भारत में 10 साल में 4 गुना बढ़ा ऑर्गन डोनेशन:2013 में 4990 डोनर थे, 2023 में बढ़कर 17168 हुए; किडनी ट्रांसप्लांट में दिल्ली आगे

देश में अंगदान करने में पुरुषों से महिलाएं आगे हैं। 2023 में 16,542 अंगदान हुए, जिसमें ‎अधिक महिलाएं जीवित दाता (अलाव डोनर) थीं। केंद्रीय स्वास्थ्य‎ और परिवार कल्याण मंत्रालय के इसका डेटा जारी किया है। साल 2023 में हुए 5651 पुरुषों और 9784 ‎महिलाओं ने अंग दान किए। साथ ही कुल ‎18378 ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए गए। इसमें ‎13426 किडनी ट्रांसप्लांट सबसे अधिक थे।‎ बीते 10 साल में अंगदान में ‎करीब चार गुना की बढ़ोतरी हुई है। आंकड़ों से‎ पता चला है कि मृत पुरुष डोनर की संख्या ‎अधिक है, जिसमें 844 पुरुषों ने अंग दान किया,‎जबकि 255 महिलाओं ने ऑर्गन डोनेट किए। वहीं, दिल्ली किडनी ट्रांसप्लांट में सबसे आगे है। साल 2013 में जहां कुल‎ डोनर 4990 थे, वहीं 2023 में यह ‎बढ़कर 17168 हाे गए। इसके बावजूद देश में ‎अंगदान दर अभी भी प्रति 10 लाख की आबादी में एक से नीचे है। आठ अंगों को दान कर सकते हैं लोग दिल्ली में सबसे ज्यादा ​​​​​​किडनी का ट्रांसप्लांट
नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NATTO) की रिपोर्ट के अनुसार किडनी ट्रांसप्लांट में दिल्ली 2576 मामलों के साथ अंगदान की लिस्ट में सबसे ‎ऊपर है। तमिलनाडु में 1633 और महाराष्ट्र में 1,305 मामले सामने आए हैं। ‎तमिलनाडु में पिछले साल सबसे ज्यादा 70 हार्ट का प्रत्यारोपण हुए हं। ‎ लिविंग ऑर्गन डोनेशन लिविंग ऑर्गन डोनेशन में अंगदान कर रहे व्यक्ति को इन प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है- मृत्युपर्यंत अंगदान किसी भी कारण से हुई आकस्मिक मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का अंगदान किया जा सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी है डोनर के परिवार की सहमति। उसके बाद मेडिकल सुपरविजन में मृत व्यक्ति के ट्रांसप्लांट किए जा सकने वाले अंगों को सर्जिकली रिमूव करके बॉडी ससम्मान मृत व्यक्ति के परिवार को लौटा दी जाती है। भारत में ऑर्गन डोनेशन को लेकर क्या कानून है?
ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन एंड टिशूज एक्ट (Transplantation of Human Organs Tissues Act) वर्ष 1994 में पास हुआ था। यह कानून जीवन बचाने के लिए मानव अंगों के सर्जिकल रिमूवल, ट्रांसप्लांटेशन और उसके रख-रखाव के नियमों को सुनिश्चित करता है। साथ ही इस कानून मानव अंगों की तस्करी रोकने के लिए भी कठोर प्रावधान हैं। इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति का ब्रेन स्टेम डेड होना मृत्यु का प्रमाण है। इसके बाद परिवार की सहमति से उसके शरीर के अंग और टिशूज डोनेट और ट्रांसप्लांट किए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए इस कानून से जुड़ी रेगुलेटरी और एडवायजरी बॉडी है, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करती है। इस कानून के मुताबिक लिविंग ऑर्गन डोनेशन की स्थिति में डोनर डायरेक्ट ब्लड रिलेशन का ही हो सकता है। पैसे लेकर ऑगर्न की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने के लिए यह प्रावधान किया गया है। किसी का जीवन बचाने के लिए अंगदान कैसे कर सकते हैं?
दो तरीकों से अंगदान करते हैं। जीवित रहते हुए और मृत्यु के बाद। जीवित रहते हुए लिवर, किडनी जैसे अंग डोनेट किए जा सकते हैं, लेकिन रिसीवर आपके परिवार का नजदीकी व्यक्ति जैसे माता-पिता, पति-पत्नी, भाई-बहन या कोई डायरेक्ट रिलेटिव ही हो सकता है। मृत्युपर्यंत ऑर्गन डोनेशन के भी दो तरीके हैं। आप चाहें तो अपनी बॉडी किसी आधिकारिक मेडिकल संस्थान को दान कर सकते हैं। ऐसा न होने की स्थिति में मृत्यु के बाद उस व्यक्ति के करीबी लोग बॉडी डोनेट करने का फैसला ले सकते हैं।