पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे पर सबसे ज्यादा चर्चा F-35 फाइटर जेट को लेकर हो रही है। मुलाकात के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा कि हम भारत के साथ हथियारों की बिक्री बढ़ा रहे हैं और आखिरकार F-35 लड़ाकू विमान की डील का रास्ता भी बना रहे हैं। F-35 अमेरिका का 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है। ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है। फिर ऐसी क्या वजह है कि ट्रम्प भारत पर इस फाइटर जेट को खरीदने का दबाव बना रहे हैं, इतना महंगा विमान खरीदने में भारत को फायदा होगा या नुकसान… जानेंगे इस स्टोरी में… F-35 फाइटर जेट डील की खामियां क्या हैं? 1. दुनिया में सबसे महंगा, 700-944 करोड़ का एक F-35 विमान F-35 के 3 वैरिएंट्स हैं, जिनकी कीमत 700 करोड़ रुपए से शुरू होकर 944 करोड़ रुपए के बीच है। इसके अलावा F-35 को ऑपरेट करने के लिए हर घंटे 31.20 लाख रुपए का अतिरिक्त खर्च आएगा। 2. सालाना ₹53 करोड़ मेंटिनेंस, हर घंटे उड़ान में खर्च होंगे 30 लाख अमेरिकी सरकार के कामों पर नजर रखने वाली संस्था गर्वनमेंट अकाउंटिबिलिटी ऑफिस (GAO) के नए अनुमान के मुताबिक, F-35 डेवलप करने के अमेरिकी सरकार के प्रोजेक्ट की लाइफटाइम कॉस्ट 2 लाख करोड़ डॉलर यानी करीब 170 लाख करोड़ रुपए आएगी। 2018 में इस प्रोग्राम का टोटल कॉस्ट 1.7 लाख करोड़ डॉलर यानी 157 लाख करोड़ रुपए तय किया गया था। इस संस्था का कहना है कि इस फाइटर जेट के रखरखाव की कीमत बढ़ने से इसकी लाइफटाइम कॉस्ट में भी बढ़ोतरी हुई। GAO के मुताबिक, एक F-35 के रखरखाव पर हर साल 53 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इसके साथ ही इसकी हर घंटे की उड़ान पर 30 लाख रुपए खर्च होंगे। ऐसे में अगर भारत 1000 करोड़ रुपए में ये विमान खरीदता है, तो इसके 60 साल के सर्विस पीरियड में 3,180 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये विमान की कीमत से तीन गुना ज्यादा है। 3. ड्रोन टेक्नोलॉजी के आगे फाइटर जेट्स पुराने, रूस-यूक्रेन जंग में दिखा ड्रोन टेक्नोलॉजी से युद्ध लड़े जाने का तरीका बदल गया है। फ्रंट लाइन पर फाइटर जेट्स की बजाय ड्रोन से हमला करना आसान है। रूस-यूक्रेन युद्ध में फ्रंट लाइन के पास एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम लगे होने की वजह से फाइटर जेट्स का हमला कर पाना मुश्किल है। ऐसे में छोटे और बेहद कम कीमत वाले ड्रोन्स सबसे घातक हथियार साबित हुए हैं। 4. इलॉन मस्क ने कहा था- कुछ बेवकूफ अभी भी F-35 जैसे लड़ाकू जेट बना रहे मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में वीडियो अपलोड किया था। इसमें एक साथ सैकड़ों छोटे ड्रोन आसमान को घेरे हुए थे। मस्क ने लिखा था- कुछ बेवकूफ अभी भी F-35 जैसे पायलट वाले लड़ाकू जेट बना रहे हैं। मस्क ने कहा कि F-35 का डिजाइन शुरुआती लेवल पर ही खराब था। इसे ऐसे डिजाइन किया गया कि हर किसी को हर खासियत मिल सके। लेकिन इसकी वजह से F-35 महंगा हो गया और उलझा हुआ प्रोडक्ट बन गया। ऐसे डिजाइन को कभी सफल होना ही नहीं था। वैसे भी ड्रोन के जमाने में अब ऐसे फाइटर जेट्स का कोई मतलब नहीं है। ये सिर्फ पायलट की जान लेने के लिए हैं। भारत को F-35 क्यों बेचना चाहते हैं ट्रंप कांग्रेस कही जाने वाली अमेरिकी संसद के लिए रिसर्च और एनालिसिस करने वाली कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस यानी CRS की का कहना है कि भारत अगले 10 सालों में 200 अरब डॉलर यानी करीब 17 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगा। ट्रंप अमेरिका को इस खर्च का सबसे बड़ा हिस्सेदार बनाना चाहते हैं। अमेरिका से पहले रूस पांचवीं पीढ़ी के Su 57 बेचने की पेशकश कर चुका है। ऐसे में तमाम उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने का दबाव बनाकर ट्रम्प भारत से यह डील करना चाहते हैं। भारतीय वायुसेना को विमानों की 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है। इसके बजाय वायुसेना के पास सिर्फ 31 स्क्वॉड्रन हैं। इसमें भी सक्रिय स्क्वॉड्रन की संख्या 29 ही हैं। मिग 29 बाइसन की 2 स्क्वॉड्रन इसी साल रिटायर हो जांएगी। एक स्क्वॉड्रन में 18 विमान होते हैं। इस हिसाब से वायुसेना के पास 234 विमानों की बड़ी कमी है। भारत की इस मजबूरी का फायदा ट्रंप उठाना चाहते हैं और किसी भी देश से पहले भारत को F-35 की कम से कम 2 स्क्वॉड्रन बेचना चाहते हैं। भारत के पास F-35 लड़ाकू विमान का क्या विकल्प है? 1. रूस का पांचवीं जेनरेशन का Su-57 लड़ाकू विमान, कीमत F-35 से आधी रूस ने भारत को अपना पांचवीं जेनरेशन का विमान Su-57 देने की पेशकश की है। F-35 के मुकाबले इसकी कीमत आधी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक Su-57 की कीमत करीब 325 करोड़ रुपए है। इसी हफ्ते बेंगलुरु में एयरो इंडिया 2025 में आए Su-57 के अधिकारियों ने अमेरिका का नाम लिए बगैर कहा कि अगर भारत रूसी जेट खरीदता है तो उसे न तो प्रतिबंधों की चिंता करनी होगी और न ही पुर्जों का इंतजार करना होगा। इसका रखरखाव भी F-35 के मुकाबले सस्ता होगा। दरअसल, भारत अमेरिका से F-35 खरीदता है तो उसे सर्विस से लेकर स्पेयर पार्ट्स तक के लिए अमेरिकी कंपनी पर निर्भर रहना होगा। जबकि Su-57 के साथ ऐसी दिक्कत नहीं है। रूस ने इसे भारत में ही बनाने का प्रस्ताव रखा है। अगर यह भारत में बनता तो इससे जुड़ी सभी सर्विस का इंतजाम भारत में ही होगा। रूस भारत का भरोसेमंद डिफेंस सप्लायर: कई दशक से रूस भारत का प्रमुख मिलिट्री सप्लायर रहा है। फाइटर जेट्स और सबमरीन से लेकर मिसाइल सिस्टम और हेलिकॉप्टर्स तक रूस भारत को मुहैया कराता रहा है। इनमें भारतीय वायु सेना के Su-30MKI, नेवी की तलवार क्लास की फ्रिगेट और आर्मी के T-90 टैंक रूस से लिए गए हैं। 2. भारत खुद पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट बना रहा भारत खुद के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान पर काम कर रहा है, जो 2-3 साल में पूरा हो जाएगा। अप्रैल 2024 में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति (CCS) ने पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी फाइटर जेट के डिजाइन और डेवलपमेंट के लिए 15 हजार करोड़ रुपए की प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इस फाइटर जेट का नाम ‘एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट’ (Advanced Medium Combat Aircraft – AMCA) है। कैबिनेट समिति के मुताबिक, AMCA विमान भारतीय वायु सेना के अन्य लड़ाकू विमानों से बड़ा होगा। इसमें दुश्मन के रडार से बचने के लिए एडवांस्ड स्टेल्थ टेक्नोलॉजी होगी। यह दुनिया में मौजूद पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ लड़ाकू विमानों के जैसा या उससे भी बेहतर होगा। अमेरिका की भारत को जैवलिन मिसाइल और स्ट्राइकर टैंक की भी पेशकश जैवलिन: एंटी टैंक मिसाइल यह एंटी टैंक हथियार है। अमूमन गुरिल्ला युद्ध में इस्तेमाल करते हैं। ये बेहद सख्त सुरक्षा कवच को भी भेद सकती है। इसे सैनिक कंधे पर रखते ऑपरेट करते हैं। इसकी रेंज 2500 मीटर तक होती है। 160 मीटर की ऊंचाई में भी जा सकती है। इसकी लंबाई 108 सेमी और वजन 22.3 किलो होता है। स्ट्राइकर: सशस्त्र सैन्य वाहन अमेरिकी स्ट्राइकर 8 व्हील वाला सैन्य वाहन है। इसमें 30 एमएम और 105 एमएम की गन है। ये 100 किमी/घंटे से चल सकता है। लंबाई 22 फीट 10 इंच, चौड़ाई 8 फीट 11 इंच, ऊंचाई 8 फीट 8 इंच है। इसे हेलिकॉप्टर से ऊंची जगह पहुंचा सकते हैं। लद्दाख में ट्रायल हो चुका।