बुक रिव्यू- कल का काम आज, आज का अभी करें:परफेक्शन की इच्छा न करें, बस काम शुरू कर दें, निरंतरता में ही सफलता है

बुक – काल करे सो आज कर (बेस्टसेलर किताब ‘डू इट टुडे’ का हिंदी अनुवाद) लेखक – डेरियस फरू प्रकाशक – पेंगुइन मूल्य – 250 रुपए ‘काल करे सो आज कर’ डच लेखक डेरियस फरू द्वारा लिखी गई एक सेल्फ-हेल्प बुक है। फरू एक मशहूर लेखक, ब्लॉगर और आंत्रप्रेन्योर हैं। उनकी यह किताब हमारी टालमटोल की आदतों और उनसे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में बात करती है। अगर हम अपने आसपास देखें तो पाएंगे कि ऐसे लोग, जो प्रतिभाशाली नहीं हैं फिर भी लगातार मेहनत करते हैं, वे सफल हैं। वहीं ऐसे टैलेंटेड लोग जो मेहनत करने से बचते हैं, सफलता उनसे दूर रह जाती है। यह किताब इन्हीं टालमटोल तरीकों से छुटकारा पाने के बारे में बात करती है। इस किताब के जरिए डेरियस फरू ने अपने निजी अनुभवों जरिए सुझाव देने की कोशिश की है। जब डेरियस फरू ने खुद के सपने को 10 साल टाला
डेरियस फरू बताते हैं कि उन्होंने एक किताब लिखने का सपना देखा था। हालांकि, वे अपने इस सपने को 10 साल तक टालते रहे, लेकिन जब साल 2015 उन्होंने किताब लिखने की शुरुआत की तो सिर्फ 6 महीने में पूरी किताब लिख दी। डेरियस अपनी किताब में लिखते हैं कि ‘जिंदगी रुकती नहीं है और हर पल हम मौत के करीब जा रहे हैं।’ ऐसे में हमारे पास सीमित समय है। हमें इसे बर्बाद करने के बजाय कुछ हासिल करने में लगाना चाहिए। किताब की खास बातें
171 पेज की यह किताब तीन चैप्टर्स के जरिए मुख्यत: तीन बातों पर फोकस करती है। आइए इन बातों को ग्राफिक के जरिए समझते हैं। टालमटोल की आदत को कैसे हराएं
डेरियस बताते हैं कि आलस की और टालमटोल की आदत के पीछे दो वजह होती है, पहला किसी नए काम का डर, दूसरा परफेक्शन की चाहत। हमें इन दोनों से छुटकारा नहीं मिलता है और हम परफेक्ट समय का ही इंतजार करते रह जाते हैं। आइए इसे ग्राफिक के जरिए समझते हैं। छोटे कदमों से शुरुआत करें
हम बड़े काम देखकर डर जाते हैं और इस वजह से काम को टालते रहते हैं। हालांकि, हमें काम को आसान बनाने के लिए इसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांट लेना चाहिए। इसके बाद इन छोटे-छोटे हिस्सों को पूरा करते हुए हम आगे बढ़ सकते हैं। मान लीजिए हमें किताब लिखनी है। इस काम को हम कई छोटे हिस्सों में बांट सकते हैं। जैसे पहले किताब के चैप्टर्स तैयार कर लेते हैं। इसके बाद हर महीने एक चैप्टर और हर सप्ताह एक हजार शब्द लिखने का लक्ष्य तय करते हैं। यानी हर रोज सिर्फ 142 शब्द लिखने की जरूरत है। परफेक्शन की चाहत छोड़ें
सब कुछ परफेक्ट करने के चक्कर में, हम काम टालते रहते हैं। डेरियस कहते हैं कि अगर आप कुछ लिखना चाहते हैं, तो पहले बिना ज्यादा सोचे लिखना शुरू करें। इसे आप बाद में भी सुधार सकते हैं। डेरियस कहते हैं कि परफेक्शनिस्ट दो तरह के होते हैं- एक जो कभी काम शुरू नहीं करते हैं
ऐसे लोग हासिल तो बहुत कुछ करना चाहते हैं, लेकिन काम शुरू करने से पहले ही खुद की क्षमता पर शक करने लगते हैं। उन्हें लगने लगता है कि यह काम उनके बस नहीं है। ऐसे में वे काम को कभी शुरू ही नहीं कर पाते हैं। दूसरे वे लोग, जो अपने लिए बहुत बड़ा लक्ष्य तय करते हैं
दूसरी तरह के लोग अपने लिए एक बड़ा लक्ष्य तय करते हैं। इसके लिए खूब मेहनत भी करते हैं, लेकिन इनका लक्ष्य इतना बड़ा होता है कि वे इसे हासिल नहीं कर पाते हैं। ऐसे में खुद को असफल मानने लगते हैं। डेरियस कहते हैं कि हमें इन दोनों ही चीजों से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि इससे डिस्ट्रैक्शन, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। सबसे जरूरी काम पहले करें
हर दिन सुबह अपना सबसे महत्वपूर्ण काम पूरा करें। इससे दिन की शुरुआत अच्छी होती है और टालमटोल की आदत में कमी आती है। प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के तरीके
डेरियस फरू कहते हैं कि हमें अपने टाइम को मैनेज करने के बजाय अपनी एनर्जी और फोकस को मैनेज करना चाहिए। वह सलाह देते हैं कि फोन को ‘ऑलवेज कनेक्टेड’ से ‘ऑलवेज डिस्कनेक्टेड’ मोड में रखें और जरूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल करें। इसके अलावा, डेरियस रूटीन बनाने की बात करते हैं। वे कहते हैं कि जीवन इच्छाशक्ति से नहीं, सिस्टम और रूटीन से चलता है। अगर हम हर दिन एक ही समय पर एक काम करें, तो वह आदत में शामिल हो जाती है।
इसके बाद इस काम को करने में कम मेहनत खर्च होती है और बची हुई एनर्जी को हम कहीं और लगा सकते हैं। सही चीजों को हासिल करना
डेरियस फरू इस चैप्टर में जिंदगी की जरूरतों और प्राथमिकताओं के बारे में बात करते हैं। फरू बताते हैं कि जिंदगी में सिर्फ काम करना काफी नहीं है। इसके बजाय यह समझना ज्यादा जरूरी है कि आपके लिए किस काम के मायने अधिक हैं। वे कहते हैं कि आपके लिए नई स्किल सीखना ज्यादा जरूरी हो सकता है, बजाय इसके कि आप दफ्तर में ओवरटाइम करें। या आप छुट्टियों में घर गए हैं तो कंप्यूटर पर गेमिंग करने के बजाय परिवार के साथ समय बिताना ज्यादा जरूरी है। किताब के बारे में
यह किताब डेरियस फरू के ब्लॉग पर छपे 30 लेखों के संग्रह से तैयार की गई है। किताब में फरू थ्योरी के बजाय अपनी जिंदगी के निजी अनुभवों के जरिए बात करते हैं। ऐसे में किताब पढ़ते हुए लगता है कि हम किसी दोस्त से बात कर रहे हैं। हालांकि, ब्लॉग पोस्ट्स को पुस्तक का रूप देने की वजह कई जगह प्रवाह की कमी दिखती है। साथ ही अगर आपने पहले भी सेल्फ-हेल्प बुक्स पढ़ी है तो कई सारी बातें दोहराव वाली लग सकती है। यह किताब किसे पढ़नी चाहिए
हममें से कई लोग अपने काम को ‘कल’ के लिए टालते रहते हैं। साथ ही कुछ नया शुरू करने से डरते हैं। ‘काल करे सो आज कर’ ऐसे लोगों के लिए काम की किताब है। साथ ही अगर आप सेल्फ-हेल्प बुक्स पढ़ने की शुरुआत करना चाहते हैं, तो यह किताब आपके काम की हो सकती है। ……
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