फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर अब जरूरी सामानों की लिस्ट से बाहर, अब देश में इनकी पर्याप्त आपूर्ति

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला फेस मास्क (2 प्लाई एवं 3 प्लाई सर्जिकल मास्क, एन95 मास्क) और हैंड सैनिटाइजर अब आवश्यक वस्तु नहीं रहे हैं। केंद्र सरकार ने इन दोनों वस्तुओं को एसेंशियल कमोडिटी एक्ट-1955 से बाहर निकाल दिया है। उपभोक्ता मामलों की सचिव लीना नंदन ने मंगलवार को कहा कि देश में पर्याप्त आपू्र्ति होने के कारण इन दोनों वस्तुओं को आवश्यक वस्तुओं की सूची से बाहर निकाला है।

13 मार्च को एसेंशियल कमोडिटी में शामिल किया था

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 13 मार्च को फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर्स को 100 दिनों के लिए आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल किया था। कोरोनावायरस से लड़ाई में आपूर्ति बढ़ाने और जमाखोरी रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया था। लीना नंदन ने कहा कि इन दोनों वस्तुओं को 30 जून तक के लिए आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल किया था। देश में पर्याप्त आपूर्ति होने के कारण हम इसे आगेबढ़ा नहीं रहे हैं।

राज्यों से सलाह के बाद लिया फैसला

उन्होंने कहा कि इन दोनों वस्तुओं की उपलब्धता को लेकर राज्यों से जानकारी मांगी थी। राज्यों ने कहा है कि अब इन वस्तुओं की आपूर्ति को लेकर कोई समस्या नहीं है। लीना ने कहा कि राज्य सरकारों से विचार-विमर्श के बाद ही यह फैसला लिया है। मास्क और हैंड सैनिटाइजर को एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में शामिल करने से राज्यों को इनका उत्पादन रेगुलेट करने और वितरण में मदद मिली है।

क्या है एसेंशियल कमोडिटी एक्ट?

एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के तहत आने वाली वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना और उनकी बिक्री अधिकतम खुदरा कीमत यानी एमआरपी पर सुनिश्चित करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है और कालाबाजारी के खिलाफ कार्रवाई करने की शक्ति भी राज्य सरकार के पास होती है।

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एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के तहत आने वाली वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना और उनकी बिक्री अधिकतम खुदरा कीमत यानी एमआरपी पर सुनिश्चित करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है।