रायबरेली- उ.प्र.
15 मार्च 2025 भारतीय राष्ट्रीय काव्य प्रतिभा साहित्य मंच रायबरेली द्वारा सायंकाल 7.00 बजे से रात्रि 11.50 बजे तक विराट ऑनलाइन मैराथन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस काव्य-संध्या में रंग से सराबोर होली त्यौहार को कविताओं के माध्यम से मनाने का सफल प्रयास किया गया। इस काव्य-गोष्ठी के संस्थापक अवधेश कुमार साहू ‘बेचैन’ हमीरपुर ने पूर्ण सम्मान के साथ सभी काव्य मनीषियों का स्वागत वंदन कर अभिनंदन किया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता रायबरेली काव्य-रस साहित्य मंच रायबरेली जो भारत सरकार द्वारा पंजीकृत संस्था, केंद्रीय पटल-रायबरेली, राजस्थान, झारखण्ड और छत्तीसगढ़ तथा भारत के 23 राज्यों के साहित्य समन्वयकों के संस्थापक डॉ शिवनाथ सिंह “शिव” रिटायर्ड डिवीज़नल इंजीनियर टेलीकॉम दूर संचार विभाग/बीएसएनएल रायबरेली द्वारा आयोजित किया गया। संचालन डॉ आभा गुप्ता इंदौर (मध्यप्रदेश) ने किया।

सर्व प्रथम संस्था के संस्थापक अवधेश कुमार साहू “बेचैन” ने सभी को बताया कि संस्था की व्यवस्थापिका एवं संचालिका सुमा मण्डल,पखांजूर, छत्तीसगढ़ की मां का स्वर्गवास कुछ दिन पहले ही हुआ था।इस अवसर पर सभी काव्य प्रतिभा के धनी कलमकारों ने संचालिका जी की मां को अश्रुपूर्ण भाव से बेहद दुःख के साथ विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
ऑनलाइन कवि सम्मलेन का प्रारंभ डॉ आभा गुप्ता इंदौर, मध्यप्रदेश द्वारा माँ सरस्वती वंदना प्रस्तुत करके मां का आवाहन किया। संध्या श्रीवास्तव ‘सांझ’ छतरपुर ने सुन्दर होली गीत गाकर मन मोह लिया।
किरण अग्रवाल प्रतापगढ़ ने होली की गुझिया पापड़ की याद दिला दी। संस्थापक अवधेश कुमार साहू ‘बेचैन’ ने “होली का मौसम आया बाबा, सब मिल खेलें होली रे” फाग-गीत गाकर हास्य एवं व्यंग्य विद्या को प्रस्तुत किया। अंजू सचान हमीरपुर ने पढा- ‘जग जाएं अगर देश की महिला तो न हो अत्याचार’।
डॉ आभा गुप्ता इंदौर-मध्यप्रदेश ने पढ़ा- ‘ऐसे रूठे हो काहे नन्द लाल, हमसे फागुन में’। डा शिव नाथ सिंह “शिव” रायबरेली ने पढ़ा- ‘रंग गुलाल अबीर उड़े, आके मिले हमजोली में, दुनिया प्रेम के रंग डूबे दिल मिलें प्रेम की बोली मे। डा शिव कुमार सिंह ‘शिव’ दुसौती-रायबरेली ने कहा ‘ऐसी होरी आई अवध में, रंग गुलाल उड़ावे’। डा इंद्रेश भदौरिया ‘अवधी सम्राट’ ने पढ़ा- “बड़ा नीक लागत है होरी मा भैया”। डा संजीदा खानम ‘शाहीन’ जोधपुर, राजस्थान ने कहा “होली में उड़े रे गुलाल, रंगीलो सजनवा रे”। डा ओम प्रकाश द्विवेदी पडरौना- कुशीनगर ने पढ़ा- ‘पीपर का पर छर, होरी का संकेत देत’। अविनाश खरे पुणे-महाराष्ट्र ने पढ़ा- ‘लो आया होली का त्यौहार, आया रंगों का त्यौहार’। डा संजुला सिंह ‘संजू’ जमशेदपुर झारखंड ने पढ़ा “चलो री सखी देखन, होली की आई बहार “। डॉ मधु स्वामी गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश ने पढ़ा- “रंग घुल गए मौसम में, होली का त्यौहार”। डॉ राम प्यारे विश्वकर्मा ‘राम’ चित्रकूट ने पढ़ा- “होली में हर मन हर्षित भाव बने पवित्र हैं, भावों का प्रति पर समर्पित बने चरित्र हैं”। डॉ कुo शशि जायसवाल, प्रयागराज ने पढा- ‘गुजिया पापड़ साथ ले आई हूं इस द्वार, आया होली का त्योहार आया होली का त्यौहार’। डॉ सी एल दीवाना रीवा-मध्य प्रदेश ने पढ़ा- “रंग अबीर की पावन बेला कर रही श्रृंगार, लेकर होली का त्योहार लेकर होली का त्यौहार” आई टी आई लिमिटेड रायबरेली से जुड़े वरिष्ठ कवि राम लखन वर्मा स. इंजीनियर एवं मीडिया प्रभारी, ने पढ़ा- “आनन्द रहैं सबकी होली, सब मिलिकै खेलो होरी हो,। रेनू मिश्रा गुना- मध्य प्रदेश ने पढ़ा- “होली आई रे होली आई रे, आई रे होली आई रे”। सोनीपत हरियाणा की धरती से जुडी कवियत्री डॉ कमलेश मलिक ने पढ़ा-‘गोपी संग ना खेले ग्वाल तो काहे की होगी होली, गोपी संग जो खेले ग्वाल तो होगी होली’। भैरू सिंह चौहान झाबुआ, मध्य प्रदेश ने पढा- “गली-गली में घूम रही है मस्तानों की टोली रे, देखो कैसी आई है रंग बिरंगी होली रे”। मथुरा, गोबर्धन-छाता से पधारे रामदेव शर्मा ‘राही’ ने पढ़ा- “कान्हा राधिका खेल रही सखी गोकुल मे होली”। अनीता वैकुंठ महाराष्ट्र से,ने पढा- ‘अंग्रेजों की अंग्रेजियों ने दिल छीन लिया मासूम का’। सत्यभामा सिंह मुंबई से बोली “खेलेगी तुम संग होली कन्हैया खेलो तुम संग होली रे”। डॉ दिवाकर पाठक हजारीबाग झारखंड ने पढा- “होली मिलन की आस लगी है मधुर मिलन की आस लगी है”। गिरिराज शर्मा ठेठ मलिहाबादी, लखनऊ ने पढा- “होली के रंग में रंग देखो रंगा सारा संसार, होली के सँग आ गई घर-घर खुशिओं का त्यौहार। संत कबीर नगर की धरती से जुड़े डॉ ईश्वर चंद्र जायसवाल जी ने पढ़ा- “लगाकर रंग पीकर भंग मनाते होली सब मन चंग”।
सुरेश कुमार बंछोर भिलाई- छत्तीसगढ़ से बोले “आपस में सौहार्द भक्ति भाव भरपूर आया रंग बसंती त्यौहार”।
इसी प्रकार से देश के कोने-कोने से विभिन्न कवि एवं कवित्रियों ने अपने-अपने भाव होली के रंगों द्वारा होली के त्यौहार को मनाने के लिए मौज मस्ती के सॉन्ग- भांग के संग और होली की फाग के संग अपनी अपनी वाणी को गीत/कविता के माध्यम से व्यक्त करने का भरपूर प्रयास किया! कवि सम्मलेन का समापन अध्यक्ष जी के समीक्षा उनके अंतिम काव्य पाठ साथ” रंग बरस रहा है होली मे, चारो तरफ खूब धूम मची है, क्या महलन क्या खोली मे, रंग बरस रहा है होली मे” शिवनाथ सिंह “शिव’ रायबरेली ने किया I अति विशिष्ट अतिथि गोण्डा की पावन धरती से जुड़े सुधीर श्रीवास्तव ने अपने काव्य-पाठ एवं उद्बोधन से मंच पर अपने विचार रखे और आयोजनों की आवश्यकता, सार्थकता तथा उपयोगिता के बारे मे बताया और साहित्य से संवाद की ओर एक कदम, एक प्रयास को विस्तार देने और शहरों, नगरों, जिलों, तहसीलों, ब्लॉक, ग्राम पंचायतों तक इसे पहुंचाने की जरूरत पर बल दिया I अंत में इस लगभग 5 घंटे तक चले विराट मैराथन कवि सम्मेलन को संस्था के संस्थापक अवधेश कुमार साहू,”बेचैन” ने सभी को आभार व्यक्त करते हुए होली में रंगों के त्यौहार के साथ रंग में रंग जाने की बात और प्रेम से मिलने की बात करके का विराट काव्य संध्या का समापन किया।