देश में करीब 6 महीने से लगातार मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है, लोग इसे लगा तो रहे हैं लेकिन अपने अंदाज में। नतीजा लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। कई शहरों में शनिवार और रविवार को दोबारा लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गई है, इसके बावजूद वे बेफिक्र हैं।
विशेषज्ञों का कहना है, कई ऐसे मामले आ रहे हैं जो कहते हैं हमने मास्क तो लगाया फिर भी कोरोना का संक्रमण हो गया। इसकी वजह यह भी है लोग मास्क को लगाने में संजीदगी नहीं दिखा रहे और न ही मुंह-नाक को ठीक से ढकना मुनासिब समझ रहे हैं।
देश में कोरोना के साढ़े नौ लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं, इस बीच लोगों के मास्क लगाने के तरीकों को कैमरे में कैद किया गया ताकि दूसरे लोग ऐसा न करें। देखिए कुछ ऐसी ही तस्वीरें…

एम्स भोपाल के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. नीलकमल कपूर के मुताबिक, नाक और मुंह को ढकने के लिए जो कपड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है वह सिंगल लेयर वाला नहीं होना चाहिए। अगर गमछा इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे इस तरह आंख के नीचे से लेकर ठोड़ी तक इस तरह बांधें कि तीन लेयर बनें, तभी वायरस के कणों से बचाव हो सकता है। रुमाल सिंगल लेयर है तो यह सही नहीं है क्योंकिअक्सर रुमाल नीचे की तरफ से खुला रहता है इससे संक्रमण का खतरा रहता है।

डॉ. नीलकमल कपूर कहती हैं, अक्सर लोग मास्क लगाते समय इसकी डोरियों को टाइट नहीं करते। कई बार ऊपरी डोरी बांधते हैं और नीचे की छोड़ देते हैं। कुछ लोग बार-बार मास्क नाक से खिसका देते हैं। ऐसा न करें। इस तरह मास्क लगाने से संक्रमण का खतरा रहता है। कहीं जा रहे हैं, ऑफिस में हैं या बाजार में हैं घर से बाहर रहने पर हर समय मास्क लगाए रखें। मास्क हटाकर बिना हाथ धोए मुंह, नाक न छुएं।

मास्क ऐसा होना चाहिए जो आंखों के नीचे से लेकर ठोड़ी तक कवर करे। यह ढीला नहीं होना चाहिए। चिकित्सा क्षेत्र में अलग-अलग लोगों के लिए मास्क अलग हैं, लेकिन आम जनता के लिए सबसे बेहतर है वे तीन लेयर वाला कपड़े का मास्क लगाएं। हर व्यक्ति अपने पास 2-3 मास्क रखे ताकि उसे धोकर इस्तेमाल किया जा सके। इसे रोजाना साबुन-पानी से धोएं और धूप में सुखाएं।

डॉ. नीलकमल कपूर कहती हैं, इसे बनाने के लिए किसी खास तरह के कपड़े को लेकर कोई गाइडलाइन नहीं है। कॉटन का कपड़ा बेहतर है, इसकी तीन परतें बनाकर मास्क तैयार कर सकते हैं। यह संक्रमण से बचाता है, पसीना सोखता है और सांस लेने में दिक्कत नहीं होती।


आरएमएल अस्पताल, नई दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. एके वार्ष्णेय जिन्हें सांस की बीमारी या अस्थमा है, उन्हें कभी भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है इसलिए वे नियमित तौर पर दवा लें। दूसरों से दूर रहें और बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें। सांस से जुड़ी बीमारियों की प्रिवेंटिव और रेपिड मेडिसिन होती हैं, उसे अपने साथ रखें। अगर मास्क लगाने में मुश्किल होती है तो घर में या ऑफिस में 5-6 फीट की दूरी बनाकर रखें।

लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. मधुर यादव का कहना है कि अगर कोई मरीज ठीक होकर घर आ गया है तो ये मतलब नहीं है कि वह बिना मास्क लगाकर रहे। ठीक हुए शख्स को भी मास्क लगाना है और लोगों से मिलते वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना है। उसे हर जरूरी गाइडलाइन को मानना है।

गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ. लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी के मुताबिक, अगर किसी को मास्क लगाने को कहा गया है तो उसकी खुद की सुरक्षा के लिए ही कहा जा रहा है ताकि वायरस के संक्रमण से बचाया जा सके। बार-बार उसे बिल्कुल न उतारें। इससे वायरस मुंह या नाक के जरिए शरीर के अंदर पहुंच सकता है। कई बार उलझन होती है, लेकिन घबराएं नहीं। धीरे-धीरे इसकी आदत डालनी होगी। यही बचाव है।

राम मनोहर लोहिया अस्प्ताल, नई दिल्लीवरिष्ठ सलाहकार पद्मश्री डॉ. मोहसिन वली के मुताबिक,अगर मास्क मोटा है या बहुत कस के बांधा है तो खुली हवा नहीं मिलती। इसलिए बहुत मोटा मास्क न लगाएं। हां, एन95 मास्क कोई आम आदमी लगा लेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं होगा। उसकी परत मोटी होती है और यह डॉक्टरों के लिए होता है। इसलिए कपड़े का बना मास्क पहनें। मास्क कॉटन के कपड़े का बनाएं उसे 6-7 घंटे में बदल दें। बहुत देर तक इसे लगाने से मास्क पर भी वायरस या जीवाणु बैठ जाते हैं।

हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी और मेरीलैंड यूनिवर्सिटी ने 111 लोगों पर एक स्टडी की। इस स्टडी में वायरल बीमारी से जूझ रहे लोगों से बिना मास्क लगाए एक ट्यूब में सांस छोड़ने को कहा। इसके बाद जांच में पाया गया कि खतरनाक सांस कीबूंदें और छोटे पार्टिकल्स हवा में 30 प्रतिशत तक छोड़े। जबकि मास्क करीब 100 फीसदी संक्रामक जर्म्स को रोकने में सफल रहा।

अमेरिकी हेल्थ एजेंसीसीडीसी के मुताबिक, मास्क को रोज धोना चाहिए। इसके लिए आप कपड़े धोने वाले साबुन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद आप ड्रायर या ऐसे ही हवा में डालकर सुखाएं। आप चाहें तो गर्म प्रेस की मदद भी ले सकते हैं। इससे जर्म्स भी मर जाएंगे।