बंटे मन वाले कौरव हारे, एकजुट पांडव जीते:महाभारत से सीखें एकता का महत्व: परिवार और टीम में एकजुटता कैसे बनाए रखें?

महाभारत में पांडवों ने जुए में अपना राज्य और सबकुछ खो दिया था। इसके बाद पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास भुगतना पड़ा। कौरव और पांडवों के बीच ये तय हुआ था कि जब वे वनवास और अज्ञातवास पूरा कर लेंगे, तब कौरव उन्हें उनका राज्य वापस लौटा देंगे। जब पांडव 13 वर्षों के बाद कौरवों के पास राज्य मांगने पहुंचे तो दुर्योधन ने उन्हें राज्य लौटाने से मना कर दिया। बहुत समझाने के बाद भी दुर्योधन ने पांडवों को उनका हक नहीं दिया। अब पांडवों के पास युद्ध के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। युद्ध को लेकर पांडवों में संदेह था। उन्होंने सोचा कि हम सिर्फ पांच हैं और कौरवों के पास विशाल सेना है। उनके साथ भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण जैसे महायोद्धा भी हैं, इतने लोगों से हम कैसे जीत पाएंगे? तब श्रीकृष्ण ने पांडवों जीवन का एक बहुत बड़ा मंत्र दिया, भगवान ने कहा कि ये युद्ध हिंसा नहीं, बल्कि सत्य की रक्षा का संघर्ष है। कौरवों की संख्या भले अधिक है, पर उनके बीच एकता नहीं है। उनके मन बंटे हुए हैं। जबकि तुम पांच हो, लेकिन तुम्हारे मन एक हैं। एकता सबसे बड़ी शक्ति है। यही एकता तुम्हारी जीत का आधार बनेगी। बाद में श्रीकृष्ण की ये बात सच साबित हो गई और पांडवों ने कौरवों को पराजित कर दिया। प्रसंग की सीख इस प्रसंग से एक बहुत महत्वपूर्ण जीवन प्रबंधन की सीख मिलती है – संख्या नहीं, एकता मायने रखती है। कई लोग सोचते हैं कि हमारे पास संसाधन कम हैं, लोग कम हैं, तो हम बड़ा लक्ष्य कैसे हासिल कर पाएंगे? लेकिन अगर टीम में एकजुटता है, परस्पर विश्वास और सहयोग की भावना है तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। पांडवों की जीत हमें सिखाती है कि एकजुटता, नैतिकता और सत्य की राह पर चलना ही सफलता का मार्ग है। चाहे जीवन का कोई भी क्षेत्र हो, अगर हमारे विचार एक हैं, उद्देश्य स्पष्ट हैं और मन में विश्वास है तो छोटी टीम भी बड़ी जीत हासिल कर सकती है। जब लोग एकमत होते हैं, तब असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। एकता ही वह शक्ति है, जो एक सामान्य समूह को विजेता बना देती है। एकता बनाए रखने के लिए 7 बातें ध्यान रखें