हिन्दी पंचांग का दसवां महीना पौष शुरू हो गया है, ये महीना 13 जनवरी तक रहेगा। ये मास ठंड के दिनों में मार्गशीर्ष के बाद और माघ से पहले आता है। पौष मास में खासतौर पर सूर्य देव की पूजा करने की परंपरा है। इन दिनों में रोज सुबह सूर्य की धूप में बैठने की भी सलाह दी जाती है। पौष शब्द का शाब्दिक अर्थ है पोषण और पौष मास यानी पोषण करने वाला महीना। इस महीने में सुबह-सुबह सूर्य की किरणें शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं, शरीर को विटामिन डी मिलता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है और हम मौसमी बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं। सूर्य से हमें स्वास्थ्य लाभ मिल सके, इसलिए पौष मास में सूर्य पूजा करने की परंपरा है। सूर्य के साथ ही इस महीने में भगवान विष्णु की भी भक्ति करनी चाहिए। सूर्य पूजा से मिलती है ऊर्जा और सकारात्मकता उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पौष मास के प्रमुख देवता सूर्य हैं। सूर्य पंचदेवों में से एक और एकमात्र प्रत्यक्ष दिखाई देने वाले भगवान हैं। पौष मास में सूर्य की पूजा करने से जीवन का अंधकार दूर होता है, समस्याओं का सामना करने की शक्ति बढ़ती है। ऊर्जा और सकारात्मकता मिलती है। सूर्य पूजा करने के कई तरीके हैं। जैसे रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य दे सकते हैं, सूर्य मंत्र का जप कर सकते हैं, सूर्य नमस्कार कर सकते हैं और सूर्य देव से जुड़ी चीजें जैसे गुड़, पीले वस्त्रों का दान कर सकते हैं।
ये मान्यताएं भी जुड़ी हैं पौष मास से
ये मान्यताएं भी जुड़ी हैं पौष मास से