बुक रिव्यू- सकारात्मक सोच की शक्ति:हर अच्छे–बुरे की शुरुआत दिमाग से होती, अपनी सोच बदलो, जिंदगी खुद-ब-खुद बदल जाएगी

“अपने विचारों को बदलिए, आपकी दुनिया बदल जाएगी।” -नॉर्मन विन्सेंट पील, अपनी किताब ‘द पावर ऑफ पॉजिटिव थिंकिंग’ में अमेरिका के मशहूर मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक नॉर्मन विन्सेंट पील की बेस्टसेलर किताब ‘द पावर ऑफ पॉजिटिव थिंकिंग’ सिखाती है कि कैसे सिर्फ सोच बदलने से जिंदगी की दिशा बदल सकती है। इस नए कॉलम ‘बुक रिव्यू’ में हम हर हफ्ते एक ऐसी किताब के बारे में बताएंगे, जिसे पढ़कर लाखों लोगों की जिंदगी बदली है। आज बात ‘सकारात्मक सोच की शक्ति’ की। इस किताब का मूल संस्करण 1952 में ‘द पावर ऑफ पॉजिटिव थिंकिंग’ नाम से अमेरिका में अंग्रेजी में छपा था। इसका हिंदी अनुवाद मंजुल पब्लिशिंग हाउस से प्रकाशित किया गया है। युद्ध से डरे लोगों को किताब ने दिया आत्मबल यह वो दौर था, जब अमेरिका कोरिया के साथ युद्ध में लड़ते हुए थक चुका था। हालांकि, पहले विश्व युद्ध के बाद जबरदस्त आर्थिक तरक्की हुई थी। इसके बावजूद लोग डरे हुए थे। ऐसे वक्त में नॉर्मन विन्सेंट पील की इस किताब ने लोगों को आत्मबल दिया। 40 से ज्यादा भाषाओं में हो चुका है अनुवाद इस किताब ने यह साबित किया कि सिर्फ सोचने का तरीका बदलकर हम न सिर्फ स्ट्रेस, फेलियर और हेल्थ प्रॉब्लम्स से उबर सकते हैं, बल्कि उस मुकाम तक पहुंच सकते हैं जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। इन तमाम खूबियों के चलते ही यह किताब लगभग 3.5 साल लगातार न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलर लिस्ट में बनी रही। यह लगभग 15 साल तक अलग-अलग समय में न्यूयॉर्क टाइम्स की बेस्टसेलर लिस्ट का हिस्सा रही। इसका 40 से ज्यादा भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। पील की किताब को अब न्यूरोसाइंस भी मानता है स्वयं से सकारात्मक ढंग से बात करने की शक्ति मस्तिष्क में नए न्यूरो पाथवे बनाती है, जो हमें किसी मुश्किल या संकट में समाधान खोजने में मदद करते हैं। MRI स्कैन में ये भी पता चला कि पॉजिटिव सोच से एमिग्डेला की ओवर एक्टिविटी कम होती है, जिससे डर और चिंता दोनों कम होते हैं। पॉजिटिव थिंकिंग के 3 तरीके आमतौर पर जब सुबह हमारी आंख खुलती है तो मन में वही पुरानी बीते दिन की थकान होती है। कभी डर लगता है, कभी खुद पर ही शक होने लगता है। इसे पॉजिटिव थिंकिंग की मदद से बदला जा सकता है। क्या है इस किताब की असली ताकत? पील ने इस किताब में बताया गया है कि पॉजिटिव थिंकिंग कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक निर्णय है, जो आपके सोचने के तरीके को पूरी तरह बदल सकता है: 1. पॉजिटिव सोच एक विकल्प नहीं, एक निर्णय है जब आप बार-बार खुद से कहते हैं- ‘मैं ये कर सकता हूं’, तो आप अपने दिमाग को नई डायरेक्शन में प्रशिक्षित कर रहे होते हैं। धीरे-धीरे यही सोच आपके व्यवहार में, फैसलों में और जीवन में झलकने लगती है। 2. विश्वास + एक्शन = सफलता पील ने लिखा है कि- ‘अपने ऊपर विश्वास रखो! अपनी क्षमताओं में आस्था रखो! जब तक आपके भीतर विनम्र लेकिन मजबूत आत्मविश्वास नहीं होगा, आप न तो सफल हो सकते हैं, न ही खुश हो सकते हैं।’ यकीन और मेहनत का संगम ही सफलता की असली चाबी है। 3. आत्म-संवाद की शक्ति पील रोज सुबह एक सकारात्मक वाक्य दोहराने की सलाह देते हैं। उनका प्रिय वाक्य था: ‘मुझे शक्ति उस ईश्वर से मिलती है जो मेरे भीतर है। इसलिए मैं सबकुछ कर सकता हूं।’ जब आप बार-बार यह दोहराते हैं, तो ये वाक्य सिर्फ शब्द नहीं रहते हैं। ये आपके अंदर एक नई ऊर्जा भरते हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने माना था प्रेरणादायक 1984 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने नॉर्मन विन्सेंट पील को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया था। उस समय उन्होंने कहा था कि, पील ने लोगों को जीने की नई सोच दी है। पील की सकारात्मक सोच के सिद्धांतों ने पूरे अमेरिकी समाज पर गहरा प्रभाव डाला है। …………………….
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