हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का एक्सपोजर बहुत ज्यादा है। लंच बॉक्स और पानी की बोतल से लेकर शैम्पू के डिब्बे व किचन के कंटेनर तक, हम प्लास्टिक से बनी बहुत सी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक में मौजूद कुछ केमिकल हमारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। हाल ही में ‘द लैंसेट ई-बायोमेडिसिन’ जर्नल में पब्लिश एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, प्लास्टिक को मुलायम बनाने के लिए Di(2-ethylhexyl) phthalate (DEHP) नामक एक खास केमिकल का इस्तेमाल होता है। इस केमिकल का कनेक्शन हार्ट डिजीज से होने वाली मौतों से जुड़ा है। DEHP फूड कंटेनर, मेडिकल इक्विपमेंट्स, खिलौने और ब्यूटी प्रोडक्ट्स जैसी आम चीजों में पाया जाता है। स्टडी के मुताबिक, DEHP के संपर्क में आने से साल 2018 में 55-64 साल के करीब 3.5 लाख लोगों की मौतें हुई थीं। ये सभी मौतें हार्ट डिजीज से जुड़ी थीं। इनमें से 1 लाख 3 हजार से ज्यादा मौतें अकेले भारत में दर्ज की गई, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। चीन और इंडोनेशिया जैसे बड़े प्लास्टिक उत्पादक देशों में भी इसके कारण हजारों मौतें हुईं। ये स्टडी न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा दुनिया के 200 देशों में की गई है। स्टडी बताती है कि प्लास्टिक में मौजूद यह केमिकल हमारी सेहत के लिए गंभीर खतरा है और इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। तो चलिए, आज फिजिकल हेल्थ कॉलम में हम DEHP के संभावित खतरों के के बारे में बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- DEHP क्या है? DEHP एक तरह का केमिकल है, जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक को मुलायम बनाने के लिए किया जाता है। इसे प्लास्टिसाइजर भी कहा जाता है। यह पर्यावरण के लगभग सभी हिस्सों में मौजूद है। इंडस्ट्रियल इलाकों में इसकी मात्रा ज्यादा होती है। आम लोग और कारखानों में काम करने वाले दोनों ही इसके संपर्क में आ सकते हैं। पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) प्लास्टिक से बनी चीजों में इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है। हालांकि हर प्रोडक्ट में इसकी मात्रा अलग-अलग हो सकती है। किस तरह के प्रोडक्ट्स में DEHP का ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- DEHP ऐसे पहुंचता शरीर के अंदर यह केमिकल भोजन, पानी, स्किन के संपर्क और हवा में सांस लेने के माध्यम से शरीर में जा सकता है। जैसे प्लास्टिक फूड कंटेनर में गर्म खाना पैक करने व उसे माइक्रोवेव में गर्म करने से DEHP खाने के जरिए अंदर जा सकता है। साथ ही इसके छोटे कण हवा में मौजूद रहते हैं, जो सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। वहीं लोशन और क्रीम जैसे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से भी ये केमिकल शरीर में जा सकते हैं। इसके अलावा खून चढ़ाने और डायलिसिस जैसी मेडिकल प्रक्रियाओं के दौरान भी ये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। DEHP सेहत के लिए बेहद खतरनाक ये केमिकल शरीर के हॉर्मोन का संतुलन बिगाड़ सकता है। इससे सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से शरीर में इंफ्लेमेशन बढ़ सकता है, जो हार्ट डिजीज के खतरे का कारण बन सकता है। साथ ही ये केमिकल शरीर में चर्बी को ठीक से पचने नहीं देते। इससे मोटापा, डायबिटीज और अन्य गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। चिंताजनक बात ये है कि कम मात्रा में भी रोजाना संपर्क में रहने से ये शरीर में धीरे-धीरे जमा होते रहते हैं और लंबे समय में खतरा बढ़ाते हैं। इससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- फूड कॉन्टैक्ट प्लास्टिक में DEHP के इस्तेमाल पर तय है लिमिट भारत में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने फूड कॉन्टैक्ट प्लास्टिक में DEHP की माइग्रेशन लिमिट तय की है। FSSAI ने इसकी सीमा 1.5 मिलीग्राम/किलोग्राम तय की है। यह नियम 31 अगस्त 2022 से लागू है। इसका उद्देश्य खाने के संपर्क में आने वाले प्लास्टिक को सुरक्षित रखना है। हालांकि नॉन-फूड प्लास्टिक प्रोडक्ट्स और मेडिकल इक्विपमेंट्स में अभी भी इसका इस्तेमाल खूब होता है। DEHP के खतरे से बचना जरूरी हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले कई प्रोडक्ट्स में DEHP मौजूद होता है। इसलिए इससे बचना थोड़ा चैलेंजिंग है। हालांकि इसके खतरे से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं। इसमें सबसे जरूरी कदम ये है कि जहां तक संभव हो, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से बचें। इसके अलावा और कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए- DEHP और प्लास्टिक के नुकसानों जुड़े कॉमन सवाल-जवाब सवाल- क्या सभी तरह के प्लास्टिक खतरनाक होते हैं? जवाब- सभी तरह के प्लास्टिक एक जैसे खतरनाक नहीं होते। लेकिन कुछ दूसरों की तुलना में ज्यादा नुकसानदायक केमिकल छोड़ते हैं। प्लास्टिक प्रोडक्ट्स पर दिए गए रेजिन आइडेंटिफिकेशन कोड (RIC) जैसे 1, 2, 4, 5, उनकी पॉलिमर संरचना के बारे में जानकारी देते हैं। ये आमतौर पर खाने-पीने के सामान के लिए सुरक्षित माने जाते हैं, लेकिन इनका भी सीमित इस्तेमाल करना बेहतर है। लेकिन सभी कोड सुरक्षित नहीं हैं। नंबर 3 (पॉलीविनाइल क्लोराइड), 6 (पॉलीस्टाइरीन) और 7 (अन्य प्लास्टिक, जिनमें BPA जैसे केमिकल हो सकते हैं) से बने प्लास्टिक से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि इनमें नुकसानदायक केमिकल्स हो सकते हैं। सवाल- क्या बच्चों को DEHP से ज्यादा खतरा होता है? जवाब- हां, बच्चों को DEHP से ज्यादा खतरा हो सकता है क्योंकि उनका शरीर अभी डेवलप हो रहा होता है और वे बड़ों की तुलना में केमिकल के प्रति ज्यादा सेंसिटिव होते हैं। बच्चे प्लास्टिक के खिलौनों को मुंह में डाल सकते हैं, जिससे DEHP सीधे उनके शरीर में जा सकता है। इसके अलावा प्रेग्नेंसी के दौरान DEHP के संपर्क में आने से बच्चों में डेवलपमेंटल प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। सवाल- क्या सभी तरह के मुलायम प्लास्टिक में DEHP होता है? जवाब- नहीं, सभी तरह के मुलायम प्लास्टिक में DEHP नहीं होता है। इसके अलावा थैलेट एस्टर, एडिपेट्स, सिट्रेट्स और बायो-बेस्ड प्लास्टिसाइजर भी इस्तेमाल किए जाते हैं। प्रोडक्ट पर लेबल देखकर यह जान सकते हैं कि इसमें कौन से केमिकल का इस्तेमाल हुआ है। सवाल- क्या शरीर में DEHP का पता लगाने के लिए कोई मेडिकल टेस्ट होता है? जवाब- हां, इसका पता लगाने के लिए यूरिन टेस्ट उपलब्ध हैं, जो DEHP के मेटाबोलाइट्स की मात्रा माप सकते हैं। हालांकि ये टेस्ट आमतौर पर ज्यादा एक्सपोजर के मामलों में किए जाते हैं। डॉक्टर इसी के आधार पर इलाज करते हैं। …………………… फिजिकल हेल्थ की ये खबर भी पढ़िए फिजिकल हेल्थ- ज्यादा गर्मी में बढ़ता हार्ट अटैक का खतरा: 233% तक बढ़ सकता है जोखिम, डॉक्टर से जानें किसे ज्यादा रिस्क अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल के मुताबिक, चीन के जिआंग्सू प्रांत में महज 5 साल में 2 लाख से ज्यादा हार्ट अटैक के मामले दर्ज किए गए। इनमें से ज्यादातर मौतें हीट वेव और एयर पॉल्यूशन के कारण हुई थीं। यह स्टडी भले सिर्फ चीन की है, बढ़ती गर्मी से हार्ट अटैक का जोखिम भारत में भी बढ़ रहा है। पूरी खबर पढ़िए…