पाकिस्तान को सपोर्ट करने के कारण तुर्किये का भारत में बायकॉट हो रहा है। न केवल ट्रैवल कैंसिलेशन बढ़े हैं, बल्कि सेब और मार्बल सहित तुर्की से इंपोर्ट किए जाने वाले हर सामान का बायकॉट किया जा रहा है। 16 मई को कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT ) ने तुर्किये और अजरबैजान के साथ व्यापार खत्म करने की घोषणा की। दिल्ली में हुई मीटिंग में देश के 24 राज्यों से बिजनेस लीडर्स ने भाग लिया। CAIT ने गुरुवार को कहा था कि जो देश भारत के खिलाफ हैं उसके साथ व्यापार करने का कोई सवाल ही नहीं है। 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव बढ़ा, तो तुर्किये-अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया और भारत के खिलाफ इस्तेमाल के लिए पाकिस्तान को ड्रोन्स-हथियार और इन्हें चलाने वाले ट्रेंड इंडिविजुअल भी भेजे। इसके बाद देशभर में बायकॉट टर्की और बायकॉट अजरबैजान शुरू हो गया है। इस स्टोरी में जानेंगे बहिष्कार से तुर्किये की इकोनॉमी पर होने वाले असर के बारे में … भारत-तुर्किये व्यापार: सेब का सबसे बड़ा सप्लायर है तुर्किये बीते 5 साल में दोनों देशों के बीच व्यापार में कोई बड़ा बदलाव देखने को नहीं मिला है। अप्रैल 2024 से लेकर फरवरी 2025 के बीच भारत ने तुर्किये को 5.2 अरब डॉलर (₹44,500 करोड़) का सामान बेचा। 2023-24 में यह आंकड़ा 6.65 अरब डॉलर (56,873 करोड़ रुपए) था। इस दौरान भारत ने तुर्किये से 2.84 अरब डॉलर (करीब 24,320 करोड़) का सामान खरीदा। दोनों देशों के बाइलेट्रल ट्रेड में भारत हमेशा ट्रेड सरप्लस रहा है। यानी हमने तुर्किये से सामान खरीदने के मुकाबले ज्यादा बेचा है। भारत मुख्य रूप से मिनरल फ्यूल्स, ऑटो पार्ट्स, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स और कपास का निर्यात करता है। हालांकि, तुर्किये से आयात में सोना, संगमरमर, सेब, सब्जियां, सीमेंट और रसायन शामिल हैं। तुर्किये भारत को सेब के सबसे बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। बायकॉट का तुर्किये पर असर: व्यापार घटा बढ़ने से इकोनॉमी पर असर होगा 1. टूरिज्म पर असर 2024 में लगभग 3.30 लाख भारतीय पर्यटकों ने तुर्किये की यात्रा की, जिससे तुर्की की अर्थव्यवस्था में करीब ₹3,000 करोड़ का योगदान हुआ। बहिष्कार के कारण ट्रैवल बुकिंग में 60% की गिरावट और कैंसिलेशन में 250% की बढ़ोतरी हुई है। देश की मेजर ट्रैवल बुकिंग कंपनियों- EaseMyTrip, इक्सिगो और मेकमाईट्रिप जैसे प्लेटफॉर्म ने भी तुर्किये के लिए प्रचार रोक दिया है। इससे तुर्किये की टूरिज्म सेक्टर पर असर पड़ सकता है। 2. एक्सपोर्ट मार्केट लॉस भारत तुर्किये के संगमरमर और सेबों के लिए एक बड़ा बाजार है। बहिष्कार से तुर्किये को अपने प्रोडक्ट के लिए दूसरे मार्केट तलाशने होंगे, जो शायद उतनी मात्रा में प्रोडक्ट नहीं ले पाएं या कीमतें न दे पाएं। OEC के अनुसार, भारत ने 2023 में तुर्किये से लगभग 92.8 मिलियन डॉलर के सेब आयात किए। पुणे के व्यापारियों ने तुर्किये से सेब खरीदना बंद करने का फैसला किया है। इसके बजाय, वे हिमाचल, उत्तराखंड, ईरान और अन्य क्षेत्रों से सेब खरीद रहे हैं। स्टोरीबोर्ड के अनुसार, तुर्किये वर्तमान में भारत के आयातित संगमरमर का लगभग 70% आपूर्ति करता है – लगभग 14 से 18 लाख टन सालाना, जिसकी कीमत ₹2,500 से ₹3,000 करोड़ के बीच है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 125 मार्बल फर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने सरकार से तुर्किये से मार्बल के आयात पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है। यदि भारत का निर्यात जारी रहता है और तुर्की का एक्सपोर्ट घटता है, तो भारत के साथ तुर्की का व्यापार घाटा बढ़ सकता है। इस सीधा असर उसके इकोनॉमी पर देखने को मिल सकता है। बायकॉट का तुर्किये की इकोनॉमी पर ज्यादा बड़ा असर नहीं होगा INSEAD बिजनेस स्कूल में अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर पुशन दत्त ने कहा, “तुर्किये के निर्यात का केवल 0.64% हिस्सा भारत को जाता है, और इसके आयात का 3% हिस्सा भारत से आता है। इसी तरह, तुर्किये के केवल 0.5% पर्यटक भारत से आते हैं। इसलिए, ट्रेड और टूरिज्म का बहिष्कार करने से तुर्किये की इकोनॉमी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। बायकॉट का भारत पर असर: सेब-संगमरमर महंगा हो सकता हैं भारत अपने कुल संगमरमर आयात का 70% तुर्किये से करता है, जिसकी वैल्यू सालाना 2,500-3,000 करोड़ रुपए है। वहीं, सेब का इंपोर्ट सालाना 1,000-1,200 करोड़ रुपए है। बायकॉट के कारण, भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए ये प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं। तुर्किये का बायकॉट करने के लिए उठाए गए तीन बड़े कदम एर्दोगन बोले- तुर्किये-पाक की सच्ची दोस्ती के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक बायकॉट के बावजूद, तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को एक्स पर जवाब देते हुए उन्हें ‘प्रीशियस ब्रदर’ कहा और समर्थन दिखाया। उन्होंने लिखा- मेरे प्रीशियस ब्रदर, तुर्किये और पाकिस्तान के बीच भाईचारा, जिसका आनंद दुनिया में बहुत कम देशों में मिलता है, सच्ची दोस्ती के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक है। हम पाकिस्तानी स्टेट की समझदारीपूर्ण, धैर्यपूर्ण नीति की सराहना करते हैं, जो विवादों को सुलझाने में बातचीत और समझौते को प्राथमिकता देती है। भारत ने तुर्किये की मदद की थी 6 फरवरी, 2023 को दक्षिणी तुर्किये में आए भूकंप के बाद, भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ नाम से एक मानवीय मिशन शुरू किया, जो तुर्किये पहुंचने वाले शुरुआती विदेशी सहायता मिशनों में से एक था। 250 से ज़्यादा ट्रेंड पर्सनल को विशेष उपकरणों और राहत सामग्री के साथ छह सी-17 सैन्य विमानों में तुर्किये भेजा गया था। उन्होंने बचाव प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लिया और जीवन रक्षक सर्जरी सहित मेडिकल ट्रीटमेंट प्रदान किया। ————————— ये खबर भी पढ़ें… तुर्किये-अजरबैजान का बॉयकॉट कर रहे भारतीय टूरिस्ट: मेकमाइट्रिप पर 1 हफ्ते में 250% कैंसिलेशन बढ़े, इंडियंस ने पिछले साल ₹4,000 करोड़ खर्च किए थे भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच भारतीय टूरिस्ट तुर्किये और अजरबैजान का बॉयकॉट कर रहे हैं। मेकमाइट्रिप के अनुसार पिछले एक हफ्ते में तुर्किये-अजरबैजान जाने वाले यात्रिओं के कैंसिलेशन 250% बढ़े हैं। इसी के साथ बुकिंग्स में 60% गिरावट आई है। वहीं जरबैजान के लिए 30%, तुर्किये के लिए 22% कैंसलेशन बढ़े हैं। दरअसल, भारत के ऑपरेशन सिंदूर की तुर्किये और अजरबैजान ने खुलकर आलोचना की थी। इसके बाद पिछले दिनों सोशल मीडिया पर बॉयकॉट टर्की और बॉयकॉट अजरबैजान ट्रेंड पर रहे। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… तुर्किये की सेलेबी एविएशन ने सरकार पर केस किया: कहा- सिक्योरिटी क्लीयरेंस खत्म करने का कारण साफ नहीं, तुर्किए ने पाकिस्तान का सपोर्ट किया था तुर्किये की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी एविएशन ने सिक्योरिटी क्लीयरेंस खत्म करने के भारत सरकार के फैसले को चुनौती दी है। दिल्ली की एक कोर्ट में फाइल लीगल पिटीशन में कंपनी ने कहा कि क्लियरेंस कैंसिल करने के पीछे भारत सरकार का कारण साफ नहीं है। गुरुवार, 15 मई को भारत के सिविल एविएशन सिक्योरिटी ब्यूरो (BCAS) ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर सेलेबी का सिक्योरिटी क्लीयरेंस कैंसिल कर दिया था। इसके चलते सेलेबी को तुरंत सभी ग्राउंड हैंडलिंग फैसिलिटीज भारत से हटानी होंगी। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…