उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने राजस्थान की सियासी उठापटक पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर लिया है। मायावती ने राजस्थान कीराजनीतिक अस्थिरता को लेकर वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। उन्होंनेकहा कि राजस्थान में राजनीतिक गतिरोध औरसियासी उठापटक काे राज्यपाल खुद नोटिसमें लाएं। उन्हेंराष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करनी चाहिए, ताकि राज्य में लोकतंत्र की और ज्यादा दुर्दशा न हो।
बसपा प्रमुखने ट्वीट में कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहले दलबदल कानून का खुला उल्लंघन किया।बसपाके साथ लगातार दूसरी बार धोखेबाजी कीऔर हमारी पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया। अब जगजाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी औरअसंवैधानिक काम किया है।
1. जैसाकि विदित है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री गहलोत ने पहले दल-बदल कानून का खुला उल्लंघन व बीएसपी के साथ लगातार दूसरी बार दगाबाजी करके पार्टी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कराया और अब जग-जाहिर तौर पर फोन टेप कराके इन्होंने एक और गैर-कानूनी व असंवैधानिक काम किया है। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) July 18, 2020
कोटा में 105 बच्चोंकी मौत परगहलोत को हटाने की मांग की थी
इससे पहले मायावती ने दिसंबर मेंकोटा के अस्पताल मेंलगातार बच्चों कीमौतोंपर सवाल उठाया था। उन्होंनेकांग्रेस से गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की भीमांग की थी। मायावती ने ट्वीट करलिखा था- 100 माताओं की कोख उजड़ने के मामले में कांग्रेस को केवल अपनी नाराजगी जताना ही काफी नहीं है। कांग्रेस को चाहिए कि वहां के मुख्यमंत्री को तुरंत हटाकर किसी सही व्यक्ति को सत्ता में बैठाया जाए।
2018 में भीगहलोत से नाराजगी जताई थी
बसपा प्रमुखमायावती मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर पहले भी नाराजगी जता चुकी हैं।2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 200 सीटों में 100 पर जीत मिली थी। उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल का एक विधायक जीता था। इससे राज्य में सरकार गिरने का खतरा मंडरा रहा था। वहीं, बसपा के 6 विधायक चुनाव जीते थे। इन सभी विधायकों ने बसपा छोड़करकांग्रेस की सदस्यता ले ली। इससे मायावती ने कांग्रेस और गहलोत पर खासी नाराजगी जताई थी।
राजस्थान में इन 6 विधायकों ने कांग्रेस जॉइन की थी
बसपा से चुनाव जीते राजेन्द्र गुढा (उदयपुरवाटी, झुंझुनूं), जोगेंद्र सिंह अवाना (नदबई, भरतपुर), वाजिब अली (भरतपुर), लाखन सिंह मीणा (करौली), संदीप यादव (तिजारा, अलवर) और दीपचंद खेरिया (किशनगढ़बास, अलवर) ने सितंबर 2018 में पार्टी छोड़ दी थी।
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