पेरेंटिंग- बच्चों को है मोबाइल की लत:बिना देखे खाना नहीं खाते, उनकी पढ़ाई, व्यवहार और सेहत पर पड़ रहा असर, ये आदत कैसे छुड़ाएं

सवाल- मैं दिल्ली का रहने वाला हूं। मेरे दो बच्चे हैं। एक 3 साल का और दूसरा 10 साल का। बड़े बेटे को ऑनलाइन गेम खेलने की लत लग चुकी है। वह स्कूल से आते ही मोबाइल में लग जाता है। वहीं छोटा बेटा मोबाइल देखे बिना खाना ही नहीं खाता है। मोबाइल न मिलने पर दोनों टीवी देखने लगते हैं। इसका असर अब उनकी पढ़ाई, व्यवहार और सेहत पर दिखाई दे रहा है। मैंने दोनों बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने की बहुत कोशिश की, लेकिन ये नहीं हो पा रहा है। मैं क्या करूं? एक्सपर्ट: डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, भोपाल जवाब- आपकी चिंता बिल्कुल जायज है। आज के डिजिटल युग में बच्चों का बढ़ता स्क्रीन टाइम एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जो उनकी पढ़ाई, व्यवहार और सेहत को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। हालांकि इस आदत के पीछे कहीं-न-कहीं हम पेरेंट्स ही जिम्मेदार हैं क्योंकि बच्चों को सबसे पहले गैजेट्स से परिचित कराने वाले भी हम ही होते हैं। अक्सर देखा गया है कि छोटे बच्चों को चुप कराने या व्यस्त रखने के लिए माता-पिता शुरुआत से ही उन्हें मोबाइल या टीवी की आदत लगवा देते हैं। धीरे-धीरे यही आदत लत बन जाती है, जिसे छुड़ाना फिर बेहद मुश्किल हो जाता है। यह समस्या सिर्फ आपके घर तक सीमित नहीं है। हाल ही में एक स्मार्ट पेरेंटिंग सॉल्यूशन कंपनी ‘बाटू टेक्नोलॉजी’ की रिपोर्ट में बताया गया कि 95% भारतीय पेरेंट्स अपने बच्चों की स्क्रीन लत को लेकर चिंतित रहते हैं। हालांकि घबराने की जरूरत नहीं है। थोड़ी समझदारी और सही प्लानिंग से बच्चों के स्क्रीन टाइम को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले खुद से ये 5 जरूरी सवाल पूछिए- इन सवालों को पूछने का मकसद खुद की आदतों और भूमिका को पहचानना है। जब आप अपनी जिम्मेदारी समझेंगे, तभी इस समस्या को आसानी से हल कर सकेंगे। स्क्रीन टाइम का बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर गहरा असर बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के उपाय जानने से पहले यह समझना जरूरी है कि इसका उनकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर क्या असर पड़ता है। जब तक आप इसका वास्तविक नुकसान नहीं समझेंगे, तब तक समाधान की दिशा में गंभीर कदम उठाना मुश्किल होगा। हाल ही में मैंने नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी देखी। इसके मुताबिक, अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों की सोशल और इमोशनल ग्रोथ में बाधा बन सकता है। इससे मोटापा, नींद न आना, डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे बच्चे अक्सर गुस्सैल और जिद्दी भी हो जाते हैं। वहीं यूएस बेस्ड मेंटल हेल्थ रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन ‘सेपियन लैब्स’ के एक सर्वे के मुताबिक, जिन बच्चों को जल्दी स्मार्टफोन दे दिया जाता है, उनमें मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स का खतरा भी उतनी ही जल्दी बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, ज्यादा स्क्रीन टाइम से बच्चों के दिमाग में डोपामाइन नामक न्यूरो ट्रांसमीटर का लेवल बढ़ सकता है। इससे उन्हें ध्यान केंद्रित करने में समस्या होती है। धीरे-धीरे ये आदत उनकी याददाश्त को भी प्रभावित करने लगती है और इसका सीधा असर उनकी पढ़ाई पर पड़ता है। इस तरह स्क्रीन टाइम बच्चों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर गहरा असर डालता है। बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने के तरीके बात करें बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने की तो ये पेरेंट्स के लिए एक बड़ी चुनौती है। लेकिन सही रणनीति और थोड़े संयम के साथ इसे पूरी तरह मैनेज किया जा सकता है। बात बस इतनी है कि हमें इसकी शुरुआत खुद से करनी होगी। अगर आप खुद हर समय मोबाइल में लगे रहते हैं तो बच्चा भी वही सीखेगा। इसलिए सबसे पहले अपनी आदतों पर काम करें। वहीं अगर बच्चे की बात करें तो उसे पहले से ही मोबाइल की लत लग चुकी है तो यह एकदम से नहीं छूटेगी। इसके लिए धीरे-धीरे एक सिस्टम बनाना होगा। जैसे दिनभर में स्क्रीन के लिए एक से दो घंटे का एक तय समय रखें। इस दौरान भी नजर रखें कि वह फोन में कैसा कंटेंट देख रहा है। बड़े बच्चे को समझाएं कि ज्यादा स्क्रीन टाइम से उसकी आंखों, नींद, पढ़ाई और दिमाग पर क्या असर पड़ सकता है। लेकिन उसे डराने के बजाय भरोसे से बात करें। उसे यह भी बताएं कि मोबाइल से हटकर जीवन में और कितनी सारी मजेदार चीजें है। उसे परिवार के साथ समय बिताने के लिए प्रेरित करें। सबसे जरूरी बात इस बदलाव में समय लगेगा। इसके लिए धैर्य रखना होगा, लेकिन अगर लगातार प्रयास करेंगे तो यकीन मानिए, बदलाव जरूर आएगा। इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखें। पेरेटिंग में न करें ये आम गलतियां जब बात बच्चों का स्क्रीन टाइम कम करने की आती है तो कई बार माता-पिता जाने-अनजाने कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो उल्टा असर डालती हैं। इनसे बचना बेहद जरूरी है। जैसेकि- अंत में यही कहूंगा कि अगर आप चाहते हैं कि बच्चे का स्क्रीन टाइम कम हो, तो पहले खुद का स्क्रीन टाइम कम करे। जब आप उसके साथ वक्त बिताएंगे तो वह खुद-ब-खुद मोबाइल से दूरी बनाना शुरू कर देगा। ……………… पेरेंटिंग की ये खबर भी पढ़िए पेरेंटिंग- मेरी 9 साल की बेटी को जल्दी आएंगे पीरियड्स: मैं उसे इस बारे में अभी से कैसे बताऊं, शर्म और संकोच महसूस होता है आज के समय में बच्चियों को इस बारे में सही जानकारी देना बहुत जरूरी है ताकि वे खुद को और अपनी शरीर को अच्छे से समझ सकें। लेकिन अफसोस है कि हमारे देश में पीरियड्स को लेकर इतनी कम जागरूकता है कि इक्कीसवीं सदी में भी लोग इस पर बात करने में शर्म महसूस करते हैं। पूरी खबर पढ़िए…