भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स स्पेस से वापस लौटने के बाद पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। सुनीता और उनके साथी एस्ट्रोनॉट बुच विल्मोर और निक हेग के साथ टेक्सास के जॉनसन स्पेस सेंटर में मीडिया से बात की। भारत से DB Digital एकमात्र न्यूज संस्थान रहा सुनीता विलियम्स ने जिसके सवालों का जवाब दिया। DB Digital रिपोर्टर उत्कर्ष कुमार सिंह के सवाल का जवाब देते हुए सुनीता विलियम्स ने कहा कि वो जल्द भारत आएंगी। भास्कर रिपोर्टर उत्कर्ष कुमार सिंह ने सुनीता विलियम्स से दो सवाल पूछे: पहला सवाल: ISRO चीफ ने कहा कि भारत चाहता है कि इसरो आपके अनुभव को स्पेस एक्सप्लोरेशन में यूटिलाइज करना चाहता है। ऐसे में क्या हम आपको भविष्य में इसरो के साथ काम करते हुए देख सकते हैं? दूसरा सवाल: ISS (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन) पर रहते हुए वहां से भारत को देखना कैसा अनुभव रहा? कोई मूवमेंट जो आप शेयर करना चाहेंगी। स्पेस से भारत कैसा दिखता है? सुनीता विलियम्स का जवाब: मैं जल्दी दूसरे सवाल का जवाब देना चाहूंगी। भारत अद्भुत है। अंतरिक्ष से हिमालय का नजारा शानदार अनुभव रहता है। हर बार जब हम हिमालय के ऊपर से गुजरते थे, तो बुच ने कुछ अविश्वसनीय तस्वीरें लीं। ऐसा लगता था जैसे लहरें उठ रही हों और भारत में नीचे की ओर बह रही हों। भारत में समृद्ध रंगों को देखना अद्भुत है। खासकर जब नजारा गुजरात और मुंबई की तरफ बदलता था। बड़े शहरों से छोटे शहरों तक रोशनी का एक नेटवर्क फैला हुआ दिखाई देता था। मैं जल्द अपने पिता के देश जाने आने की उम्मीद करती हूं। मैं वहां के लोगों से मिलने के लिए एक्साइटेड हूं। एक्सिओम मिशन में एक भारतीय एस्ट्रोनॉट के साथ अंतरिक्ष में जाने को लेकर उत्साहित हूं। अपने पिता के होमटाउन जाने का सपना मैंने हमेशा देखा है, और मैं देश को और गहराई से अनुभव करने के लिए बेताब हूं। मैं वहां बहुत सारे लोगों से मिलूंगी और अपने ISS के अनुभवों को साझा करूंगी। भारत की एक महान देश और अद्भुत लोकतंत्र है। भारत ने अंतरिक्ष रिसर्च में उल्लेखनीय प्रगति की है। हमें कोई जानकारी नहीं थी कि धरती पर क्या हो रहा है
सुनीता विलियम्स ने कहा कि उनके वापस लौटने पर लोगों ने जिस तहत से उनका स्वागत किया वह उससे बहुत अच्छा महसूस कर रही हैं। हम इस देश (अमेरिका) के आभारी हैं, जिसने हमारे लिए प्रार्थना की और हमारे साथ जुड़े रहे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुनीता विलियम्स ने कहा- हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि धरती पर क्या हो रहा है। यह मिशन हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य, राष्ट्रीय फोकस था। अंतरिक्ष में लंबे समय तक फंसे रहने के सवाल पर सुनीता विलियम्स ने कहा का कि यह एक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम था। हम पूरी तैयारी के साथ गए थे और हम उस वहां पर जाने और किसी भी तरह की अप्रत्याशित बदलवा के लिए तैयार थे। बुच विल्मोर बोले ISS में फंसे लोगों के लिए हम सभी जिम्मेदार
एस्ट्रोनॉट्स से जब पूछा गया कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंसे रहने के लिए कौन जिम्मेदार है? तब बुच विल्मोर ने कहा कि हम सभी जिम्मेदार हैं। हमें आगे की तरफ देखना चाहिए, हम बैठकर किसी को दोष नहीं दे सकते। मजबूत भरोसे के बिना आप स्पेस इंडस्ट्री टिके नहीं रह सकते हैं। बुच विल्मोर ने कहा कि हमारे पास रिहैबिलिटेशन (पुनर्वास) एक्सपर्ट्स हैं जो धरती वापस लौटने पर हमारी मदद करते हैं। हम मांसपेशियों को नुकसान से बचने के लिए बहुत सारी एक्सरसाइज कर रहे हैं। 8 दिन के मिशन पर गए थे, लेकिन 9 महीने से ज्यादा समय लग गया
भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अपने चार साथियों के साथ 19 मार्च पृथ्वी पर लौटीं थीं। वे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर 9 महीने 14 दिन तक रहीं। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बोइंग और NASA के 8 दिन के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इस मिशन का उद्देश्य बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता को टेस्ट करना था। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। लेकिन थ्रस्टर में आई गड़बड़ी के बाद उनका 8 दिन का मिशन 9 महीने से ज्यादा समय का हो गया था। ————————– सुनीता विलियम्स से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौटीं सुनीता विलियम्स:स्पेसक्राफ्ट का टेम्परेचर बढ़ने पर 7 मिनट संपर्क टूटा, फ्लोरिडा समुद्र तट पर लैंडिंग भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौट आए हैं। इनके साथ क्रू-9 के दो और एस्ट्रोनॉट अमेरिका के निक हेग और रूस के अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी हैं। उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भारतीय समयानुसार 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर स्प्लैशडाउन हुआ, यानी पानी में लैंडिंग हुई। यहां पढ़ें पूरी खबर…
सुनीता विलियम्स ने कहा कि उनके वापस लौटने पर लोगों ने जिस तहत से उनका स्वागत किया वह उससे बहुत अच्छा महसूस कर रही हैं। हम इस देश (अमेरिका) के आभारी हैं, जिसने हमारे लिए प्रार्थना की और हमारे साथ जुड़े रहे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुनीता विलियम्स ने कहा- हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि धरती पर क्या हो रहा है। यह मिशन हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य, राष्ट्रीय फोकस था। अंतरिक्ष में लंबे समय तक फंसे रहने के सवाल पर सुनीता विलियम्स ने कहा का कि यह एक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन प्रोग्राम था। हम पूरी तैयारी के साथ गए थे और हम उस वहां पर जाने और किसी भी तरह की अप्रत्याशित बदलवा के लिए तैयार थे। बुच विल्मोर बोले ISS में फंसे लोगों के लिए हम सभी जिम्मेदार
एस्ट्रोनॉट्स से जब पूछा गया कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में फंसे रहने के लिए कौन जिम्मेदार है? तब बुच विल्मोर ने कहा कि हम सभी जिम्मेदार हैं। हमें आगे की तरफ देखना चाहिए, हम बैठकर किसी को दोष नहीं दे सकते। मजबूत भरोसे के बिना आप स्पेस इंडस्ट्री टिके नहीं रह सकते हैं। बुच विल्मोर ने कहा कि हमारे पास रिहैबिलिटेशन (पुनर्वास) एक्सपर्ट्स हैं जो धरती वापस लौटने पर हमारी मदद करते हैं। हम मांसपेशियों को नुकसान से बचने के लिए बहुत सारी एक्सरसाइज कर रहे हैं। 8 दिन के मिशन पर गए थे, लेकिन 9 महीने से ज्यादा समय लग गया
भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स अपने चार साथियों के साथ 19 मार्च पृथ्वी पर लौटीं थीं। वे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर 9 महीने 14 दिन तक रहीं। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बोइंग और NASA के 8 दिन के जॉइंट ‘क्रू फ्लाइट टेस्ट मिशन’ पर गए थे। इस मिशन का उद्देश्य बोइंग के स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट की एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन तक ले जाकर वापस लाने की क्षमता को टेस्ट करना था। एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस स्टेशन पर 8 दिन में रिसर्च और कई एक्सपेरिमेंट भी करने थे। लेकिन थ्रस्टर में आई गड़बड़ी के बाद उनका 8 दिन का मिशन 9 महीने से ज्यादा समय का हो गया था। ————————– सुनीता विलियम्स से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौटीं सुनीता विलियम्स:स्पेसक्राफ्ट का टेम्परेचर बढ़ने पर 7 मिनट संपर्क टूटा, फ्लोरिडा समुद्र तट पर लैंडिंग भारतीय मूल की अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने 14 दिन बाद पृथ्वी पर लौट आए हैं। इनके साथ क्रू-9 के दो और एस्ट्रोनॉट अमेरिका के निक हेग और रूस के अलेक्सांद्र गोरबुनोव भी हैं। उनका ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भारतीय समयानुसार 19 मार्च को सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर स्प्लैशडाउन हुआ, यानी पानी में लैंडिंग हुई। यहां पढ़ें पूरी खबर…