देश में अगर कोई बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनी तेजी से बढ़ रहे इंटरनेट स्पेस में आगे बढ़ती है तो यह सिर्फ और सिर्फ मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो हो सकती है। मुकेश अंबानी ने साल 2002 में अपने पिता से विरासत में मिले व्यवसायों को जब संभाला तभी से उन्हें पता चल गया था कि टेक्नोलॉजी और रिटेल भविष्य के विकास वाले सेक्टर के रूप में पहचाने जाएंगे।
अंबानी का फोकस रिटेल पर
रिटेल अब अंबानी के लिए अगला फोकस है। उनकी यह महत्वाकांक्षा है कि चीन की अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड जैसी घरेलू ई-कॉमर्स कंपनी स्थापित की जाए। देश में सिलिकॉन वैली की महत्वाकांक्षाएं यूं तो अंबानी के समक्ष एक तरह से चुनौतियां पेश करती हैं, लेकिन जिस तरह से अंबानी के पास जोखिम से लड़ने की क्षमता और लोगों को साथ लेकर चलने का कौशल शामिल है उससे देखा जाए तो यह लक्ष्य उनके लिए कोई मुश्किल नहीं होगा।
दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां निवेश में रूचि दिखा रहीं
आसानी से वे विश्व के नक्शे पर अपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी बात को ध्यान में रखकर वोकल फाेर लोकल का नारा बुलंद करते आ रहे हैं ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था विकास के पथ पर अग्रसर हो। अंबानी की कंपनी में दुनियाभर की दिग्गज कंपनियां निवेश कर रही है। फिर चाहे गूगल हो या फेसबुक। हाल ही में ब्लूमबर्ग ने बताया कि अंबानी के रिटेल कारोबार में दिग्गज ई कॉमर्स कंपनी अमेजन भी 20 बिलियन डॉलर निवेश करके अपनी हिस्सेदारी बना सकती है। बता दें कि इस समय बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां भारत के इंटरनेट स्पेस में अपनी बड़ी जगह बनाना चाहती हैं पर मुकेश अंबानी को बाइपास करना उनके लिए आसान नहीं है।
अमेजन रिलायंस से कंपटीशन नहीं करेगी!
इकोनोमिस्ट अरुण कुमार कहते हैं कि हमारा मानना है कि सरकार मल्टीनेशनल कंपनियों को यह संकेत दे रही है कि उनके लिए यही बेहतर है कि वे भारतीय कंपनियों के साथ भागीदारी कर देश में आएं। इसलिए अमेजन रिलायंस से कंपटीशन करने की बजाय उसके साथ भारत में आने की सोच रही है। मुकेश अंबानी ने एनर्जी बिजनेस से निकलकर दूसरे सेक्टर्स पर ध्यान दिया है। उन्हें यह लगता है कि भविष्य में टेक्नोलॉजी और रिटेल की ग्रोथ बहुत अच्छी है। यही कारण है कि पहले टेक्नोलॉजी में हाथ आजमाने के बाद उनका पूरा फोकस अब रिटेल पर है। रिटेल और टेक्नोलॉजी को मिलाकर अंबानी 2.5 लाख करोड़ रुपए की राशि जुटा सकते हैं।
जियो मार्ट देगी फ्लिपकार्ट, स्नैपडील को टक्कर
जियो टेलीकॉम से उन्होंने 1.52 लाख करोड़ की राशि जुटाई है। जबकि रिटेल से अभी शुरुआत में 7.5 हजार करोड़ की राशि जुटाई है। यही नहीं, अंबानी ने उस नब्ज को भी पहचाना है, जिसमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, बिग बास्केट जैसी कंपनियां आज लीडर हैं। ई-कॉमर्स में मुकेश अंबानी ने पहले ही आने की घोषणा की थी और इसके लिए उन्होंने जियो मार्ट को शुरू किया है। जियो मार्ट के जरिए मुकेश अंबानी इन कंपनियों कड़ी टक्कर दे सकती है।
कंपनी अपना पेमेंट सिस्टम भी शुरू करने का सोच रही है
रिलायंस खुद का पेमेंट सिस्टम भी शुरू करने का सोच रही है। उसके 40 करोड़ मोबाइल के ग्राहक, वॉट्सऐप के साथ साझेदारी और रिटेल तथा ई-कॉमर्स के कारण पेमेंट सिस्टम उसके लिए फायदेमंद है। अंबानी प्रधानमंत्री मोदी की उस धारणा के मुताबिक काम कर रहे हैं जो आत्मनिर्भर होने से जुड़ा है। गूगल के साथ मिलकर फोन बनाने, रिटेल में रिलायंस का उपयोग, ई-कॉमर्स में मल्टीनेशनल को चुनौती देने, पेमेंट सिस्टम शुरू करने जैसी यह सभी चीजें ग्राहकों से जुड़ी हैं और यही ज्यादा आत्मनिर्भर होने की भी चीजें हैं।