मणिपुर में एक महिला और दो बच्चों के शव शुक्रवार को जिरी नदी में बहते मिले। इन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। ये शव सोमवार को मुठभेड़ के बाद से लापता हुए लोगों के हो सकते हैं। सोमवार को वर्दी पहने हथियारबंद उग्रवादियों ने बोरोब्रेका थाना परिसर और सीआरपीएफ कैंप पर हमला किया था। इसमें 10 उग्रवादी मारे गए थे। इस दौरान जिरीबाम जिले के बोरोब्रेका थाना परिसर स्थित राहत शिविर से 6 लोग लापता हो गए थे। स्थानीय लोगों ने आशंका जताई थी कि हमला करने वाले उग्रवादियों ने महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया है। इनकी तलाश की मांग को लेकर राज्य के अलग-अलग हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। अभियान की निगरानी के लिए शुक्रवार को इंफाल से आईजी और डीआईजी रैंक के अफसरों को जिरीबाम भेजा गया है। न्याय की मांग को लेकर कुकी समुदाय का प्रदर्शन
कुकी समुदाय से जुड़े लोग मुठभेड़ में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार को चुराचांदपुर में सैंकड़ों लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि मुठभेड़ की न्यायिक जांच हो। कुकी संगठन बोले- मरने वाले उग्रवादी नहीं, वॉलिंटियर्स थे
कुकी संगठनों ने दावा किया है कि मरने वाले उग्रवादी नहीं थे। सभी कुकी गांव के वॉलिंटियर्स थे। साथ ही कहा था कि CRPF को मंगलवार को हुई घटना को ध्यान में रखते हुए अपना कैंप नहीं छोड़ना चाहिए। संगठनों के इस दावे को आईजीपी ऑपरेशन आईके मुइवा खारिज किया। उन्होंने कहा कि मारे गए सभी लोगों के पास एडवांस हथियार थे। ये सभी यहां उपद्रव मचाने आए थे। इससे साबित होता है कि वे सभी उग्रवादी ही थे। उन्होंने कुकी समुदाय की CRPF पर गई टिप्पणी पर कहा- पुलिस और सुरक्षाबल भारत सरकार के अधीन काम कर रहे हैं। वे हमेशा अलग-अलग एजेंसियों के मार्गदर्शन में काम करते हैं। पुलिस और सीआरपीएफ जैसी सुरक्षा एजेंसियां अपने कर्तव्य के मुताबिक काम करना जारी रखेंगी। उग्रवादियों ने पुलिस स्टेशन-CRPF कैंप पर हमला किया था जिरिबाम जिले के जकुराडोर करोंग इलाके में मौजूद बोरोबेकेरा पुलिस स्टेशन पर 11 नवंबर को कुकी उग्रवादियों दोपहर करीब 2.30 से 3 बजे के बीच हमला किया था। जवाबी फायरिंग में सुरक्षाबलों ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया था। पुलिस स्टेशन के नजदीक ही मणिपुर हिंसा में विस्थापित लोगों के लिए एक राहत शिविर है। यहां रह रहे लोग कुकी उग्रवादियों के निशाने पर बने हुए हैं। शिविर पर पहले भी हमले हुए थे। अधिकारियों के मुताबिक उग्रवादी सैनिकों जैसी वर्दी पहने थे। इनके पास से 3 AK राइफल, 4 SLR , 2 इंसास राइफल, एक RPG, 1 पंप एक्शन गन, बीपी हेलमेट और मैगजीन बरामद हुई। सुरक्षाबलों ने बताया था कि पुलिस स्टेशन पर हमला करने के बाद उग्रवादी वहां से एक किलोमीटर दूर छोटी सी बस्ती की ओर भागे थे। वहां घरों-दुकानों में आग भी लगाई थी। सुरक्षाबलों ने उग्रवादियों पर गोलियां बरसाई थीं। किसान की हुई थी हत्या
11 नवंबर को ही मणिपुर के याइंगंगपोकपी शांतिखोंगबन इलाके में खेतों में काम कर रहे किसानों पर उग्रवादियों ने पहाड़ी से गोलीबारी की थी, जिसमें एक किसान की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। पुलिस ने बताया कि इस इलाके में उग्रवादी पहाड़ी से निचले इलाकों में फायरिंग करते हैं। खेतों में काम कर रहे किसानों को निशाना बनाया जा रहा है। हमलों के कारण किसान खेतों में जाने से डर रहे हैं। मणिपुर के 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू
मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के चलते फैसला लिया गया। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं। गृह मंत्रालय के आदेश में इम्फाल पश्चिम जिले का सेकमई और लमसांग, इम्फाल पूर्व जिले का लाम्लाई, जिरिबाम जिले का जिरिबाम, कांगपोकपी का लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले का मोइरंग थाना शामिल है। पूरी खबर पढ़ें … इंफाल में 3 दिन में भारी गोला-बारूद जब्त
असम राइफल्स ने बताया था कि मणिपुर के पहाड़ी और घाटी जिलों में तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने कई हथियार, गोला-बारूद और IED जब्त हुआ। 9 नवंबर को असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस की जॉइंट टीम ने चुराचांदपुर जिले के एल खोनोम्फई गांव के जंगलों से एक.303 राइफल, दो 9 एमएम पिस्टल, छह 12 सिंगल बैरल राइफल, एक.22 राइफल, गोला-बारूद और सामान जब्त किया था। इसके अलावा एस चौंगौबंग और कांगपोकपी जिले के माओहिंग में एक 5.56 मिमी इंसास राइफल, एक प्वाइंट 303 राइफल, 2 एसबीबीएल बंदूकें, दो 0.22 पिस्तौल, दो इंप्रोवाइज्ड प्रोजेक्टाइल लांचर, ग्रेनेड, गोला-बारूद जब्त किए गए थे। 10 नवंबर असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस और बीएसएफ की जॉइंट टीम ने काकचिंग जिले के उतांगपोकपी के एरिया में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था। इसमें एक 0.22 राइफल, गोला-बारूद और सामान शामिल था। 9-10 नवंबर: महिला की हत्या, पहाड़ी से गोलीबारी
इंफाल पूर्वी जिले के सनसाबी, सबुंगखोक खुनौ और थमनापोकपी इलाकों में 10 नवंबर को गोलीबारी की घटना हुई थी। 9 नवंबर को बिष्णुपुर जिले के सैटन में उग्रवादियों ने 34 साल की महिला की हत्या कर दी थी। घटना के वक्त महिला खेत में काम कर रही थी। उग्रवादियों ने पहाड़ी से निचले इलाकों में गोलीबारी की थी। 8 नवंबर: उग्रवादियों ने फूंक डाले 6 घर, 1 महिला की मौत
8 नवंबर को जिरीबाम जिले के जैरावन गांव में हथियारबंद उग्रवादियों ने 6 घर जला दिए थे। ग्रामीणों का आरोप था कि हमलावरों ने फायरिंग भी की थी। घटना में एक महिला की मौत हुई थी। मृतक महिला की पहचान जोसंगकिम हमार (31) के रूप में हुई थी। उसके 3 बच्चे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि हमलावर मैतेई समुदाय के थे। घटना के बाद कई लोग घर से भाग गए। 7 नवंबर को बलात्कार के बाद महिला को जिंदा जलाया
7 नवंबर को हमार जनजाति की एक महिला को संदिग्ध उग्रवादियों ने मार डाला था। उन्होंने जिरीबाम में घरों को भी आग लगा दी। पुलिस केस में उसके पति ने आरोप लगाया कि उसे जिंदा जलाने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया था। एक दिन बाद, मैतेई समुदाय की एक महिला की संदिग्ध कुकी विद्रोहियों ने गोली मार दी थी। मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए
कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत। स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था। 4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
कुकी समुदाय से जुड़े लोग मुठभेड़ में मारे गए लोगों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार को चुराचांदपुर में सैंकड़ों लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया। उनकी मांग है कि मुठभेड़ की न्यायिक जांच हो। कुकी संगठन बोले- मरने वाले उग्रवादी नहीं, वॉलिंटियर्स थे
कुकी संगठनों ने दावा किया है कि मरने वाले उग्रवादी नहीं थे। सभी कुकी गांव के वॉलिंटियर्स थे। साथ ही कहा था कि CRPF को मंगलवार को हुई घटना को ध्यान में रखते हुए अपना कैंप नहीं छोड़ना चाहिए। संगठनों के इस दावे को आईजीपी ऑपरेशन आईके मुइवा खारिज किया। उन्होंने कहा कि मारे गए सभी लोगों के पास एडवांस हथियार थे। ये सभी यहां उपद्रव मचाने आए थे। इससे साबित होता है कि वे सभी उग्रवादी ही थे। उन्होंने कुकी समुदाय की CRPF पर गई टिप्पणी पर कहा- पुलिस और सुरक्षाबल भारत सरकार के अधीन काम कर रहे हैं। वे हमेशा अलग-अलग एजेंसियों के मार्गदर्शन में काम करते हैं। पुलिस और सीआरपीएफ जैसी सुरक्षा एजेंसियां अपने कर्तव्य के मुताबिक काम करना जारी रखेंगी। उग्रवादियों ने पुलिस स्टेशन-CRPF कैंप पर हमला किया था जिरिबाम जिले के जकुराडोर करोंग इलाके में मौजूद बोरोबेकेरा पुलिस स्टेशन पर 11 नवंबर को कुकी उग्रवादियों दोपहर करीब 2.30 से 3 बजे के बीच हमला किया था। जवाबी फायरिंग में सुरक्षाबलों ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया था। पुलिस स्टेशन के नजदीक ही मणिपुर हिंसा में विस्थापित लोगों के लिए एक राहत शिविर है। यहां रह रहे लोग कुकी उग्रवादियों के निशाने पर बने हुए हैं। शिविर पर पहले भी हमले हुए थे। अधिकारियों के मुताबिक उग्रवादी सैनिकों जैसी वर्दी पहने थे। इनके पास से 3 AK राइफल, 4 SLR , 2 इंसास राइफल, एक RPG, 1 पंप एक्शन गन, बीपी हेलमेट और मैगजीन बरामद हुई। सुरक्षाबलों ने बताया था कि पुलिस स्टेशन पर हमला करने के बाद उग्रवादी वहां से एक किलोमीटर दूर छोटी सी बस्ती की ओर भागे थे। वहां घरों-दुकानों में आग भी लगाई थी। सुरक्षाबलों ने उग्रवादियों पर गोलियां बरसाई थीं। किसान की हुई थी हत्या
11 नवंबर को ही मणिपुर के याइंगंगपोकपी शांतिखोंगबन इलाके में खेतों में काम कर रहे किसानों पर उग्रवादियों ने पहाड़ी से गोलीबारी की थी, जिसमें एक किसान की मौत हुई थी और कई घायल हुए थे। पुलिस ने बताया कि इस इलाके में उग्रवादी पहाड़ी से निचले इलाकों में फायरिंग करते हैं। खेतों में काम कर रहे किसानों को निशाना बनाया जा रहा है। हमलों के कारण किसान खेतों में जाने से डर रहे हैं। मणिपुर के 6 इलाकों में AFSPA फिर से लागू
मणिपुर के 5 जिलों के 6 थानों में फिर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल प्रोटेक्शन एक्ट (AFSPA) लागू कर दिया गया है। यह 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगा। गृह मंत्रालय ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि इन इलाकों में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के चलते फैसला लिया गया। AFSPA लागू होने से सेना और अर्ध-सैनिक बल इन इलाकों में कभी भी किसी को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले सकते हैं। गृह मंत्रालय के आदेश में इम्फाल पश्चिम जिले का सेकमई और लमसांग, इम्फाल पूर्व जिले का लाम्लाई, जिरिबाम जिले का जिरिबाम, कांगपोकपी का लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले का मोइरंग थाना शामिल है। पूरी खबर पढ़ें … इंफाल में 3 दिन में भारी गोला-बारूद जब्त
असम राइफल्स ने बताया था कि मणिपुर के पहाड़ी और घाटी जिलों में तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने कई हथियार, गोला-बारूद और IED जब्त हुआ। 9 नवंबर को असम राइफल्स और मणिपुर पुलिस की जॉइंट टीम ने चुराचांदपुर जिले के एल खोनोम्फई गांव के जंगलों से एक.303 राइफल, दो 9 एमएम पिस्टल, छह 12 सिंगल बैरल राइफल, एक.22 राइफल, गोला-बारूद और सामान जब्त किया था। इसके अलावा एस चौंगौबंग और कांगपोकपी जिले के माओहिंग में एक 5.56 मिमी इंसास राइफल, एक प्वाइंट 303 राइफल, 2 एसबीबीएल बंदूकें, दो 0.22 पिस्तौल, दो इंप्रोवाइज्ड प्रोजेक्टाइल लांचर, ग्रेनेड, गोला-बारूद जब्त किए गए थे। 10 नवंबर असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस और बीएसएफ की जॉइंट टीम ने काकचिंग जिले के उतांगपोकपी के एरिया में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था। इसमें एक 0.22 राइफल, गोला-बारूद और सामान शामिल था। 9-10 नवंबर: महिला की हत्या, पहाड़ी से गोलीबारी
इंफाल पूर्वी जिले के सनसाबी, सबुंगखोक खुनौ और थमनापोकपी इलाकों में 10 नवंबर को गोलीबारी की घटना हुई थी। 9 नवंबर को बिष्णुपुर जिले के सैटन में उग्रवादियों ने 34 साल की महिला की हत्या कर दी थी। घटना के वक्त महिला खेत में काम कर रही थी। उग्रवादियों ने पहाड़ी से निचले इलाकों में गोलीबारी की थी। 8 नवंबर: उग्रवादियों ने फूंक डाले 6 घर, 1 महिला की मौत
8 नवंबर को जिरीबाम जिले के जैरावन गांव में हथियारबंद उग्रवादियों ने 6 घर जला दिए थे। ग्रामीणों का आरोप था कि हमलावरों ने फायरिंग भी की थी। घटना में एक महिला की मौत हुई थी। मृतक महिला की पहचान जोसंगकिम हमार (31) के रूप में हुई थी। उसके 3 बच्चे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि हमलावर मैतेई समुदाय के थे। घटना के बाद कई लोग घर से भाग गए। 7 नवंबर को बलात्कार के बाद महिला को जिंदा जलाया
7 नवंबर को हमार जनजाति की एक महिला को संदिग्ध उग्रवादियों ने मार डाला था। उन्होंने जिरीबाम में घरों को भी आग लगा दी। पुलिस केस में उसके पति ने आरोप लगाया कि उसे जिंदा जलाने से पहले उसके साथ बलात्कार किया गया था। एक दिन बाद, मैतेई समुदाय की एक महिला की संदिग्ध कुकी विद्रोहियों ने गोली मार दी थी। मणिपुर में हिंसा को लगभग 500 दिन हुए
कुकी-मैतेई के बीच चल रही हिंसा को लगभग 500 दिन हो गए। इस दौरान 237 मौतें हुईं, 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए, 60 हजार लोग घर छोड़कर रिलीफ कैंप में रह रहे हैं। करीब 11 हजार FIR दर्ज की गईं और 500 लोगों को अरेस्ट किया गया। इस दौरान महिलाओं की न्यूड परेड, गैंगरेप, जिंदा जलाने और गला काटने जैसी घटनाएं हुईं। अब भी मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हैं। पहाड़ी जिलों में कुकी हैं और मैदानी जिलों में मैतेई। दोनों के बीच सरहदें खिचीं हैं, जिन्हें पार करने का मतलब है मौत। स्कूल- मोबाइल इंटरनेट बंद किए गए। मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने 10 सितंबर को 5 दिन के लिए इंटरनेट पर बैन लगाया था। हालांकि 12 सितंबर को ब्रॉडबेन्ड इंटरनेट से बैन हटा लिया गया था। 4 पॉइंट्स में समझिए मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया। नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।