बॉम्बे हाईकोर्ट गुरुवार को पूछा कि बदलापुर यौन उत्पीड़न केस के आरोपी की फर्जी मुठभेड़ में मौत मामले में अब तक FIR क्यों नहीं दर्ज की गई। इस पर सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अमित देसाई ने कहा कि सरकार मामले की जांच करा रही है। इसके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया है। यौन शोषण केस में आरोपी अक्षय शिंदे की पुलिस मुठभेड़ में मौत की मजिस्ट्रेट जांच में 5 पुलिसकर्मियों के नाम सामने आए थे। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले की पीठ ने इस मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। महाराष्ट्र के बदलापुर में 12 अगस्त, 2024 को 2 बच्चियों के साथ हुए यौन शोषण हुआ था। मुख्य आरोपी अक्षय शिंदे 17 अगस्त को गिरफ्तार हुआ था। पुलिस एनकाउंटर में 23 सितंबर को मौत हो गई थी। मजिस्ट्रेट जांच में पुलिस के दावों पर शक
बदलापुर यौन शोषण केस मामले में आरोपी अक्षय शिंदे की 23 सितंबर, 2024 में पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। उसे अगस्त में ठाणे के बदलापुर में एक स्कूल के शौचालय में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस पूछताछ के लिए नवी मुंबई के तलोजा जेल से ठाणे के कल्याण ले जाया जा रहा था। पुलिस ने दावा किया कि इसी दौरान उसने एक पुलिसकर्मी से बंदूक छीनकर फायरिंग कर दी। आत्मरक्षा में पुलिस ने भी फायरिंग की। इसमें आरोपी की मौत हो गई। नियमों के मुताबिक मामले में मजिस्ट्रेट जांच हुई। इसकी रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपी गई। रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट आरोपी के पिता के फर्जी मुठभेड़ के आरोप पर सहमति जताई और पुलिसकर्मियों के आत्मरक्षा के दावों पर संदेह जताया। रिपोर्ट में आरोपी की मौत के लिए पांच पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया गया था। आरोपी अक्षय की मां ने शव लेने से इनकार किया था
आरोपी शिंदे की मां ने एनकाउंटर के बाद कहा था कि हम अस्पताल में घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन पुलिसवालों ने हमें अक्षय का शव भी देखने नहीं दिया। अक्षय के खिलाफ यौन शोषण के आरोप साबित नहीं हुए थे। वह पटाखे फोड़ने तक से डरता था। पुलिस पर गोली कैसे चला सकता था। एनकाउंटर एक साजिश है। अब हम उसका शव नहीं लेंगे। अक्षय ने बताया था कि पुलिस वाले उसे पीटते थे। दबाव डालकर बयान भी लिखवाते थे। आरोपी पर गोली चलाने वाले इंस्पेक्टर ने दाउद के भाई को पकड़ा था
आरोपी अक्षय पर गोली चलाने वाले इंस्पेक्टर संजय शिंदे ठाणे क्राइम ब्रांच के एंटी-एक्सटॉर्शन सेल के हेड रह चुके थे। वे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में भी थे। इसी टीम ने 2017 में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के भाई इकबाल कासकर को गिरफ्तार किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 मार्च को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को आजीवन जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें 2006 में गैंगस्टर छोटा राजन के करीबी के फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी माना गया था। प्रदीप शर्मा की टीम के एनकाउंटर की कहानी पर डॉक्युमेंट्री सीरीज भी बन चुकी है। संजय शिंदे के खिलाफ 2012 में इन्क्वायरी भी हुई थी। 2012 में दो हत्या मामलों का आरोपी विजय पलांडे पुलिस हिरासत से भाग निकला था। वह जिस SUV से भागा था, उसमें संजय की वर्दी मिली थी। वे साल 2000 में भी किडनैपिंग केस में विवादों में आए थे। आरोपी ने 1 अगस्त को स्कूल जॉइन किया, 12-13 अगस्त को यौन शोषण किया
बच्चियों से रेप का आरोपी अक्षय शिंदे स्कूल में स्वीपर का काम करता था। वह 1 अगस्त को ही कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। 12 और 13 अगस्त को उसने स्कूल के गर्ल्स वॉशरूम में किंडरगार्टन में पढ़ने वाली 3 और 4 साल की दो बच्चियों का यौन शोषण किया। घटना के बाद दोनों बच्चियां स्कूल जाने से डर रही थीं। एक बच्ची के माता-पिता को शक हुआ तो उन्होंने बेटी से पूछताछ की। इसके बाद बच्ची ने सारी बात बताई। फिर उस बच्ची के माता-पिता ने दूसरी बच्ची के पेरेंट से बात की। इसके बाद दोनों बच्चियों का मेडिकल टेस्ट हुआ, जिसमें यौन शोषण का खुलासा हुआ। दोनों बच्चियों का परिवार जब केस दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचा, तो पुलिस ने भी FIR दर्ज करने में टालमटोल की। पीड़ित परिवारों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं से मदद मांगी। दो दिन बाद 16 अगस्त की देर रात पुलिस ने शिकायत दर्ज की। पुलिस ने 17 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया था। लोगों ने ट्रेनें रोकी थीं, पुलिस पर पथराव किया था घटना को लेकर भीड़ ने 20 अगस्त को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक बदलापुर स्टेशन पर प्रदर्शन किया था। 10 घंटे से ज्यादा लोकल ट्रेनों की आवाजाही रुकी रही। शाम को पुलिस ने लाठीचार्ज कर रेलवे ट्रैक खाली कराया। तब पुलिस पर भीड़ ने पत्थरबाजी भी की थी। कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए बदलापुर स्टेशन पहुंचे, लेकिन उन्हें लौटना पड़ा था। इसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने SIT गठित करने का ऐलान किया। इसके अलावा सरकार ने केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की बात कही थी। राज्य सरकार ने केस दर्ज करने में देरी के आरोप में बदलापुर थाने के महिला पुलिस निरीक्षक समेत 3 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। साथ ही प्रिंसिपल समेत कुछ स्कूल स्टाफ को भी सस्पेंड किया था।
बदलापुर यौन शोषण केस मामले में आरोपी अक्षय शिंदे की 23 सितंबर, 2024 में पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। उसे अगस्त में ठाणे के बदलापुर में एक स्कूल के शौचालय में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उस पूछताछ के लिए नवी मुंबई के तलोजा जेल से ठाणे के कल्याण ले जाया जा रहा था। पुलिस ने दावा किया कि इसी दौरान उसने एक पुलिसकर्मी से बंदूक छीनकर फायरिंग कर दी। आत्मरक्षा में पुलिस ने भी फायरिंग की। इसमें आरोपी की मौत हो गई। नियमों के मुताबिक मामले में मजिस्ट्रेट जांच हुई। इसकी रिपोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट को सौंपी गई। रिपोर्ट में मजिस्ट्रेट आरोपी के पिता के फर्जी मुठभेड़ के आरोप पर सहमति जताई और पुलिसकर्मियों के आत्मरक्षा के दावों पर संदेह जताया। रिपोर्ट में आरोपी की मौत के लिए पांच पुलिसकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया गया था। आरोपी अक्षय की मां ने शव लेने से इनकार किया था
आरोपी शिंदे की मां ने एनकाउंटर के बाद कहा था कि हम अस्पताल में घंटों इंतजार करते रहे, लेकिन पुलिसवालों ने हमें अक्षय का शव भी देखने नहीं दिया। अक्षय के खिलाफ यौन शोषण के आरोप साबित नहीं हुए थे। वह पटाखे फोड़ने तक से डरता था। पुलिस पर गोली कैसे चला सकता था। एनकाउंटर एक साजिश है। अब हम उसका शव नहीं लेंगे। अक्षय ने बताया था कि पुलिस वाले उसे पीटते थे। दबाव डालकर बयान भी लिखवाते थे। आरोपी पर गोली चलाने वाले इंस्पेक्टर ने दाउद के भाई को पकड़ा था
आरोपी अक्षय पर गोली चलाने वाले इंस्पेक्टर संजय शिंदे ठाणे क्राइम ब्रांच के एंटी-एक्सटॉर्शन सेल के हेड रह चुके थे। वे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा की टीम में भी थे। इसी टीम ने 2017 में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद के भाई इकबाल कासकर को गिरफ्तार किया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 19 मार्च को एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को आजीवन जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें 2006 में गैंगस्टर छोटा राजन के करीबी के फर्जी एनकाउंटर मामले में दोषी माना गया था। प्रदीप शर्मा की टीम के एनकाउंटर की कहानी पर डॉक्युमेंट्री सीरीज भी बन चुकी है। संजय शिंदे के खिलाफ 2012 में इन्क्वायरी भी हुई थी। 2012 में दो हत्या मामलों का आरोपी विजय पलांडे पुलिस हिरासत से भाग निकला था। वह जिस SUV से भागा था, उसमें संजय की वर्दी मिली थी। वे साल 2000 में भी किडनैपिंग केस में विवादों में आए थे। आरोपी ने 1 अगस्त को स्कूल जॉइन किया, 12-13 अगस्त को यौन शोषण किया
बच्चियों से रेप का आरोपी अक्षय शिंदे स्कूल में स्वीपर का काम करता था। वह 1 अगस्त को ही कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुआ था। 12 और 13 अगस्त को उसने स्कूल के गर्ल्स वॉशरूम में किंडरगार्टन में पढ़ने वाली 3 और 4 साल की दो बच्चियों का यौन शोषण किया। घटना के बाद दोनों बच्चियां स्कूल जाने से डर रही थीं। एक बच्ची के माता-पिता को शक हुआ तो उन्होंने बेटी से पूछताछ की। इसके बाद बच्ची ने सारी बात बताई। फिर उस बच्ची के माता-पिता ने दूसरी बच्ची के पेरेंट से बात की। इसके बाद दोनों बच्चियों का मेडिकल टेस्ट हुआ, जिसमें यौन शोषण का खुलासा हुआ। दोनों बच्चियों का परिवार जब केस दर्ज कराने के लिए थाने पहुंचा, तो पुलिस ने भी FIR दर्ज करने में टालमटोल की। पीड़ित परिवारों ने सामाजिक कार्यकर्ताओं से मदद मांगी। दो दिन बाद 16 अगस्त की देर रात पुलिस ने शिकायत दर्ज की। पुलिस ने 17 अगस्त को आरोपी को गिरफ्तार किया था। लोगों ने ट्रेनें रोकी थीं, पुलिस पर पथराव किया था घटना को लेकर भीड़ ने 20 अगस्त को सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक बदलापुर स्टेशन पर प्रदर्शन किया था। 10 घंटे से ज्यादा लोकल ट्रेनों की आवाजाही रुकी रही। शाम को पुलिस ने लाठीचार्ज कर रेलवे ट्रैक खाली कराया। तब पुलिस पर भीड़ ने पत्थरबाजी भी की थी। कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए बदलापुर स्टेशन पहुंचे, लेकिन उन्हें लौटना पड़ा था। इसके बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने SIT गठित करने का ऐलान किया। इसके अलावा सरकार ने केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की बात कही थी। राज्य सरकार ने केस दर्ज करने में देरी के आरोप में बदलापुर थाने के महिला पुलिस निरीक्षक समेत 3 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था। साथ ही प्रिंसिपल समेत कुछ स्कूल स्टाफ को भी सस्पेंड किया था।