दिल्ली में 17 साल के केशव सेखरी बेयरफुट वॉरियर्स बनकर जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। वे फटे-पुराने जूतों को नया बनकर गरीब बच्चों को बांटते हैं। केशव ने वेजनॉनवेज, ए स्नीकर और स्ट्रीटवीयर जैसे शू ब्रॉन्ड्स में इंटर्नशिप की। फिर 2023 में बेयरफुट वॉरियर्स मुहिम की शुरुआत की। बेयरफुट वॉरियर्स ने स्प्रेड ए स्माइल फाउंडेशन, अर्थ सेवियर्स फाउंडेशन और चिंतन जैसे NGO के साथ पार्टनरशिप की है। जिसके चलते केशव झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले युवाओं से लेकर बेघर बुज़ुर्गों तक, विभिन्न समुदायों तक अपनी मदद पहुंचा रहे हैं। कहां से आया विजन, 9 लाख रुपए ट्रेनिंग में खर्च
केशव ने कहा, मैंने दिल्ली की सड़कों पर बच्चों को नंगे पांव चलते देखा। मुझे अहसास हुआ कि मेरे पास कई जोड़ी जूते होते हैं जबकि इन बच्चों के पास एक भी नहीं है। फिर मेरे मन में सवाल आया कि पुराने हो चुके जूतों को नया कैसे बनाया जाए। बेयरफुट वॉरियर्स मुहिम के साथ केशव ने उन लोगों (मोची) को खोजा, जो पुराने जूतों को नया बना सकें। केशव ने 9 लाख रुपय खर्च करके चार मोचियों को ट्रेनिंग दिलवाई। ये सभी पुराने जूतों को नया रूप तो देते ही हैं, साथ ही अपना घर भी चला रहे हैं। दान और वर्कशॉप के जरिए पुराने जूते इकठ्ठा करते
केशव के प्रयासों के चलते बेयरफुट वॉरियर्स तेजी से पॉपुलर हुआ। इसमें उनके परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों ने भी मदद की। वे पुराने जूतों को दान करते हैं। केशव ने स्कूलों और कॉर्पोरेट ऑफिस में जागरूकता बढ़ाकर इस पहल का विस्तार किया। उन्होंने डोनेशन बॉक्स लगाने और वर्कशॉप आयोजित करने के लिए एमिटी स्कूल नेटवर्क, मैक्स अस्पताल और GMR जैसे ऑर्गेनाइजेशन के साथ पार्टनरिशप की है। 2000 से ज्यादा जोड़ी जूते मिले, 90% नए में बदले
बेयरफुट वॉरियर्स को अब तक डोनेशन के जरिए 2,000 से अधिक जूतें मिले हैं। इनमें से 90% जूतों को नया करके उन लोगों तक पहुंचाया है जो नंगे पैर रहते हैं। इसके अलावा इस मुहिम के तहत लगभग 1.68 मीट्रिक टन CO2 एमीशन को कम करके और 9.6 मिलियन लीटर पानी बचाकर पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मदद की है। ये संसाधन नए जूतों के उत्पादन में इस्तेमाल किए जा सकते थे। केशव का लक्ष्य, देश के अन्य शहरों तक पहुंचे पहल
पॉल्यूशन कंट्रोल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे केशव ने वेस्ट मैनेजमेंट (कचरे को खत्म करने) के लिए “नो टू लैंडफिल्स” (NO2LA) और “स्टॉप होर्डिंग क्लॉथ्स” (STOHO) जैसी पहलों का साथ लिया है। भविष्य को देखते हुए, केशव का लक्ष्य बेयरफुट वॉरियर्स को भारत के अन्य शहरों तक पहुंचाना है ताकि फुटवियर कचरे का परमानेंट हल ढूंढा जा सके। इस पहल के माध्यम से, केशव यह साबित कर रहे हैं कि युवा लोग बदलाव लाने में मददगार साबित हो सकते हैं और बेकार पड़े जूतों को बेहतर भविष्य के लिए एक कदम में बदल सकते हैं।
केशव ने कहा, मैंने दिल्ली की सड़कों पर बच्चों को नंगे पांव चलते देखा। मुझे अहसास हुआ कि मेरे पास कई जोड़ी जूते होते हैं जबकि इन बच्चों के पास एक भी नहीं है। फिर मेरे मन में सवाल आया कि पुराने हो चुके जूतों को नया कैसे बनाया जाए। बेयरफुट वॉरियर्स मुहिम के साथ केशव ने उन लोगों (मोची) को खोजा, जो पुराने जूतों को नया बना सकें। केशव ने 9 लाख रुपय खर्च करके चार मोचियों को ट्रेनिंग दिलवाई। ये सभी पुराने जूतों को नया रूप तो देते ही हैं, साथ ही अपना घर भी चला रहे हैं। दान और वर्कशॉप के जरिए पुराने जूते इकठ्ठा करते
केशव के प्रयासों के चलते बेयरफुट वॉरियर्स तेजी से पॉपुलर हुआ। इसमें उनके परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों ने भी मदद की। वे पुराने जूतों को दान करते हैं। केशव ने स्कूलों और कॉर्पोरेट ऑफिस में जागरूकता बढ़ाकर इस पहल का विस्तार किया। उन्होंने डोनेशन बॉक्स लगाने और वर्कशॉप आयोजित करने के लिए एमिटी स्कूल नेटवर्क, मैक्स अस्पताल और GMR जैसे ऑर्गेनाइजेशन के साथ पार्टनरिशप की है। 2000 से ज्यादा जोड़ी जूते मिले, 90% नए में बदले
बेयरफुट वॉरियर्स को अब तक डोनेशन के जरिए 2,000 से अधिक जूतें मिले हैं। इनमें से 90% जूतों को नया करके उन लोगों तक पहुंचाया है जो नंगे पैर रहते हैं। इसके अलावा इस मुहिम के तहत लगभग 1.68 मीट्रिक टन CO2 एमीशन को कम करके और 9.6 मिलियन लीटर पानी बचाकर पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में मदद की है। ये संसाधन नए जूतों के उत्पादन में इस्तेमाल किए जा सकते थे। केशव का लक्ष्य, देश के अन्य शहरों तक पहुंचे पहल
पॉल्यूशन कंट्रोल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे केशव ने वेस्ट मैनेजमेंट (कचरे को खत्म करने) के लिए “नो टू लैंडफिल्स” (NO2LA) और “स्टॉप होर्डिंग क्लॉथ्स” (STOHO) जैसी पहलों का साथ लिया है। भविष्य को देखते हुए, केशव का लक्ष्य बेयरफुट वॉरियर्स को भारत के अन्य शहरों तक पहुंचाना है ताकि फुटवियर कचरे का परमानेंट हल ढूंढा जा सके। इस पहल के माध्यम से, केशव यह साबित कर रहे हैं कि युवा लोग बदलाव लाने में मददगार साबित हो सकते हैं और बेकार पड़े जूतों को बेहतर भविष्य के लिए एक कदम में बदल सकते हैं।