इसके बावजूद वे टूटे नहीं हैं। न इसका ढिंढोरा पीटा या बखेड़ा ही खड़ा किया है। एक गाने से तो तब उनकी आवाज हटा दी गई थी, जब वे महज 10 की उम्र के थे। उस तरह के और भी कड़वे घूंट पीते हुए वे इस मुकाम पर पहुंचे हैं। इस लॉकडाउन के पीरियड में भी उन्होंने कुल तीन गाने तैयार कर लिए। एक जरा ठहरो नवीनतम है। इस बारे में उन्होने भास्कर से बातचीत की है।
जरा ठहरो गाने का जन्म कैसे हुआ?
इसे लॉकडाउन से ठीक एक महीने पहले बनाया था। यह नहीं सोचा था कि इसे एक नॉन फिल्म सिंगल के तौर पर रिलीज करना होगा। इसे फिल्म के लिए ही सोचा था, मगर लॉकडाउन के चलते और अब अनलॉक होने के बावजूद फिल्मों की शूटिंगें बंद हैं तो फिल्मों की शूटिंग पर अनिश्चितता सी है। ऐसे में हमने फिर अपने-अपने घरों में ही गाकर, पिक्चराइज कर और एडिट वगैरह इसे रिलीज किया है। ऐसा पहली बार हुआ है मेरी जिंदगी में। इसे देखकर अब तक किसी फैन ने यह तो नहीं कहा कि गाने की क्वॉलिटी खराब है।
कितने गाने तैयार किए हैं लॉकडाउन में?
हमने वैसे तो इस गाने को भी लॉकडाउन में प्लान नहीं किया था। अलबत्ता कई और गाने अंग्रेजी में बनाकर अपने यूट्यूब चैनल पर डाले हैं। हालात ऐसे हैं, जो सब के लिए कठिन रहे हैं। हमारी एक्चुअल कमाई तो शो और कॉन्सर्ट से होती रही है। पर यह इंडस्ट्री तो एक तरह से खत्म ही हो चुकी है। अलबत्ता नए तौर तरीके से गाने शूट करते और रिलीज करते रहेंगे, क्योंकि नॉर्मल दिनों की तरह तो शूट नहीं ही कर सकते।
दोनों भाइयों के कितने शोज लॉकडाउन से खराबहुए हैं?
मेरे ज्यादा टूर और कॉन्सर्ट होते रहते हैं। अमाल स्टूडियो में ज्यादा वक्त बिताना पसंद करते हैं। वे अपने अलग कॉन्सर्ट करते रहते हैं। मेरे तकरीबन तीन कॉन्सर्ट पिछले चार महीनों में कैंसिल हुए हैं। उसका दुख तो नहीं है, वह इसीलिए कि सबकी हेल्थ सबसे अहम है। हालांकि हमारे बैंड के लोगों की रोजी रोटी तो प्रभावित हुई है। वर्चुअल कॉन्सर्ट करने की कोशिश तो कर रहे हैं, पर कमाल के आइडिया नहीं आ रहा हैं। वर्चुअल कॉन्सर्ट में हम स्टेज का एहसास तो नहीं दे सकते। फोन और लैपटॉप के मीडियम से म्यूजिक बनाकर लोगों तक पहुंच रहे हैं।
मौजूदा हालातों में क्रिएटिविटी भी यकीनन प्रभावित तो हुई होगी?
जी हां। इंस्ट्रूमेंट लेकर हमारी बिरादरी के लोग बैठते हैं तो उन्हें मोटिवेशन मिलने में दिक्कत तो हो रही है। वह इसीलिए कि वे खुश नहीं हैं। एक अनिश्चितता से जूझ तो रहे हैं। फिर भी गिव अप नहीं करना है। साथ ही खुद से आसमानी अपेक्षाएं नहीं रखनी हैं, जो नॉर्मल दिनों में हम आप एक दूजे से रखा करते थे। वह इसीलिए कि इस काल में वे सब पूरे तो नहीं होने यह अपनाते हुए हम जो भी रिजल्ट दे पा रहे हैं, उससे संतुष्ट रहना चाहिए। वरना हम आप या कोई और टेंशन, डिप्रेशन में जा सकता है।
सूरज डूबा गाना भाई के बजाय अरिजीत को क्यों दिया
इन मामलों में हम दोनों बेहद प्रोफेशनल हैं। यह जरूर है कि उनके गानों पर पहले स्क्रैच वर्जन मैं तैयार करता हूं, मगर फाइनल फैसला अमाल का होता है। उस दरम्यान मैं उनके साथ होता भी नहीं हूं। अमाल के अलावा फिल्म के प्रोड्यूसर्स का भी फैसला होता है कि उनके गानों में आवाज किस की हो।
अब गायकों को किस तरह से इंडस्ट्री में काम मिलता है।
जैसा वेस्ट में होता है, वैसा यहां भी हो रहा है। बड़ी म्यूजिक लेबल हैं। उनके आर्टिस्ट होते हैं। उनसे वो गवाते हैं। उन्हें प्राथमिकता तो देते हैं अपने गानों में। यह बात तो है। जैसे मैं टी सीरिज का आर्टिस्ट हूं तो मुझे उनकी फिल्मों में गाने में प्राथमिकता दी जाती है। मगर इसका मतलब यह नहीं कि मैं जी म्यूजिक कंपनी के लिए नहीं गा सकता। मैंने अपने चैनल और जी म्यूजिक के लिए भी गाने गाए हैं।
क्या कभी आपके भी गाने रिप्लेस हुए हैं
जी हां। मैंने यह बात अब तक कहीं कही नहीं है। पर पिछले दो सालों में मेरी आवाज 12 गानों से रिप्लेस की गई है। यह इंडस्ट्री का नॉर्म है। अब एक गाने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा सिंगर्स को ट्राई किया जाता है। दिल को ठेस वहां पहुंचती है, जब संगीतकार किसी गायक को इसकी सूचना न दे। मेरे साथ हाल के बरसों में ऐसा तीन बार हुआ, जब बगैर सूचित किए मेरी आवाज बदल दी गई। वहां तकलीफ हुई थी।
क्या हटाने के बाद सिंगर्स को पैसे नहीं दिए जाते
यह गलत तो जरूर है। पर अगर गाना सेलेक्ट नहीं हुआ तो पैसे कैसे दिए जाएं। हां, सेलेक्ट न करने की इन्फॉर्मेशन तो जरूर देनी चाहिए। बाकी यह इंडस्ट्री का नॉर्म है, इसको लेकर मेंटली प्रिपेयर तो होना ही चाहिए।
किसी आउटसाइडर सिंगर को पैसे नहीं मिलने पर वो सर्वाइव कैसे करता है
पहली बात तो यह कि प्लेबैक सिंगिंग के लिए ज्यादा पैसे नहीं दिए जाते हैं। वह मैं हूं, चाहे अरिजीत या कोई और। मिलते भी हैं तो बहुत नॉमिनल। लिहाजा हमारी कमाई शोज और कॉन्सर्ट से होती है। आउटसाइडर तो अंकित तिवारी भी हैं। उन्होंने भी इन्हीं नियम कायदों के बीच मुकाम बनाया। वह कैसे हुआ।
ऐसा कतई नहीं है कि हम इनसाइडर्स को रिजेक्शन नहीं झेलना पड़ता। मैं दस साल का था, जब मेरा गाना रिप्लेस कर दिया गया था। सोचिए क्या गुजरी होगी मेरे दिल पर। पर मेरी परवरिश मेरी मां ने बहुत स्ट्रॉन्ग की है। उन्होंने उस समय ही कह दिया था कि यह इस इंडस्ट्री का दस्तूर है। यहां सफलताओं से ज्यादा विफलताएं और रिजेक्शन मिलेंगी। इनके लिए मेंटली तैयार रहना होगा। मैंने वही किया। सफलता को कभी सिर पर नहीं चढ़ने दिया और हार को दिल में ज्यादा देर टिकने नहीं दिया। कर्म करता गया। फल की चिंता छोड़ता गया।