प्राइवेट लैब और अस्पतालों की लापरवाही के चलते 1600 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज जांच कराने के बाद लापता हो गए हैं। उनका न घर का एड्रेस मिल रहा है और न मोबाइल नंबर ट्रेस हो पा रहा। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस इनकी तलाश में जुटी है। हैरानी की बात यह है कि ये लापता संक्रमित मरीज न जाने कितने लोगों को संक्रमित कर रहे होंगे। मामला जिला प्रशासन के संज्ञान में आने पर प्रशासन ने लैब व अस्पताल प्रबंधकों को सख्त लहजे में चेतावनी दी है।
प्रशासन ने साफ कहा कि आईसीएमआर व केंद्र सरकार की गाइड लाइन का पालन न करने पर ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इतनी बड़ी संख्या में संक्रमित मरीज पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। यही नहीं पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग ने लापता हुए 95 संक्रमित मरीजों की लिस्ट पुलिस विभाग को तलाश के लिए सौंपी थी। उसमें से महज 30 का ही पता चल पाया। लापता हुए ये संक्रमित मरीज कोरोना बम बनकर घूम रहे हैं।
पॉजिटिव लापता की तलाश में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के छूट रहे पसीने
कमाई के लालच में लैब व अस्पताल कर रहे गड़बड़ी
शहर में कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या और सरकारी टेस्ट की क्षमता कम होने के कारण बड़ी संख्या में लोग प्राइवेट लैब और प्राइवेट अस्पतालों में अपना कोरोना टेस्ट करा रहे हैं। जांच में जो लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं अस्पताल प्रबंधन और लैब संचालक उनकी रिपोर्ट आईसीएमआर पोर्टल पर अपलोड तो कर रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग की टीम जब उनके अपलोड पते पर पहुंचती है तो वहां उस नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं मिलता। यही नहीं ऐसे मरीजों के मोबाइल नंबर तक ट्रेस नहीं हो रहे हैं। इनकी संख्या एक-दो नहीं बल्कि 1600 से अधिक है।
कागजों का वेरिफिकेशन किए बगैर ही कर रहे जांच
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि सरकार ने जिन लैबों को कोरोना जांच के लिए अधिकृत किया है वे कागजों का वेरिफिकेशन किए बगैर ही लोगों की जांच कर रही हैं। ये न संबंधित व्यक्ति के आईडी का सत्यापन कर रही और ही न उनके मोबाइल नंबर का। यही कारण है कि लोग अपना गलत पता और मोबाइल नंबर लिखाकर गायब हो रहे हैं। डीसी यशपाल यादव ने खुद माना कि ऐसे 1600 से अधिक लोग हैं जो आईसीएमआर पोर्टल के डाटा से मिस मैच हो रहे हैं। उन्होंने माना इतनी बड़े संख्या में लोगों के गायब होने में लैब और अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही है।
95 में से 30 मिले, 65 का अभी भी पता नहीं चला| स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों 95 संक्रमित मरीजों की एक लिस्ट पुलिस को सौंपी गई थी। इनके न घर का पता चल रहा था और न मोबाइल नंबर का। पुलिस ने जांच पड़ताल कर 30 मरीजों का पता तो लगा लिया लेकिन 65 मरीज अभी भी उनके राडार पर नहीं आ पाए।
हमनें लैब व अस्पताल संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें साफ कह दिया है कि केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार मरीजों के कागजात का वेरिफिकेशन और मोबाइल नंबर की जांच करने के बाद ही कोरोना की जांच करें। ऐसा सिस्टम अपनाएं जिससे मरीज के मोबाइल पर ओटीपी से उसका सत्यापन हो सके। यदि कोई इस निर्देश का उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
-यशपाल यादव, डीसी फरीदाबाद