महिलाओं के श्रंगार में खास है मेहंदी क्योंकि इससे कम होती है शरीर की गर्मी 

सावन महीने में मेहंदी का बहुत महत्व है। हालांकि भगवान शिव की पूजा में मेहंदी का उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन इस महीने देवी पार्वती की पूजा के लिए कई तीज-त्योहार होते हैं। जिनमें मेहंदी का उपयोग खासतौर से किया जाता है। मेहंदी सौलह श्रंगार में एक है। इसलिए पति की लंबी उम्र, सौभाग्य और समृद्धि के लिए किए जाने वाले देवी पार्वती के व्रत बिना मेहंदी लगाए नहीं किए जाते हैं। भारत में मेहंदी लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। देश में लगभग हर जगह मेहंदी लगाने का रिवाज है। ये पूजन सामग्री के रूप में भी उपयोग में लाई जाती है। सेहत के नजरिये से भी सावन महीने में मेहंदी का उपयोग बहुत फायदेमंद होता है।

कम होती है शरीर की गर्मी
सावन बारिश का महीना होता है, इस महीने में कई तरह की बीमारियां फैलने का भी डर रहता है। आयुर्वेद में हरा रंग कई बीमारियों की रोक-थाम में कारगर माना गया है। मेहंदी की खुशबू और ठंडक स्ट्रेस को भी कम करती है। यही वजह है कि मेहंदी लगाना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।

  • तासीर में ठंडी होने के कारण मेहंदी का उपयोग शरीर में बढ़ी हुई गर्मी को कम करने में किया जाता है। हाथों और पैर के तलवों में मेहंदी लगाने से शरीर की गर्मी कम होती है। मेहंदी में कई औषधीय गुण भी शामिल हैं। मेहंदी की शीतलता तनाव, सिरदर्द और बुखार से राहत दिलाती है। मेंहदी लगाने से त्वचा संबंधी कई रोग दूर होते हैं। साथ ही त्वचा की खुश्की भी दूर होती है।

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Tradition of applying mehndi in the month of Savan: Mehndi is special in women’s adornment because it reduces body heat