बुक रिव्यू- खुद को साबित करना नहीं, स्वीकारना जरूरी:सबको खुश करने के चक्कर में खुद को न खोएं, जिंदगी अपनी शर्तों पर जिएं

किताब- नापसंद किए जाने का साहस (बेस्टसेलर किताब ‘द करेज टू बी डिसलाइक्ड’ का अनुवाद) लेखक – इचिरो किशिमि और फुमिटाके कोगा प्रकाशक- मंजुल प्रकाशन मूल्य- 450 रुपए ‘नापसंद किए जाने का साहस’ जापान के मशहूर साइकोलॉजिस्ट इचिरो किशिमि और प्रसिद्ध लेखक फुमिटाके कोगा द्वारा लिखी गई एक सेल्फ-हेल्प बुक है। यह किताब हमें सिखाती है कि कैसे हम अपनी जिंदगी में असली खुशी और मानसिक सुकून हासिल कर सकते हैं। इसकी खास बात यह है कि यह एक युवक और एक दार्शनिक के बीच संवाद शैली में लिखी गई है। जो इसे पढ़ने में भी बेहद रोचक बना देती है। पुस्तक का उद्देश्य किताब का मुख्य उद्देश्य यह समझाना है कि दूसरों की स्वीकृति पर निर्भर रहना हमारी खुशी की राह में रुकावट बन सकता है। जब हम बिना डर के खुद को स्वीकार करना सीख जाते हैं, तो न केवल हमारे विचारों में स्पष्टता आती है, बल्कि हमारा जीवन भी अधिक स्वतंत्र और संतुलित हो जाता है। किताब इस बारे में बात करती है कि किस तरह अपने भीतर मौजूद ताकत को पहचानकर हम वह बन सकते हैं, जो हम बनना चाहते हैं। इस किताब के जरूरी सबक यह किताब मशहूर मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड एडलर के थ्योरी और प्रिंसिपल्स के आधार पर लिखी गई है। अल्फ्रेड एडलर, सिग्मंड फ्रायड और कार्ल युंग की तरह ही साइकोलॉजी के क्षेत्र की बड़ी हस्तियों में से एक थे। इन सिद्धांतों की रोशनी में, किताब हमें इस ओर इशारा करती है कि जब हम अतीत के बोझ को पीछे छोड़ते हैं और सामाजिक अपेक्षाओं को खुद पर हावी नहीं होने देते, तभी जीवन में सच्चा बदलाव संभव होता है। हमेशा मुकाबले में रहने की जरूरत नहीं है जिंदगी कोई ऐसी दौड़ नहीं है, जिसमें आपको दूसरों से आगे निकलना है। हर इंसान अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता है। जब हम दूसरों से खुद की तुलना करते हैं, तो उन्हें अपने से बेहतर या कमतर समझने लगते हैं, जो किसी भी रिश्ते के लिए ठीक नहीं होता है। भूल स्वीकारना कमजोरी नहीं, साहस की निशानी है गलतियां करना मानवीय स्वभाव का हिस्सा हैं, लेकिन उन्हें स्वीकार करना असली साहस है। जब हम अपनी गलतियों को छिपाने या बहाने बनाने में ऊर्जा लगाते हैं, तो न केवल अपनी सीखने की संभावना खो देते हैं, बल्कि आगे बढ़ने का मौका भी। सही दिशा में पहला कदम यही है कि हम अपनी गलती को स्वीकारें और उनसे कुछ नया सीखें। सबकुछ हमारे इर्द-गिर्द नहीं घूमता है जब हम यह समझते हैं कि हम एक बड़े समुदाय का हिस्सा हैं और दुनिया केवल हमारे लिए नहीं बनी है, तो इससे हमारे भीतर विनम्रता आती है और हम दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते हैं। खुद को छोटा न समझें हर व्यक्ति, चाहे उसकी पहचान, स्थिति या क्षमताएं जैसी भी हों, समाज और के लिए मायने रखता है। ‘खास’ या ‘असाधारण’ बनने की कोई जरूरत नहीं है। आपका सिर्फ मौजूद होना ही अपने आप में एक योगदान है। असमंजस में रहने से अपने व्यक्तित्व को पहचान नहीं पाते हैं किताब अपने लक्ष्यों के प्रति सचेत रहने पर जोर देती है। यदि हम लगातार दुविधा में रहते हैं कि हम क्या चाहते हैं या हमें क्या करना चाहिए, तो हम अपने जीवन की जिम्मेदारी नहीं ले पाते हैं। खुद को स्वीकार करने की जरूरत है जब हम दूसरों के सामने यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि हम कितने अच्छे या सक्षम हैं, तो हम दूसरों की राय पर निर्भर हो जाते हैं। इसके बजाय, हम जैसे हैं, वैसे ही खुद को स्वीकार करना चाहिए। यह स्वतंत्रता की ओर पहला कदम है। दूसरों से वैलिडेशन की इच्छा न रखें यह बात किताब ‘नापसंद किए जाने का साहस’ से सीधे जुड़ी है। जब हम दूसरों से वैलिडेशन चाहते हैं, तो हम उनके निर्णय और अपेक्षाओं के गुलाम बन जाते हैं। सच्ची स्वतंत्रता तभी मिलती है जब हम अपने मूल्यों के अनुसार जीते हैं, भले ही दूसरे उसे स्वीकार न करें। अतीत से आजाद होना किताब कहती है कि हम अक्सर अपने अतीत को लेकर चिंता करते हैं और उसे वर्तमान में ढोते हैं। अगर हम सोचें कि अतीत ही हमारी सभी समस्याओं की जड़ है, तो हम कभी खुश नहीं हो सकते हैं। ऐसे में अतीत का बोझ छोड़ देना चाहिए, ताकि हम नई शुरुआत कर सकें और आत्मविश्वास के साथ जीवन जी सकें। पुस्तक की शैली और प्रवाह यह किताब बातचीत की शैली में लिखी गई है, जिसमें लेखक ने एक युवक और एक दार्शनिक के बीच संवाद का तरीका अपनाया है। यह शैली पुस्तक को सरल और रोचक बनाती है। इसके अलावा, यह किताब ऐसी भाषा में लिखी गई है जो पाठकों को गहराई से सोचने पर मजबूर करती है। इसमें दिए गए उदाहरण और जिंदगी से जुड़े जरूरी सवाल यह समझाने में मदद करते हैं कि हमें अपनी सोच और नजरिया कैसे बदलना चाहिए। किताब के बारे में मेरी राय ‘नापसंद किए जाने का साहस’ उन लोगों के लिए अच्छी किताब है, जो अपनी जिंदगी को बदलना चाहते हैं। इसमें जो बातें बताई गई हैं, वे गहरी हैं और जीवन में लागू करने लायक हैं। सवाल-जवाब की शैली में लिखी गई किताब चीजों को आसानी से समझाती है। यह किताब किसे पढ़नी चाहिए अगर आप अपनी सोच को बदलना चाहते हैं और समाज की फिक्र छोड़कर अपनी असली खुशी की तरफ बढ़ना चाहते हैं, तो यह किताब आपके लिए बहुत काम की साबित हो सकती है। इसके अलावा, अगर आपको खुद की मदद करने वाली और जिंदगी के मतलब को समझने वाली किताबें पसंद हैं, तो यह किताब आपको सही रास्ता दिखा सकती है। इस किताब को पढ़कर आप यह जान पाएंगे कि खुशी और मन की शांति आपकी अपनी सोच पर निर्भर करती है और यह किताब आपको इस बारे में कई जरूरी बातें और तरीके बताती है। ………………. यह खबर भी पढ़ें…
बुक रिव्यू- कल का काम आज, आज का अभी करें: परफेक्शन की इच्छा न करें, बस काम शुरू कर दें काल करे सो आज कर’ डच लेखक डेरियस फरू द्वारा लिखी गई एक सेल्फ-हेल्प बुक है। फरू एक मशहूर लेखक, ब्लॉगर और आंत्रप्रेन्योर हैं। उनकी यह किताब हमारी टालमटोल की आदतों और उनसे छुटकारा पाने के तरीकों के बारे में बात करती है। पूरी खबर पढ़ें