प्रकृति हमें नौ ग्रहों के प्रभाव से सिखाती है कि हमेशा परिवार के साथ रहने से उन्नति और समृद्धि मिलेगी। प्रकृति हमें परिवार के साथ रहने का संदेश देती है। आइए इसे ज्योतिष के नजरिये से समझते हैं … पेड़ की जड़ों पर चंद्रमा, तने पर सूर्य और शाखाओं पर मंगल का प्रभाव होता है। इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से ही पेड़ का अस्तित्व होता है। इसी तरह परिवार में चंद्रमा माता, बहन और बेटी का कारक होता है। सूर्य पिता का और मंगल भाई का कारक होता है। जब पेड़ पर हरियाली होती है तो उस पर बुध का प्रभाव होता है। पेड़ पर फल और फूल गुरु के प्रभाव से होते हैं। इसी तरह परिवार में खुशी और समृद्धि बुध-गुरु लाते हैं।
जो पत्ते स्वतंत्रता या तेजी से बढ़ने के स्वार्थ से पेड़ से अलग होते हैं वो सड़कर खत्म हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में स्वार्थ शनि, पेड़ से अलग स्वतंत्र रहना केतु और सड़ जाना राहु के प्रभाव से होता है। ये ही बात परिवार के लिए होती है। घर का जो सदस्य स्वार्थ की भावना यानी शनि के प्रभाव से स्वार्थी होकर केतु यानी स्वतंत्र या अलग रहने का फैसला करता है वो राहु के प्रभाव से नष्ट हो जाता है। इसी तरह प्रकृति नौ ग्रहों का प्रभाव हमें समझाती है।
जो पत्ते स्वतंत्रता या तेजी से बढ़ने के स्वार्थ से पेड़ से अलग होते हैं वो सड़कर खत्म हो जाते हैं। इस प्रक्रिया में स्वार्थ शनि, पेड़ से अलग स्वतंत्र रहना केतु और सड़ जाना राहु के प्रभाव से होता है। ये ही बात परिवार के लिए होती है। घर का जो सदस्य स्वार्थ की भावना यानी शनि के प्रभाव से स्वार्थी होकर केतु यानी स्वतंत्र या अलग रहने का फैसला करता है वो राहु के प्रभाव से नष्ट हो जाता है। इसी तरह प्रकृति नौ ग्रहों का प्रभाव हमें समझाती है।