पूर्व CJI बोले- अनुच्छेद 370 को खत्म ही होना था:बोले- राम मंदिर फैसले से पहले भगवान से रास्ता दिखाने की बात कभी नहीं की

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बात से इनकार किया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर फैसले से पहले उन्होंने भगवान को याद कर समाधान के लिए प्रार्थना की थी। जस्टिस चंद्रचूड़ (रिटायर्ड) ने BBC को दिए एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि ये बातें सोशल मीडिया की ऊपज हैं। मेरी बात को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर कहा- अनुच्छेद 370 संविधान बनने के साथ ही शामिल किया गया था और ट्रांजीशन प्रोविजंस शीर्षक अध्याय का हिस्सा था, बाद में इसका नाम बदलकर टेंपरेरी ट्रांजिशनल प्रोविजंस कर दिया गया। संविधान बना तो यह माना गया कि ये प्रावधान धीरे धीरे खत्म हो जाएंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने BBC को दिए इंटरव्यू में राम मंदिर के अलावा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले पर सहमति, राहुल गांधी को मानहानि मामले में जमानत, CAA, न्यायपालिका में जेंडर रेश्यो और PM से मुलाकात पर भी अपनी बात रखी। पढ़ें इंटरव्यू की जरूरी बातें… सवाल 1: क्या न्यायपालिका में अमीर परिवार के पुरुष और ऊंची जाति के हिंदुओं का वर्चस्व है?
जवाब: मेरे पिता वाईवी चंद्रचूड़ ने मुझसे कहा था कि जब तक वे भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं, तब तक मैं प्रेक्टिस न करूं। उनके रिटायर होने के बाद ही मैं पहली बार कोर्ट में कदम रखा। वहीं, ऐसा नहीं है कि न्यायपालिका में सिर्फ उच्च जातियों का कब्जा है। न्यायपालिका की हाई पोस्ट तक महिलाओं हैं। अगर भारतीय न्यायपालिका में सबसे नीचे से देखा जाए तो जिला अदालतों में हमारे राज्यों में आने वाली नई भर्तियों में से 50 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं हैं। कई राज्यों के अदालतों में महिलाओं की भर्ती 60 या 70 प्रतिशत तक हो जाती है। ऐसा नहीं है कि न्यायपालिका में सिर्फ उच्च जातियों का कब्जा है। न्यायपालिका की हाई पोस्ट तक महिलाओं का आना अभी शुरू ही हुआ है। सवाल 2: 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा था कि PM मोदी ने पार्टी और खुद को बचाने और विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कोर्ट का सहारा लिया। क्या ये सही है?
जवाब: न्यूयॉर्क टाइम्स बिल्कुल गलत है, क्योंकि वे समझने में नाकाम रहे कि 2024 के चुनाव में क्या होने वाला है। 2024 का चुनाव परिणाम ‘एक पार्टी-एक राज्य’ की बात को गलत साबित करता है। भारत के राज्यों में क्षेत्रीय आकांक्षाएं और पहचान सर्वोपरि होती है। कई ऐसे राज्य हैं जहां अलग-अलग क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जिन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया और वहां उनकी सरकार है। सवाल 3: साल 2023 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि केस में सजा हुई। उनकी संसद सदस्यता छिन जाती लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी। क्या इससे यह नहीं पता चलता कि भारत में न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव है? जवाब: राहुल गांधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि वहां व्यक्तिगत आजादी की रक्षा की जाएगी। अलग-अलग मुकदमों को लेकर मतभेद हो सकते हैं चाहे उसमें सही तरीके से फैसला हुआ हो या गलत तरीके से। हालांकि इसके भी उपाय हैं, लेकिन तथ्य यह है कि भारत का सुप्रीम कोर्ट व्यक्तिगत आजादी की रक्षा करने में आगे रहा है। सवाल 4: अनुच्छेद 370 खत्म करने के खिलाफ आपके फैसले का कई लोगों ने विरोध किया? जवाब: अनुच्छेद 370 संविधान बनने के साथ ही ट्रांजिशन प्रोविजंस नाम से शामिल किया गया था। बाद में इसका नाम बदलकर टेंपरेरी ट्रांजिशनल प्रोविजंस कर दिया गया। सवाल 5: अनुच्छेद 370 ही नहीं जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा खत्म करके उसे केंद्र शासित क्षेत्र बना दिया गया। उसकी स्टेट हुड बहाल करने के लिए कोई डेडलाइन भी नहीं तय की गई। जवाब: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया शुरू करने की एक डेडलाइन तय की थी और वह समय सीमा थी 30 सितंबर 2024 और अक्टूबर 2024 में चुनाव की तारीख तय की थी। सवाल 6: वकील प्रशांत भूषण और दुष्यंत दवे ने कोर्ट के इस फैसले को गैर संवैधानिक कहा था।
जवाब: जम्मू-कश्मीर राज्य को तीन केंद्र शासित क्षेत्रों में बदलने के मामले में हमने केंद्र सरकार के इस हलफनामे को स्वीकार किया कि जम्मू-कश्मीर राज्य के दर्जे को जल्द से जल्द बहाल किया जाएगा। लेकिन राज्य के दर्जे को बहाल किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोई डेडलाइन नहीं तय की। अब वहां लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है और वहां एक ऐसी पार्टी को शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरित हुई जो केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी से अलग है। यह साफ दिखाता है कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र सफल हुआ है। सवाल 7: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला देने से पहले क्या आपने भगवान से प्रार्थना की थी? जवाब: ये बात पूरी तरह से गलत है। सोशल मीडिया पर फैलाई गई बात है। मेरी बात को गलत तरीके से पेश किया गया। मैं इस तथ्य से इनकार नहीं करता कि मैं आस्तिक व्यक्ति हूं। हमारे संविधान में स्वतंत्र जज बनने के लिए जरूरी नहीं कि व्यक्ति नास्तिक हो। मैं अपने धर्म को अहमियत देता हूं। लेकिन मेरा धर्म, सभी धर्मों का सम्मान करता है और किसी भी धर्म का व्यक्ति आए आपको इंसाफ समान रूप से देना होता है। मैंने जो कहा था वह ये कि- ये मेरा धर्म है। सवाल 8: गणेश पूजा के लिए आप प्रधानमंत्री की मौजूदगी वाली तस्वीर काफी वायरल हुई। इस पर आप क्या कहेंगे?
जवाब: इस मुलाकात से पहले हमने इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मामलों पर फैसला दिया था, जिसमें हमने उस कानून को रद्द कर दिया, जिसके तहत चुनावी फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड लाए गए थे। इसके बाद कई ऐसे फैसले हमने दिए जो सरकार के खिलाफ जाते थे। संवैधानिक जिम्मेदारियों की बात करते हुए बुनियादी शालीनता को ज्यादा तूल नहीं दिया जाना चाहिए। सवाल 9: क्या पिछले आठ साल में आप सरकार के सामने कभी नहीं झुके?
जवाब: PM मोदी के कार्यकाल के दौरान मेरे फैसलों पर कभी भी राजनीतिक दबाव का असर नहीं था। हालांकि न्यायपालिका का काम सामूहिक होता है और कई मामलों में बाकी जजों से सलाह ली जाती है।