पेरेंटिंग- मेरी 9 साल की बेटी को जल्दी आएंगे पीरियड्स:मैं उसे इस बारे में अभी से कैसे बताऊं, शर्म और संकोच महसूस होता है

सवाल- मैं यूपी की रहने वाली हूं। मेरी बेटी 9 साल की है। मुझे पता है कि जल्द ही मेरी बेटी को पीरियड होंगे। लेकिन मुझे इस विषय पर अपनी बेटी से बात करने में संकोच हो रहा है। वजह ये है कि मेरी परवरिश भी बहुत कंजरवेटिव तरीके से हुई, जहां पीरियड एक बड़ा टैबू हुआ करता था। हम लड़कियों को इसे हमेशा छिपाने के लिए कहा जाता था। लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरी बेटी के साथ भी ऐसा हो। मैं अपनी बेटी के लिए एक मॉडर्न मम्मी बनना चाहती हूं। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि उसे इस बारे में कैसे समझाऊं? कृपया मेरी मदद करें। एक्सपर्ट: रिद्धि दोषी पटेल, चाइल्ड एंड पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट, मुंबई जवाब- मैं आपकी चिंता समझ सकती हूं। यह सच है कि हमारे समाज में पीरियड्स को लेकर बहुत सी गलतफहमियां और टैबू हैं। लेकिन यह अच्छी बात है कि आप अपनी बेटी के लिए एक खुला और सकारात्मक माहौल बनाना चाहती हैं। आज के समय में बच्चियों को इस बारे में सही जानकारी देना बहुत जरूरी है ताकि वे खुद को और अपनी शरीर को अच्छे से समझ सकें। लेकिन अफसोस है कि हमारे देश में पीरियड्स को लेकर इतनी कम जागरूकता है कि इक्कीसवीं सदी में भी लोग इस पर बात करने में शर्म महसूस करते हैं। महिलाओं को अपने पीरियड्स के दाग छिपाने पड़ते हैं। उन्हें सैनेटरी पैड्स को अपने भाई और पिता की नजरों से छिपाकर रखना पड़ता है। यही वजह है कि वह शर्म और टैबू की भावना से उबर नहीं पाती हैं। ऐसे में बच्चियों को पीरियड्स के बारे में खुलकर जानकारी देनी चाहिए, जिससे पीरियड शुरू होने से पहले उन्हें पता हो कि उनकी बॉडी में क्या बदलाव होने वाला है। मां की बच्ची के प्रति जिम्मेदारी एक मां के तौर पर आपकी जिम्मेदारी है कि अपनी बेटी को समय रहते धीरे-धीरे इस बदलाव के लिए तैयार करें। ताकि जब उसके साथ पहली बार ऐसा हो तो वह बिना डरे और बिना घबराए इसका सामना करे। साथ ही उसे पहले से पता हो कि ये एक नेचुरल प्रोसेस है। उसे यह भी बताएं कि यह सिर्फ उसके साथ नहीं हो रहा, बल्कि उसकी क्लासमेट्स, टीचर्स, यहां तक कि उसकी फेवरेट एक्ट्रेस और दुनिया की हर महिला के साथ होता है। यह महिला शरीर का एक सामान्य हिस्सा है और इसे जानना, समझना और स्वीकार करना जरूरी है। आप चाहें तो उसे समझाने के लिए बायोलॉजी की किताब, फीमेल बॉडी चार्ट या यूट्यूब पर मौजूद भरोसेमंद एजुकेशनल वीडियोज का सहारा ले सकती हैं। कहानियों और उदाहरणों के जरिए भी इस विषय को सहज और रोचक बनाकर बताया जा सकता है, ताकि वह अपने शरीर के बदलावों को बेहतर तरीके से समझ सके और खुद को लेकर आत्मविश्वासी महसूस करे। बच्ची को धीरे-धीरे मानसिक रूप से तैयार करें आपकी जिम्मेदारी है कि बच्ची को अभी से धीरे-धीरे मानसिक रूप से पीरियड के लिए तैयार करें। उसे यह जरूर बताएं कि पहली बार जब ऐसा हो तो डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य और नेचुरल प्रक्रिया है। आप चाहें तो अपना अनुभव भी साझा कर सकती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि अगर आपका पहला अनुभव डरावना या नेगेटिव रहा है तो उसे बिल्कुल न बताएं। कई बार लड़कियों को पहली बार पीरियड्स आते समय कुछ भी जानकारी नहीं होती और वे सोचती हैं कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी हो गई है। इस तरह का डर बच्ची के मन में न बैठे, इसलिए जरूरी है कि आप उसे पॉजिटिव और सटीक जानकारी दें। अगर पहली बार स्कूल में पीरियड हो तो बच्ची क्या करे बच्ची को बताएं कि अगर पहली बार उसे स्कूल में पीरियड हो तो वह तुरंत किसी महिला टीचर के पास जाए और उन्हें धीरे से बताए कि उसे क्या हुआ है। टीचर्स ऐसे मौकों पर मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। वहीं अगर वह किसी रिश्तेदार के घर पर है और अचानक उसे पीरियड्स आ जाएं तो वह डरे नहीं, बल्कि जो भी महिला पास में हों (बुआ, चाची, मौसी या दादी) उनके पास जाए और उन्हें बताए। यह बहुत जरूरी है कि बच्ची को पहले से ये भरोसा और तैयारी दी जाए कि ऐसी स्थिति में क्या करना है। इससे वह खुद को असहाय या अकेला महसूस नहीं करेगी। इस तरह पॉजिटिव तरीके से बच्ची को आने वाले दो-तीन सालों में इस बात के लिए धीरे-धीरे करके तैयार करिए कि ऐसा एक दिन होगा। इससे वह मेंटली इस चीज के लिए तैयार होगी। बच्ची को समझाने के लिए नीचे ग्राफिक में दिए कुछ और तरीके भी अपना सकती हैं। बेटी को पीरियड के बारे में वैज्ञानिक तरीके से बताएं इसके बाद बच्ची को धीरे-धीरे एक फीमेल बॉडी की डिजाइन के बारे में बताएं। जैसेकि पीरियड्स क्या होते हैं, ये क्यों होते हैं और उनके शरीर के लिए कितने जरूरी हैं। ये सारी बातें उसे वैज्ञानिक तरीके से बताएं, समझाएं और इस बारे में सहज करें। ये चीजें बच्ची के लिए मददगार साबित होंगी। इससे उसमें ये 8 बदलाव होंगे। बच्ची के हर सवालों का दें समुचित जवाब अगर बातचीत के दौरान बेटी पीरियड्स को लेकर कुछ सवाल पूछती है तो बहुत ही सहज तरीके इसका जवाब दें। ताकि बच्ची इस प्रक्रिया को समझ सके। बच्ची को बताएं कि इस उम्र में उसे किन बातों को लेकर सावधानियां बरतनी हैं। धीरे-धीरे उसे ये भी बताएं कि पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल का तरीका भी बताएं। उसको ये जानकारी भी दें कि पीरियड लगभग कितने दिन होते हैं। इसका साइकल कितने दिन में पूरा होता है। बेटी के साथ रखें दोस्ती का रिश्ता इस उम्र में मां को बच्ची की दोस्त बनकर रहना चाहिए। अगर आप चाहती हैं कि बेटी खुलकर आपसे हर बात शेयर करे तो उसके साथ ज्यादा समय बिताएं। इससे वह सहज होगी और बिना डरे हर बात आपसे शेयर करेगी। आपकी ये भी जिम्मेदारी है कि इस उम्र में बेटी की शरीर में आने वाले बदलावों पर गौर करें। जब बेटी बात-बात पर गुस्सा और चिड़चिड़ी होने लगे या लंबे समय तक सोती रहे तो ये संकेत है कि उसकी बॉडी प्यूबर्टी के बदलावों से गुजर रही है। पीरियड एजुकेशन में बेटे को भी करें शामिल अगर आपका बेटा है तो उसे भी पीरियड के बारे में बताएं कि ये एक नेचुरल फिजिकल प्रोसेस है, जो लड़कियों और महिलाओं को होती है। उसे यह भी बताएं कि इस दौरान लड़कियों को पेट में ऐंठन, मूड स्विंग्स या थकान जैसे फिजिकल और इमोशनल बदलावों का अनुभव होता है। इससे वे अपनी मां-बहन और दोस्त या परिवार की अन्य महिलाओं के प्रति अधिक सहानुभूति रखते हैं। साथ ही घर में एक खुला और सपोर्टिव माहौल बनता है, जहां पीरियड्स के बारे में बात करना सहज हो जाता है। अंत में यही कहना चाहूंगी कि हर पेरेंट की जिम्मेदारी है कि वह बेटी को पीरियड्स आने से पहले इस बारे में सहज महसूस कराएं। उसे बताएं कि इसमें शर्म या छुपाने जैसी कोई बात नहीं है। साथ ही घर का माहौल भी इतना सहज और सकारात्मक रखें कि बच्ची किसी भी तरह की परेशानी को लेकर खुलकर बात कर सके। जब आप भरोसे का माहौल देंगे, तभी बच्ची आत्मविश्वास के साथ इन बदलावों को स्वीकार कर पाएगी। ………………… पेरेंटिंग की ये खबर भी पढ़िए पेरेंटिंग- अमीर बच्चों की संगत से बिगड़ रहा बच्चा: बच्चे को बिना डांटे बुरी संगत से कैसे बचाएं, पेरेंटिंग साइकोलॉजिस्ट के 7 सुझाव सवाल- मैं हरियाणा का रहने वाला हूं। मेरा बेटा 11वीं क्लास में पढ़ता है। शुरुआत में वह पढ़ने में काफी अच्छा था, लेकिन पिछले कुछ समय से पढ़ाई में उसका मन नहीं लग रहा है। स्कूल में शायद ऐसे लोगों से उसकी दोस्ती हो रही है, जो बहुत अमीर घरों से आते हैं। उसका रहन-सहन और खानपान बदल रहा है। ये बात हम उसे कैसे समझाएं कि पेरेंट्स से ज्यादा दोस्तों के नजदीक होना और उन पर भरोसा करना ठीक नहीं है। कृपया मुझे इस स्थिति से निपटने के लिए मार्गदर्शन करें। पूरी खबर पढ़िए…