श्रीलंका के आम चुनावों में राजपक्षे परिवार की श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) ने दो-तिहाई बहुमत से जीत हासिल की है। इन नतीजों के बाद अब महिंदा राजपक्षे पीएम बने रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुझानों में बढ़त देखते ही गुरुवार को फोन करके महिंदा राजपक्षे को शुभकामना दी थी।
श्रीलंका में बुधवार को चुनाव हुए थे। गुरुवार को काउंटिंग शुरू हुई थी। शुक्रवार सुबह आधिकारिक तौर पर नतीजों का ऐलान किया गया। महिंदा राजपक्षे की पार्टी 9 महीने पहले राष्ट्रपति चुनाव भी जीती थी। इसके बाद उनके छोटे भाई गोतबाया राजपक्षे ने 18 नवंबर को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
मोदी-राजपक्षे ने साथ मिलकर काम करने का भरोसा जताया
एसएलपीपी का दक्षिण में दबदबा रहा
देश के दक्षिणी हिस्से में एसएलपीपी ने करीब 60% वोट हासिल किए। यहां बहुसंख्यक सिंहली समुदाय है। इसे एसएलपीपी का वोट बैंक माना जाता है। उत्तर में तमिल अल्पसंख्यकों का दबदबा है। यहां पर जाफना के पोलिंग डिवीजन में एसएलपीपी की सहयोगी एलम पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (ईपीडीपी) ने तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) को हराया है। जबकि, जाफना जिले के ही दूसरे डिवीजन में ईपीडीपी को हार मिली है।
बहुमत के लिए 113 सीटें जरूरी
यहां कुल 225 संसदीय सीटें हैं। बहुमत के लिए 113 सीटें जरूरी हैं। 196 सीटों के लिए वोट डाले जाते हैं, बाकी 29 सीटों पर जीत-हार का फैसला हर पार्टी को मिले वोटों के आधार पर होता है। यहां करीब 1 करोड़ 60 लाख मतदाता हैं। पहले ये चुनाव 25 अप्रैल को होने थे, लेकिन महामारी को देखते हुए तारीख 20 जून, फिर 5 अगस्त कर दी गई थी।
चीन समर्थक मानी जाती है राजपक्षे की पार्टी
एसएलपीपी को चीन का करीबी माना जाता है। यहां चीन ने इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी निवेश किया है। श्रीलंका अभी आर्थिक रूप से कमजोर है और चीन उसकी मदद करके रिश्तों में और मजबूती लाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में एसएलपीपी की जीत भारत के लिए फायदेमंद नहीं मानी जाती।
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