मायावती ने भतीजे को चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर बनाया:नंबर-2 की पोजिशन; 16 महीने में दो बार हटाया…फिर वापसी हुई

बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी दी है। दिल्ली की बैठक में आकाश को चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर बनाया है। यह पार्टी में नंबर-2 की पोजीशन है। मायावती ने पार्टी में 3 नए नेशनल को-ऑर्डिनेटर भी नियुक्त किए, जो आकाश आनंद को रिपोर्ट करेंगे। लंबे समय बाद रविवार को राजधानी दिल्ली में पार्टी की ऑल इंडिया मीटिंग हुई। इसमें मायावती के साथ आकाश आनंद पहली बार बैठक में शामिल हुए। वह मायावती के पीछे-पीछे मीटिंग हॉल तक पहुंचे। मायावती के कुर्सी पर बैठने तक आकाश साइड में खड़े रहे। मायावती ने उन्हें 16 महीने में 2 बार उत्तराधिकारी घोषित किया, लेकिन दोनों ही बार हटा दिया था। आकाश को 3 मार्च को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। 40 दिन बाद, सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के बाद मायावती ने उन्हें पार्टी में वापस ले लिया था। इसके बाद से ही उन्हें पार्टी में बड़ा पद मिलने की संभावना जताई जा रही थी। मायावती ने आकाश को कब-कब जिम्मेदारी दी और कब हटाया? जानिए आकाश ने 2017 में राजनीति में की थी एंट्री
आकाश आनंद पहली बार 2017 में सहारनपुर की एक जनसभा में मायावती के साथ दिखे थे। इसके बाद वह लगातार पार्टी का काम कर रहे थे। 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। यह फैसला तब लिया गया जब सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटा। 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आया था। आकाश ने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की है। आकाश की शादी बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से हुई है। 206 से 1 विधानसभा सीट पर सिमटी बसपा
2007 में 206 विधानसभा सीटें जीतने वाली बसपा की अब हालत ये है कि विधानसभा में सिर्फ एक विधायक है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 15.2 करोड़ वोटर में से 12.9 फीसदी वोट बसपा को मिला। उसे कुल एक करोड़ 18 लाख 73 हजार 137 वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा की स्थिति नहीं सुधरी। 2019 के लोकसभा में 10 सीटें जीतने वाली बसपा इस बार खाता भी नहीं खोल पाई। उसका वोट प्रतिशत 2019 में 19.43% से गिरकर 9.35% रह गया। ये विधानसभा चुनाव से भी लगभग 3 प्रतिशत कम था। महाराष्ट्र-झारखंड के बाद दिल्ली में मायूसी हाथ लगी महाराष्ट्र-झारखंड के बाद मायावती को दिल्ली विधानसभा चुनाव से भी मायूसी हाथ लगी। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 69 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी के नेशनल कॉआर्डिनेटर और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने इस चुनाव में काफी प्रचार किया था। इसके बावजूद पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं डाल पाए। आलम ये रहा कि पार्टी के अधिकतर प्रत्याशी हजार वोट का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाए। बसपा को कुल 55,066 (0.58 प्रतिशत) ही वोट मिल पाए। यूपी में 2007 में बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन
यूपी की राजनीति में आज भले ही बसपा सुप्रीमो का दबदबा घटता दिख रहा है, लेकिन अब भी पार्टी के पास 10 प्रतिशत के लगभग वोटबैंक है। गठबंधन में ये किसी का भी पलड़ा भारी कर सकता है। बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन 2007 में रहा। तब बसपा अपने बलबूते सूबे की सत्ता में लौटी थी। विधानसभा में तब उसके 206 विधायक जीत कर पहुंचे थे। पार्टी को तब 30 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। इस सफलता की वजह सोशल इंजीनियरिंग को माना गया था। बसपा एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में अपने उन्हें सुनहरे दौर में लौटने का सपना बुन रही है।