बांग्लादेश- संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग:अंतरिम सरकार के अटॉर्नी जनरल ने रखा प्रस्ताव; मुजीबुर्रहमान का राष्ट्रपिता का दर्जा हटाने के लिए कहा

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार संविधान से सेक्युलर शब्द हटा सकती है। अंतरिम सरकार में अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असाज्जमान ने बुधवार को इसके लिए हाईकोर्ट में प्रस्ताव रखा। न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रस्ताव में संविधान से सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) और सोशलिज्म (समाजवाद) शब्द हटाने की मांग की गई। इसके अलावा अटॉर्नी जनरल ने संविधान से आर्टिकल 7A खत्म करने के लिए भी कहा है। इस आर्टिकल के तहत बांग्लादेश में गैर-संवैधानिक तरीके से सत्ता परिवर्तन करने पर मौत की सजा का प्रावधान है। साथ ही असाज्जमान ने कोर्ट से मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश के राष्ट्रपिता का दर्जा देने वाले प्रावधान को हटाने के लिए कहा है। दरअसल ढाका हाईकोर्ट में बुधवार को एक रिट याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस रिट याचिका को कई लोगों ने एक साथ मिलकर दायर किया था। इसमें शेख हसीना की सरकार द्वारा 2011 में किए गए 15वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट बोला- अंतरिम सरकार अपना रूख साफ करे अटॉर्नी जनरल के प्रस्तावों पर कोर्ट ने अंतरिम सरकार से अपना रुख साफ करने के लिए कहा है। इस पूरे मामले पर ढाका हाईकोर्ट की 2 जजों की बैंच सुनवाई कर रही थी। इस याचिका पर सुनवाई के लिए कई वकीलों ने खुद को पक्षकार बनाया। इनमें कई याचिका के समर्थन में कर रहे थे और कुछ इसका विरोध कर रहे थे। सुनवाई को दौरान कोर्ट में शेख मुजीबुर्रहमान पर बात करते हुए असाज्जमान ने कहा कि वे निश्चित तौर पर बांग्लादेश के निर्विवाद नेता थे, लेकिन अवामी लीग (शेख हसीना की पार्टी) ने उन्हें अपने हितों के लिए राजनीति में घसीटा। अगस्त में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद तत्कालीन अटॉर्नी जनरल को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद असाज्जमान को अंतरिम सरकार में अटॉर्नी जनरल बनाया गया था। क्या है 15वां संशोधन शेख हसीना की अवामी लीग सरकार ने 2011 में 15वां संविधान संशोधन पारित किया था। इसके तहत संविधान में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए थे। इसके तहत कई प्रावधानों को बहाल, संशोधित और हटाया गया था। इसमें कुछ प्रमुख प्रावधान ये थे- धर्मनिरपेक्ष राज्य का दर्जा बहाल करना- इसके तहत देश में धर्मनिरपेक्ष राज्य के सिद्धांत को बहाल किया गया था। इसे 1977 में जियाउर रहमान की सैन्य सरकार ने हटा दिया था। 1988 में हुसैन मोहम्मद के राष्ट्रपति रहते बांग्लादेश के इस्लामिक राज्य घोषित किया गया था। हालांकि 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामिक राज्य बनाने के फैसले को गैर-संवैधानिक बताते हुए इसे खारिज कर दिया था। बाद में शेख हसीना सरकार ने 15वें संशोधन 2011 के जरिए इसे कानूनी जामा पहनाया था। कार्यवाहक सरकार में चुनाव कराने का नियम खत्म किया 15 वें संशोधन के जरिए देश में चुनाव कराने के लिए कार्यवाहक सरकार बनाने के नियम को खत्म कर दिया गया था। इससे पहले चुनाव की निगरानी के लिए कार्यवाहक सरकार का नियम था। इसके अलावा इस संशोधन में मुजीबुर्रहमान को राष्ट्रपिता का दर्जा देने और गैर-संवैधानिक तरीकों से सत्ता हासिल करने पर मौत की सजा का प्रावधान भी शामिल हैं। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने गैर-संवैधानिक तरीकों से सत्ता हासिल करने के प्रावधान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह कानून लोकतांत्रिक बदलावों को सीमित करता है साथ ही हाल में सामने आए जनआक्रोश को भी नजरअंदाज करता है। —————————— बांग्लादेश से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…. बांग्लादेश में इस्कॉन पर विवादित टिप्पणी से हिंदुओं में नाराजगी:विरोध में सड़कों पर उतरे; आरोप- आर्मी ने बेरहमी से पीटा, कई जख्मी बांग्लादेश के चटगांव में ISKCON मंदिर और सनातन धर्म पर विवादित टिप्पणी से हिंदुओं में नाराजगी है। इसे लेकर हजारों की संख्या में हिंदू समुदाय ने प्रदर्शन किया। विरोध में जब हिंदू संगठन सड़कों पर उतर आए तो आर्मी ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया। पूरी खबर यहां पढ़ें…