महाराष्ट्र के पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पहली मौत की बात सामने आई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र के स्वास्थ विभाग ने रविवार की ये जानकारी दी। ये मौत सोलापुर में हुई। पुणे में GBS के 16 मरीज वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। GBS के लक्षण वाले 19 मरीज 9 साल से कम उम्र के हैं। 50-80 साल की उम्र वाले 23 मरीज हैं। पुणे क्लस्टर में 9 जनवरी को अस्पताल में भर्ती मरीज GBS पॉजिटिव आया था, ये पहला केस था। इसके बाद अस्पताल के अन्य मरीजों का टेस्ट लिया गया, जिसमें से कुछ बॉयोलॉजिकल सैंपल में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला। ये बैक्टीरिया GBS के लगभग एक तिहाई मामलों का कारण बनता है और बहुत सीवियर इन्फेक्शन के लिए भी जिम्मेदार है। अब पुणे में 28 नए केस के साथ एक्टिव केस 101 हो गए हैं। GBS एक ऑटोइम्यून कंडीशन है। इसमें हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक कर देता है। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो जाता है। इसके कारण हाथ-पैर अचानक कमजोर पड़ जाते हैं। उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है। पुणे में पानी का सैंपल लिया गया गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के बढ़ते मामलों के बीत रविवार को अधिकारियों ने पुणे में पानी का सैंपल लिया। 25 जनवरी को जारी टेस्ट रिजल्ट के मुताबिक पुणे के मेन वाटर रिजरवॉयर खड़कवासला बांध के पास एक कुएं में बैक्टीरिया E. कोली का लेवल बहुत हाई है। अधिकारियों के मुताबिक ये साफ नहीं है कि कुएं का यूज जारी है या नहीं। अधिकारियों ने लोगों को सलाह दी है कि उबला हुआ पानी पीएं, ठंडा खाना खाने से बचें। गर्म भोजन ही करें। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक रविवार तक 25,578 घरों का सर्वे किया जा चुका है। अमूमन महीने भर में GBS के 2 मरीज ही सामने आते थे। अचानक से नंबर बढ़ा है। घरों में सैंपल लिए जा रहे हैं। GBS के फैलने का कारण तलाशा जा रही है। GBS का इलाज बहुत महंगा, एक इंजेक्शन 20 हजार का GBS का इलाज महंगा है। इसके एक इंजेक्शन की कीमत 20 हजार रुपए (निजी अस्पताल) है। डॉक्टरों ने मुताबिक GBS की चपेट में आए 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी के बाद 6 महीने में बिना किसी सपोर्ट के चलने-फिरने लगते हैं। लेकिन कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक GBS का इलाज बहुत महंगा भी है। मरीजों को आमतौर पर इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन के कोर्स करना होता है। डिप्टी CM पवार ने GBS के मुफ्त इलाज की घोषणा की महाराष्ट्र के डिप्टी CM अजीत पवार ने GBS मरीजों के मुफ्त इलाज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिंपरी-चिंचवाड़ के लोगों का इलाज VCM अस्पताल में होगा, जबकि पुणे नगर निगम क्षेत्र के मरीजों का इलाज कमला नेहरू अस्पताल में होगा। ग्रामीण क्षेत्रों की जनता के लिए पुणे के ससून अस्पताल में फ्री इलाज मिलेगा। ………………………………… गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… सेहतनामा- गुइलेन-बैरे सिंड्रोम में चलना, उठना, सांस लेना होता मुश्किल, जानिए ये बीमारी कितनी खतरनाक GBS एक ऑटोइम्यून कंडीशन है। इसमें हमारा इम्यून सिस्टम अपनी ही नर्व्स पर अटैक कर देता है। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हो जाता है। इसके कारण हाथ-पैर अचानक कमजोर पड़ जाते हैं। उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है। यह एक रेयर सिंड्रोम है। हर साल पूरी दुनिया में इसके लगभग एक लाख मामले सामने आते हैं। पूरी खबर पढ़ें…