बिहार के सहरसा जिले केसोनवर्षाराज प्रखंड के मैना गांव की यह फोटोबाढ़ की विभीषिका को दर्शा रही है। यहां के बाढ़ग्रस्त इलाके में पानी के लिए भी जद्दोजहद करना पड़ रहा है।नेपाल के तराई वाले इलाक़ों और उत्तर बिहार में जमकर हो रही बारिश के कारण नदियों के जलस्तर में फिर उफान की आशंका है। इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने नौ जिलों के लिए अलर्ट जारी किया है।
प्रशासन ने बेरिकेड्स लगाए, लोग जंगल के रास्तेघाटपहुंचे
हरियाली अमावस्या के मौके पर मध्यप्रदेश के सीहोरजिले के नर्मदा घाटों पर श्रद्धालु सुबह करीब 3 बजे से ही पहुंचना शुरू हो गए थे। इस बीच प्रशासन ने कई जगहों पर बेरिकेड्स लगाकर उन्हें रोकने का भी प्रयास किया, लेकिन आस्था के सामने प्रशासन की नहीं चली। श्रद्धालु चोरी छुपे जंगल के रास्तों से नर्मदा घाटों पर स्नान करने पहुंचे।
ये है खतरे का कोड वर्ड
बारिश होने के बाद खुले मैनहोल लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं। पटना की न्यू पाटलिपुत्र कॉलोनी की सड़कों पर मैनहोल के ढक्कन खुलेहैं। पूर्व पार्षद संजीव कुमार ने आरोप लगाया कि खुले मैनहोल व कैचपिट बारिश में सड़क पर चलने वालों कोमुश्किल हो रही है। स्थानीय लोगों ने सोमवारसुबह बारिश के बाद इन खुले मैनहोल में बांस या अन्य लकड़ी डालकर लोगों को सचेत करने की कोशिश की है। स्थानीय निवासीदीपक ने बताया कि कई बार इन मैनहोल के खुले ढक्कन में साइकिल का चक्का फंसने से लोग गिर जा रहे थे।
आज से मराठी कैलेंडर के अनुसारसावन शुरू
महाराष्ट्र के नासिक में 28 जुलाई तक चलने वाले लॉकडाउन के कारण 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल त्र्यंबकेश्वर मंदिर बंद है। यहां श्रद्धालुओं के प्रवेश पर मनाही है। मराठी कैलेंडर के मुताबिक, मंगलवार से सावन का महीना शुरू हो रहा है। लेकिन कोरोना के कारण राज्य के मंदिर नहीं खुलेंगे। हालांकि, इस बीच त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का पूरा इलाका प्राकृतिक सौंदर्य से खिल उठा है। सोमवार को मंदिर के ऊपर ऐसा नजारा बना, मानो बादलों ने मंदिर पर पालकी बना दी हो।
पंजाब में मानसून सक्रिय
फोटोअमृतसर के दरबार साहिब की है। सोमवार को यहां पर घने काले बादल छाए रहे लेकिन बरसे 10 मिनट ही। पंजाब में मानसून सक्रिय है। वहीं, हिमाचल में भी माैसम विभाग ने दस जिलाें में भारी बारिश हाेने की चेतावनी जारी की थी, लेकिन कुछ एक जगहाें काे छाेड़ कर शेष सभी जगह माैसम साफ ही बना रहा। इससे तापमान में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
बारिश तोड़ चुकी पिछले चार साल का रिकॉर्ड
फोटो हरियाणा के पानीपत स्थित एक फार्म हाउस की है। माॅनसून की झमाझम बरसात शुरू हाे चुकी है। इस साल मई और जुलाई में अच्छी बरसात होने से पिछले चार साल का रिकॉर्ड टूट चुका है। इससे पहले 2016 में जुलाई के अंत तक 217 एमएम बारिश हुई थी। अभी तक 186 एमएम बारिश हो चुकी है। माॅनसून सक्रिय है और दस दिन इस माह के बाकी हैं। मई, जून व जुलाई के तीन महीनों में वर्ष 2019 में 182.25 एमएम, वर्ष 2018 में 180.5 एमएम, 2017 में 140.5 एमएम बारिश हुई थी।
सूर्यास्त केबादअनोखा नजारा देखने को मिला
भारत समेत दुनिया के कई देशों में इन दिनों आसमान में सूर्यास्त के तुरंत बाद एक अनोखा नजारा देखने को मिल रहा है। इस महीने उत्तर पश्चिम दिशा में एक चमकता हुआ पूंछ वाला तारा यानि पुच्छल तारा नियोवाइज दिख रहा है, जिसे पूरे भारत में सामान्य आंखों से देखा जा सकता है। बता दें कि अगर इस बार मौका चूके तो यह दोबारा 6800 साल बाद दिखेगा। ये फोटोकन्या हायर सेकंडरी स्कूल बालोद के व्याख्याता व खगोल विज्ञान के जानकार बीएन याेगी ने रविवार शाम 7:15 बजे के आसपास ली है।
महामारी पर आस्था भारी
फोटोसनक, सनंदन, सनत कुमार की तपोस्थली सनकुआं धाम की है। वर्ष 2019 में श्रावण मास सोमवती व हरियाली अमावस्या पर सिंध नदी पूरे उफान पर थी। सनकुआं पर लोग दर्शन करने नहीं पहुंच पाए थे। इस साल सिंध नदी में पानी काफी कम है। सभी मंदिर साफ देखे जा रहे हैं। इसलिए इस साल सोमवती व हरियाली अमावस्या पर महामारी में भी लोगों की आस्था भारी रही। इस बार सनकुआं में बीचों बीच बने मंदिरों पर दर्शन करने के लिए हजारों दर्शनार्थी पहुंचे।
प्रशासनिक स्तर पर नहीं हो रहीमॉनिटरिंग
फोटोदुर्ग शहर से लगे शिवनाथ नदी के महमरा एनीकट की, जहां एनीकेट के ऊपर से पानी के बहाव के बाद भी ग्रामीण आवाजाही कर रहे हैं। दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन एनीकेट से गुजर रहे हैं। खास बात यह है कि प्रशासनिक स्तर पर कहीं किसी प्रकार की मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। इसके चलते ग्रामीण जान हथेली पर मार्ग से गुजर रहे हैं।
ग्रामीणों नेरेस्क्यू कर वन विभाग को सौंप
ओडिशा में बालासोर जिले के सुजानपुर गांव में पीले रंग का दुर्लभ कछुआ मिला है। ग्रामीणों ने इसे रेस्क्यू कर वन विभाग को सौंप दिया। भारतीय वन सेवा अधिकारी सुशांत नंदा ने इस कछुए का एक वीडियो ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है- ‘शायद यह एक अल्बिनो था। कुछ साल पहले सिंध में स्थानीय लोगों द्वारा इस तरह का एक कछुआ रेस्क्यू किया गया था। गुलाबी आंखें ऐल्बिनिजम की एक सांकेतिक विशेषता है।’