कोरोना के शुरुआती मामलों को लेकर दुनियाभर की आलोचना झेल रहा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) एक बार फिर घिरता नजर आ आ रहा है। नए विवाद की वजह कोरोना की टाइमलाइन। डब्ल्यूएचओ ने पहले कहा था कि पिछले साल 31 दिसम्बर 2019 को चीन ने कोरोना के पहले मामले की जानकारी दी थी। लेकिन डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर जो महामारी की टाइमलाइन अपडेट हुई है विवाद उसी से जुड़ा है।
डब्ल्यूएचओ का यू-टर्न
वर्तमान टाइमलाइन के मुताबिक, अब डब्ल्यूएचओ का कहना है कि चीन में हमारे कंट्री ऑफिस को मीडिया से वुहान के पहले मामले की जानकारी मिली। मीडिया में वुहान नगरपालिका स्वास्थ्य आयोग के हवाले से आई खबरों से ‘वायरल नियोनिया’ के बारे में पता चला था। टाइमलाइन से साफ है कि चीन ने आधिकारिक तौर पर 31 दिसम्बर 2019 को डब्ल्यूएचओ को इसकी कोई जानकारी नहीं दी।
डब्ल्यूएचओ ने 9 अप्रैल को जानकारी दी थी
महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ ने शुरुआती टाइमलाइन 9 अप्रैल को जारी की थी।इसमें उसने सिर्फ इतना कहा था कि हुबेई प्रांत के वुहान शहर के स्वास्थ्य आयोग ने 31 दिसंबर को निमोनिया के मामलों की जानकारी दी थी।
31 दिसंबर को वायरल निमोनिया की जानकारी दी थी
डब्ल्यूएचओ के निदेशक टेड्रॉस ऐडनॉम ग्रेबयेसस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि चीन से पहली रिपोर्ट 20 अप्रैल को आई थी। उन्होंने कहा कि इसमें इस बात का जिक्र भी नहीं था कि यह रिपोर्ट चीन के अधिकारियों ने भेजी है या किसी अन्य स्रोतों की ओर से, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने इस हफ्ते एक नई क्रोनोलॉजी जारी की है, जिसमें इन घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें यह संकेत दिया गया है कि चीन में स्थित डब्ल्यूएचओ के कार्यालय ने 31 दिसंबर को ‘वायरल निमोनिया’ के बारे में सूचना दी थी।
तफ्तीश करने चीन जाएगी डब्ल्यूएचओ की टीम
दुनिया में कोरोनावायरस के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह बीमारी चीन के वुहान से दिसंबर में फैलना शुरू हुई थी। चीन पर इसकी जानकारी समय पर न देने का आरोप है, जिसकी वजह से इसके मामले सिर्फ 2 महीने में दुनियाभर में फैल गए। यह बीमारी कैसे फैली, अब यह पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम अगले हफ्ते चीन जाएगी। संगठन ने यह भी दावा किया है कि इस बीमारी के बारे में पहली जानकारी उसने ही दी थी, न कि चीन ने।
चीन में स्थानीय डब्ल्यूएचओ ऑफिस वायरल निमोनिया के मामलों पर वुहान म्युनिसिपल हेल्थ कमीशन का बयान लेगा, इसके बाद यह जांच 6 महीने से अधिक समय तक चलेगी।