कुछ साल पहले, दक्षिण भारत में एक युवा टीवी एंकर ने आत्महत्या कर ली थी। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा – “मेरा दिमाग ही मेरा दुश्मन है।” ये बात आज दुनिया के लाखों लोगों की सच्चाई बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल करीब 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं और अकेलापन एक वैश्विक महामारी बन चुका है। ईशा फाउंडेशन के सद्गुरु कहते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य एक सौभाग्य की बात है, जिसे समझदारी और देखभाल से बनाए रखना चाहिए। जैसे शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य भी असंतुलित हो सकता है। समझदार व्यक्ति भी गुस्से या तनाव में पागलपन कर सकता है। इसलिए, मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की जिम्मेदारी हर व्यक्ति को खुद लेनी चाहिए। ईशा फाउंडेशन ने ‘मिरेकल ऑफ माइंड’ ऐप बनाया है। इस ऐप पर एक सरल ध्यान प्रक्रिया बताई गई है, जो मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन और आंतरिक शांति बनाए रखने में मदद करती है। इसमें एक AI टूल भी है, जो व्यक्तिगत मार्गदर्शन में मदद करता है। ये ऐप फ्री है, क्योंकि सद्गुरु का उद्देश्य है कि लोग दिन में केवल सात मिनट ध्यान करें। हमारा मन इस धरती पर सबसे जटिल उपकरण है, लेकिन जब तक हम इसका सही उपयोग करना नहीं सीखते, ये सुख का नहीं, बल्कि दुख का स्रोत बन जाता है। आइए, इस मन के उपकरण को समझें, अभ्यास करें और मन के चमत्कारों का अनुभव करें।