भारत 2 न्यूक्लियर सबमरीन बनाएगा:31 प्रीडेटर ड्रोन अमेरिका से खरीदेगा; 80 हजार करोड़ की दोनों डील को कैबिनेट की मंजूरी

सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने बुधवार को 2 न्यूक्लियर सबमरीन के स्वदेशी निर्माण की मंजूरी दे दी है। साथ ही अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की डील को भी मंजूरी मिल गई है। दोनों डील की लागत 80 हजार करोड़ रुपए हैं। सूत्रों के हवाले से ANI ने बताया कि नौसेना को मिलने वाली 2 न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन मिलेंगी विशाखापत्तनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में बनेगी। इनके निर्माण में लार्सन एंड टूर्ब्रो जैसी प्राइवेट कंपनी भी हिस्सा लेगी। दोनों सबमरीन बनने में 40 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। मीडिया रिपोर्ट के रिपोर्ट के मुताबिक नेवी ने इन पनडुब्बी की डील के लिए PM मोदी के सामने जनवरी 2024 में रखी थी। 31 प्रीडेटर की 40 हजार करोड़ रुपए में हुई है। ये 31 ड्रोन में हेलफायर मिसाइल से लैंस हैं। साथ ही इन ड्रोन से टारगेट पर प्रिसिजन-गाइडेड बम और हाई-फायर रोटरी तोप से भी हमला किया जा सकता है। नेवी न्यूक्लियर सबमरीन की जरूरत क्यों, 4 वजहें 31 अमेरिकी ड्रोन में कुछ भारत में असेंबल होंगे भारत इससे पहले 3 न्यूक्लियर सबमरीन तैयार कर चुका है भारतीय नौसेना अब तक 3 न्यूक्लियर सबमरीन तैयार कर चुकी है। इसमें से एक अरिहंत कमीशंड है, दूसरी अरिघात मिलने वाली है और तीसरी S3 पर टेस्टिंग जारी है। इन सबमरीन के जरिए दुश्मन देशों पर परमाणु मिसाइल दागी जा सकती हैं। 2009 में पहली बार सांकेतिक तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर INS अरिहंत को लॉन्च किया था। इसके बाद 2016 में इसे नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। अगले 5 साल में दो और पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना ने लॉन्च किया है। 2009 में लॉन्च करने से पहले भारत ने पनडुब्बियों को दुनिया से छिपा रखा था। 1990 में भारत सरकार ने ATV यानी एडवांस टेक्नोलॉजी वेसल प्रोग्राम शुरू किया था। इसके तहत ही इन पनडुब्बियों का निर्माण शुरू हुआ था। दुनियाभर में सिर्फ 6 न्यूक्लियर ट्रायड देश, जिसमें भारत भी
INS अरिघात समुद्र के अंदर मिसाइल अटैक करने में उसी तरह सक्षम है, जिस तरह अरिहंत ने 14 अक्टूबर 2022 को टेस्टिंग की थी। तब अरिहंत से K-15 SLBM की सफल टेस्टिंग की गई थी। इसी के साथ भारत अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के अलावा दुनिया का छठा न्यूक्लियर ट्रायड देश बन गया था। अब आसान भाषा में समझिए न्यूक्लियर ट्रायड क्या होता है?
इसे हम भारत और पाकिस्तान के उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए भारत और पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे पर युद्ध की तैयारी करने लगते हैं। परमाणु हथियारों को छोड़ दें तो सैनिक शक्ति के मामले में भारत पाकिस्तान पर काफी भारी है। यानी युद्ध हुआ तो भारत की जीत तय है। ऐसे हालात में पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला करने का प्लान बनाने में जुट जाता है। अब सवाल ये है कि पाकिस्तान सबसे पहले क्या सोचेगा? इसका जवाब है कि ऐसे में पाकिस्तान की सबसे बड़ी चिंता होगी कि अगर वह परमाणु हमला करता है तो भारत भी जवाब में उस पर परमाणु हथियार इस्तेमाल करेगा। इस तरह पाकिस्तान खुद भी तबाह हो जाएगा। ऐसे में पाकिस्तान भारत पर इतने ज्यादा परमाणु बम गिराने का प्लान बनाएगा कि भारत की जमीन पूरी तरह तबाह हो जाए और वह पाकिस्तान पर जवाबी हमला करने की स्थिति में न रहे। इधर, भारत पहले से ऐसे किसी परमाणु हमले के जवाब में दुश्मन पर परमाणु हमला करने की क्षमता को बचाए रखने की तैयारी किए बैठा होगा। इसके दो तरीके हैं.. इस तरह साफ है कि परमाणु हथियारों को जमीन से मिसाइलों के जरिए, हवा से लड़ाकू विमानों और समुद्र से पनडुब्बियों के जरिए दागने की क्षमता को ही न्यूक्लियर ट्रायड कहते हैं।