प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) इस साल बुरी तरह फ्लॉप होती नजर आ रही है। इस साल ग्रामीण भारत में पक्का मकान बनाने की संख्या अब तक के निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस साल महज 0.06 प्रतिशत मकान ही बन पाया है। ऐसे में सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
31 मार्च 2022 तक 2.47 करोड़ घर का लक्ष्य
बता दें कि सरकार ने 31 मार्च 2022 तक 2.47 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 1.21 करोड़ घर मार्च 2019 से मार्च 2022 तक पूरे होने हैं। 6 अक्टूबर तक 1.68 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है। यह दूसरे चरण के तहत पूरे किए जाएंगे। ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से इस बारे में समीक्षा की गई है। इसमें खुलासा हुआ है कि सरकार ने इस साल में 61.50 लाख मकान बनाने का लक्ष्य रखा था। इसके एवज में अब तक महज 2,880 घर ही बन पाए हैं।
इसके पीछे कारण बताया गया है कि राज्यों ने जिलों को अभी तक लक्ष्य नहीं दिया है। जब तक जिलों को लक्ष्य नहीं मिलेगा, तब तक इसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएगी।
दूसरे चरण में 64 प्रतिशत मकान बने
आंकड़े बताते हैं कि अब तक दूसरे चरण में केवल 64 प्रतिशत ही मकान को मंजूरी मिली है। दरअसल इस वित्तीय वर्ष के शुरू होते ही कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन शुरू हो गया था। इस वजह से यह प्रक्रिया थम सी गई है। 2019-20 में पक्के घरों का निर्माण काफी धीमा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि जिन राज्यों में पक्के घरों के निर्माण की प्रक्रिया धीमी रही है उसमें असम, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, जम्मू एंड कश्मीर, मेघालय, नगालैंड, तमिलनाडु, मिजोरम आदि हैं। इनमें दूसरे चरण के तहत घरों के पूरा होने का औसत राष्ट्रीय स्तर की तुलना में 39 प्रतिशत के करीब रहा है।
13 राज्यों में 99 प्रतिशत घरों के निर्माण में देरी
आंकड़ों के मुताबिक 13 राज्यों में 99 प्रतिशत घरों के निर्माण में देरी हुई है। इसका मतलब यह हुआ कि कुल 6.39 लाख घरों के निर्माण में देरी हुई है। मजे की बात यह है कि बिहार में विधानसभा चुनाव हैं और वहां पर भी घरों के निर्माण में देरी हुई है। वहां पर कुल एक लाख 77 हजार 921 घर बनने थे। इसमें से 97,362 घर 2016-17 में पूरा हो गए थे। मध्य प्रदेश में 64,163 और महाराष्ट्र में 48,674 घरों के निर्माण में देरी हुई है।
बता दें कि प्रधानमंत्री ने साल 2014 में सभी को 2022 तक घर देने की घोषणा की थी। पीएमएवाई की वेबसाइट के मुताबिक, 2015 में इसके तहत 7.26 लाख घर, 2016 में 16.76 लाख, 2017 में 41.63, 2018 में 80.33 और 2019 में एक करोड़ से ज्यादा घरों के निर्माण के लिए मंजूरी दी गई।