एक ऐसा शख्स जो एक्टिंग भी कर सकता है। अपने इशारों पर लोगों को नचा भी सकता है। साथ ही, इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक फिल्में भी बनाकर दे सकता है। हम बात कर रहे हैं, कोरियोग्राफर-डायरेक्टर अहमद खान की। शेखर कपूर की आइकॉनिक फिल्म मिस्टर इंडिया में इन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट की भूमिका निभाई थी। जीवन के शुरुआती दौर में सब कुछ ठीक था। सारी सुविधाएं थीं। हालांकि एक वक्त ऐसा आया, जब सब कुछ बिखर गया। कभी गाड़ियों से चलने वाले अहमद के पास सेट पर जाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। इन्होंने दिग्गज कोरियोग्राफर सरोज खान के अंडर में डांस सिखाना शुरू किया। कम उम्र में बड़े कोरियोग्राफर बन गए। एक वक्त ऐसा आया, जब कोरियोग्राफी से मन भर गया। फिर डायरेक्शन में उतरे। लकीर, हीरोपंती और बागी जैसी फिल्में बनाईं। इस साल 34 एक्टर्स वाली वेलकम टु द जंगल भी ला रहे हैं। आज सक्सेस स्टोरी में कहानी अहमद खान की.. बिना ऑडिशन मिस्टर इंडिया के लिए चुने गए मैंने कम उम्र में ही डांसिंग शुरू कर दी थी। 11 साल का था, पुणे में एक शो में परफॉर्म कर रहा था। वहां फिल्म मिस्टर इंडिया की टीम आई थी। उन्होंने मुझे वहां देखा और फिल्म के एक चाइल्ड आर्टिस्ट के किरदार के लिए चुन लिया। बिना किसी ऑडिशन के सिर्फ डांस देखकर उन लोगों ने मुझे कास्ट कर लिया। फिर मेरी मुलाकात फिल्म के डायरेक्टर शेखर कपूर जी से हुई। उस वक्त स्टार्स को दूर से देख लेना ही बहुत बड़ी बात होती थी। पिता की बदौलत घर पर सेलिब्रिटीज का आना-जाना था मैं जब पहली बार शूटिंग के लिए फिल्म सिटी गया, तो वहां अनिल कपूर और श्रीदेवी जैसे स्टार्स को देखकर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं। हालांकि ऐसा नहीं था कि मैं मूवी स्टार्स से परिचित नहीं था। मेरे पिताजी जॉकी (घुड़सवार) हुआ करते थे। पास में ही महालक्ष्मी रेस कोर्स था। वहां कई सारे सेलिब्रिटीज घुड़सवारी देखने आते थे। वहां से लौटते वक्त वे मेरे घर भी आते थे। मेरी बिल्डिंग वाले भी सोचते थे कि ये लोग हैं कौन, जिनके घर इतने सेलिब्रिटीज आते हैं। डांसिंग और खेलकूद को सीरियसली नहीं लिया जाता था मैंने जब डांसिंग करनी शुरू की, तब इन सब चीजों को बहुत सीरियसली नहीं लिया जाता था। डांस करने या खेलने-कूदने को खराब माना जाता था। माता-पिता भी इन सब को लेकर बहुत ज्यादा जागरूक नहीं थे। उस वक्त यूट्यूब चैनल्स भी नहीं थे कि उन्हें देख कर कुछ सीखा जा सके। मेरे अंदर डांसिंग की जो भी स्किल थी, वह मैंने खुद डेवलप की थी। बाकी कुछ चीजें जन्म से ही रहती हैं। मां की सरोज खान से दोस्ती थी, उनके पास भेजा सबसे पहले मेरी मां को एहसास हुआ कि मैं डांस में कुछ अलग कर सकता हूं। मेरी मां फेमस कोरियोग्राफर सरोज खान की दोस्त थीं। उन्होंने मेरे लिए उनसे बात की। इससे पहले सरोज खान जी ने मेरी एक परफॉर्मेंस देखी थी। मैं एक बार में 11 बार बैक स्पिन (डांस की एक विधा) कर लेता था। सरोज जी ने मुझे अपने पास बुला तो लिया, लेकिन उनके अंदर मुझे लेकर कॉन्फिडेंस नहीं था। उनको लगा कि मैं कुछ दिन उनके साथ काम करूंगा, फिर लौट जाऊंगा। 16 साल की उम्र में सरोज खान के असिस्टेंट बने सरोज जी उस वक्त अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म अकेला की डांस कोरियोग्राफर थीं। इस फिल्म के लिए उन्होंने 5-6 असिस्टेंट रखे थे। मुझे भी असिस्टेंट के तौर पर लिया। उस वक्त सिर्फ 16 साल का था। 16 साल की उम्र में ही सरोज खान का असिस्टेंट बनना अपने आप में बड़ी बात थी। उस वक्त एक्टर्स को डांस सिखाना आसान नहीं था। मैं ठहरा मॉडर्न डांस मूव सिखाने वाला, मुझे तो और भी दिक्कत होती थी। फिर समय आया शाहरुख, आमिर, सलमान और अक्षय का। ये सारे अच्छे डांसर्स थे, मुझे इन्हें सिखाने में मजा भी आने लगा। मां-बाप का तलाक हुआ तो आर्थिक स्थिति खराब हुई मेरे जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा था। पैसे नहीं भी कमा रहा था, फिर भी पिता की बदौलत किसी चीज की कमी नहीं थी। अचानक हमारे जीवन में भूचाल आ गया। माता-पिता का तलाक हो गया। मैं मां के साथ रहने लगा। मां ठहरीं खुद्दार। उन्होंने पिता से मदद लेने से इनकार कर दिया। वे खुद अपनी बदौलत मुझे पालने लगीं। घर जाने के लिए ट्रक के पीछे लटकना पड़ा अब नौबत यह आ गई कि स्टूडियो से घर जाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। लोगों से लिफ्ट मांगकर घर जाता था। कभी-कभार तो ट्रक के पीछे लटक जाया करता था। मैं एक धनी बाप का गरीब बेटा बन गया। नौकर-चाकर और गाड़ियों से सीधे पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर आ गया। पिता की बदौलत पता ही नहीं था कि रिक्शे और लोकल ट्रेन में चलना क्या होता है। 20 साल की उम्र में मिला फिल्म फेयर अवॉर्ड समय था 1995 का। आमिर खान स्टारर और रामगोपाल वर्मा की डायरेक्शन वाली फिल्म रंगीला में मुझे कोरियोग्राफी का मौका मिला। उस वक्त मेरी उम्र 20 साल थी। मैंने फिल्म की लीड एक्ट्रेस उर्मिला मांतोडकर को डांस सिखाया। फिल्म के सारे गाने बहुत हिट हुए। मुझे बेस्ट कोरियोग्राफी के लिए फिल्म फेयर का नॉमिनेशन मिला। उस वक्त नॉमिनेशन मिलना ही बड़ी बात थी। अवॉर्ड वाले दिन सुबह मैं मस्तमौला होकर फुटबॉल खेल रहा था। उम्मीद नहीं थी कि अवॉर्ड मिल जाएगा। शाम को एक मरून ब्लेजर और डेनिम जींस पहनकर शो में चला गया। जब स्टेज से मेरे नाम की अनाउंसमेंट हुई तो ब्लैंक हो गया। यकीन ही नहीं हुआ कि मैंने फिल्म फेयर अवॉर्ड जीत लिया है। मुझे प्रभुदेवा के हाथों अवॉर्ड मिला, वे भी सोच रहे थे कि यह 20 साल का लड़का है कौन? सबसे कम उम्र में यह अवॉर्ड पाने वाला मैं पहला लड़का था। शादी के बाद कोरियोग्राफी छोड़ डायरेक्शन में आए मैंने 22 साल की उम्र में शादी कर ली। 27 साल में मेरा बच्चा हो गया। जिम्मेदारियां बढ़ गई थीं। मैं सोचने लगा कि खुद को सिर्फ कोरियोग्राफी में फंसा कर क्यों रखा है? फिर मेरी वाइफ ने डायरेक्शन में उतरने की सलाह दी। उस वक्त सोच लिया कि डांस वाली फिल्म नहीं बनाऊंगा। आप देखिए, जितने भी कोरियोग्राफर आगे जाकर डायरेक्टर बने हैं, सबने एक डांस या म्यूजिकल मूवी जरूर की है। मैंने सोच लिया था कि एक्शन फिल्में बनाऊंगा। पहली फिल्म लकीर (2004) बनाई। फिल्म बनाने से पहले सनी देओल से बात की थी। वे तुरंत फिल्म के लिए मान गए। इसके बाद सुनील शेट्टी को कास्ट किया। उन्होंने सुझाव दिया कि जॉन अब्राहम को फिल्म में लेना चाहिए। फिर मैंने जॉन और सोहेल खान को फिल्म में लिया। सोहेल भी मेरे दोस्त थे। वहीं, फिल्म के म्यूजिक पर लीजेंड्री ए.आर रहमान ने काम किया। इस तरह सबके सहयोग से पहली फिल्म बनाई। यह भले ही नहीं चली, लेकिन मैंने अपना पूरा फोकस डायरेक्शन पर कर लिया, जो आज भी जारी है। वेलकम टु द जंगल में 34 एक्टर्स कास्ट किए यह मेरे करियर की सबसे बड़ी फिल्म है। मेरी छोड़िए, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे बड़ी फिल्म कह सकते हैं। फिल्म में 34 एक्टर्स कास्ट किए गए हैं। प्रोड्यूसर फिरोज नाडियाडवाला ने मुझसे कहा कि अहमद, तुम इस फिल्म में उन्हीं एक्टर्स को लेना, जिन्हें लोग नाम से जानते हों। एक भी ऐसा एक्टर नहीं होना चाहिए जिसके बारे में लोगों को बताना पड़े। फिल्म की कास्टिंग के दौरान सबसे खास बात यह रही है कि किसी एक्टर ने यह नहीं कहा कि मैं फिल्म में काम नहीं करूंगा, क्योंकि इसमें कई सारे कलाकार काम कर रहे हैं। स्क्रीन टाइम को लेकर किसी के मन में कोई इनसिक्योरिटी नहीं थी। इस फिल्म में अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ, रवीना टंडन, संजय दत्त, सनी देओल, और मिथुन चक्रवर्ती जैसे कई स्टार्स नजर आएंगे। ________________________________________________________________________ पिछले हफ्ते की सक्सेस स्टोरी यहां पढ़ें… कई साल होटल काउंटर पर बैठे:ऐड एजेंसी के बाहर खड़े थे, कद-काठी देख ऑफर मिला; CID के इंस्पेक्टर दया। इतने तो किसी टेलीविजन शोज के एपिसोड नहीं होते, जितने एपिसोड में इन्होंने सिर्फ दरवाजा तोड़ा होगा। पूरी स्टोरी पढ़ें..