पेरेंटिंग- अमीर बच्चों की संगत से बिगड़ रहा बच्चा:बच्चे को बिना डांटे बुरी संगत से कैसे बचाएं, पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट के 7 सुझाव

सवाल- मैं हरियाणा का रहने वाला हूं। मेरा बेटा 11वीं क्लास में पढ़ता है। शुरुआत में वह पढ़ने में काफी अच्छा था, लेकिन पिछले कुछ समय से पढ़ाई में उसका मन नहीं लग रहा है। स्कूल में शायद ऐसे लोगों से उसकी दोस्ती हो रही है, जो बहुत अमीर घरों से आते हैं। उसका रहन-सहन और खानपान बदल रहा है। ये बात हम उसे कैसे समझाएं कि पेरेंट्स से ज्यादा दोस्तों के नजदीक होना और उन पर भरोसा करना ठीक नहीं है। कृपया मुझे इस स्थिति से निपटने के लिए मार्गदर्शन करें। एक्सपर्ट: रिद्धि दोषी पटेल, चाइल्ड एंड पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट, मुंबई जवाब- आपकी चिंता स्वाभाविक है। इस उम्र में बच्चे पर बाहरी दुनिया का प्रभाव पड़ना आम बात है। जब तक बच्चा घर के लोगों के बीच रहता है, तब तक वह परिवार के तौर-तरीकों को अपनाता है। लेकिन जैसे ही वह बाहर की दुनिया में कदम रखता है। नए दोस्त, अलग लाइफस्टाइल और कई तरह की चीजें उसकी सोच पर असर डालने लगती हैं। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है। हालांकि हम यह तो कंट्रोल नहीं कर सकते कि बच्चा बाहरी दुनिया में कैसे लोगों से मिलेगा, किन चीजों को देखेगा और क्या सीखेगा। लेकिन हम यह जरूर सुनिश्चित कर सकते हैं कि उसे घर पर क्या सिखा रहे हैं और कैसे संस्कार दे रहे हैं। बच्चे तो बाहरी दुनिया से होंगे ही प्रभावित बच्चे दुनिया में बहुत सारी चीजों से प्रभावित होते हैं। जब वे घर से बाहर जाते हैं तो तरह-तरह के लोगों से मिलते हैं, तरह-तरह के दोस्त बनते हैं। इसके अलावा तरह-तरह के गाने और सिनेमा जैसी चीजें बच्चे की सोच व उसके जीवन जीने के तरीके काे प्रभावित करती हैं। लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि हम ये कैसे सुनिश्चित करें कि बच्चा जिन भी चीजों के संपर्क में आ रहा है, वह सब अच्छा प्रभाव डालने वाली हों। इसका जवाब ये है कि हम इसकी गारंटी नहीं दे सकते हैं कि जो कुछ भी बच्चे के जीवन में आएगा, वह अच्छा या पॉजिटिव ही होगा। नेगेटिव चीजें भी आएंगी। अच्छे दोस्तों के साथ खराब दोस्त भी बनेंगे। बच्चे के साथ रखें दोस्ताना रिश्ता ऐसे में बच्चे को नकारात्मक प्रभावों से बचाने के लिए एक मजबूत नींव तैयार करना जरूरी है। यह तभी संभव है, जब घर में जो भी बातें सिखाई या बताई जा रही हैं, वह इतनी मजबूत हों कि बाकी सारी चीजें उस पर हावी न हो सकें। यानी बाहर की चीजें ज्यादा प्रभावशाली रह न जाएं, घर का प्रभाव ही ज्यादा बड़ा हो। इसके लिए सबसे जरूरी है कि बच्चे का प्राइमरी दोस्त, जिससे वह सबसे ज्यादा अटैच महसूस करता है, वह कोई और नहीं, बल्कि माता-पिता ही हों। वह दोस्त नहीं होने चाहिए। ये पेरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे बच्चे के साथ ऐसा प्यार भरा रिश्ता बनाएं कि वह बिना किसी डर के अपनी हर बात उनके साथ शेयर कर सके। डिक्टेटर न बनें, समझें बच्चे की फीलिंग्स अगर पेरेंट्स डिक्टेटर बनकर हमेशा बच्चे को ऑर्डर देते रहेंगे या उसे लगेगा कि पेरेंट्स उसकी फीलिंग्स ही नहीं समझते हैं। इस स्थिति में बच्चा पेरेंट्स के साथ कुछ भी शेयर करना बंद कर देता है। वह बाहरी लोगों के करीब आता है, उनसे गहरी दोस्ती करता है और उनके प्रभाव में आसानी से आ जाता है। यहीं से समस्या शुरू होती है। इसलिए पेरेंटिंग में कुछ कॉमन गलतियों से बचना जरूरी है। बच्चे को अपना स्टेटस समझाएं इसके अलावा बच्चे को सरल तरीके से धीरे-धीरे समझाएं कि वे लड़के, जो इतना पैसा खर्च करते हैं और लग्जरी लाइफ जीते हैं। वे अमीर घरों से ताल्लुक रखते हैं। हम मिडिल क्लास की फैमिली हैं। हमारी कम सैलरी है। बच्चे को ये भी समझाएं कि हमारे लिए कौन सी चीजें महत्वपूर्ण हैं। हमारे लिए मेहनत और पढ़ाई क्यों जरूरी है। अगर बच्चा अपने से ज्यादा अमीर और समृद्ध लोगों को देखकर उनसे प्रभावित हो रहा है तो उसे ये बताएं कि दुनिया में बहुत सारे ऐसे बच्चे हैं, जिनके पास तुमसे भी बहुत कम पैसे हैं। तुम एक अच्छे स्कूल में पढ़ते हो। लेकिन जाने कितने बच्चे ऐसे हैं, जो काबिल तो हैं, लेकिन वह स्कूल में पढ़ने नहीं जा पाते। उन्हें किताबें नहीं मिल पातीं। उन्हें मौका नहीं मिल पाता है। बच्चे को बताएं कि जो हमारे पास है, उसमें संतुष्ट रहते हुए मेहनत करो, ताकि एक दिन उन बच्चों से ज्यादा अमीर बन सको। उसे बताएं कि सच्ची खुशी बाहरी दिखावे में नहीं, बल्कि अपनी मेहनत से हासिल की गई सफलता में है। बच्चे को अपनी आर्थिक स्थिति के बारे में बताएं बच्चे को बताएं कि हमारी फाइनेंशियल कंडीशन उनके बराबर नहीं है। हम कितना कमाते हैं, कैसे रहते हैं कुछ भी तुमसे छिपा नहीं है। उसमें भी हम अपने पैसे का एक बड़ा हिस्सा तुम्हारी पढ़ाई पर और जीवन की अन्य जरूरी चीजों पर खर्च करते हैं। कुल मिलाकर बेसिक बात है बच्चे को वैल्यू देने की और ये सिर्फ दोस्ती और प्यार से ही संभव है। इसके अलावा सही संगत भी बच्चे के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। बच्चे को यह भी बताएं कि अमीर घरों के बच्चे उसे गलत रास्ते पर भी ले जा सकते हैं। इसलिए किसी भी दोस्त का चुनाव सोच-समझकर करना चाहिए। अंत में यही कहूंगी कि माता-पिता का प्यार और दोस्ती ही बच्चे को बाहरी नकारात्मक प्रभावों से बचाने का सबसे मजबूत हथियार है। जब आप अपने व्यवहार को बदलेंगे अपने सोचने और सिखाने के तरीके को बदलेंगे तो बच्चा जरूर सीखेगा और सही राह पर चलेगा। ……………………… पेरेंटिंग से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए पेरेंटिंग- 14 महीने की बेटी मोबाइल बिना खाना नहीं खाती: इस आदत को कैसे करें कंट्रोल, पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट के 5 जरूरी सुझाव मार्च 2023 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, पिछले दो दशकों में 0-2 वर्ष की उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम दोगुना हो गया है। इससे उनमें आंखों से जुड़ी समस्या, अनिद्रा, मोटापा, समेत कई फिजिकल और मेंटल प्रॉब्लम्स का खतरा बढ़ जाता है। पूरी खबर पढ़िए…