पढ़ाई करने की कोई उम्र नहीं होती, ये बात तो सब जानते हैं लेकिन इसे सच साबित कर दिखाया है मेघालय की 50 साल की दादी अम्मा लकिनतिवु ने। मेघालय बोर्ड से उन्होंने ये परीक्षा थर्ड डिवीजन में पास की है।
वे यूनिफॉर्म पहने हुए रोज स्कूल जाती थीं और12 वीं कक्षा में बैठकर अन्य बच्चों के साथपढ़ाई करती थीं।
शादी भी ज्यादा दिन तक नहीं चली
32 साल पहले इस महिला ने स्कूल छोड़ दिया था। अपने स्कूली दिनों में उनकी रुचि गणित विषय में कम थी। 1989 में इसी वजह से उन्होंने स्कूल छोड़ा। उसके बाद 21 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई। लेकिन ये शादी भी ज्यादा दिन तक नहीं चली।
अपने बच्चों को पाला
उन्होंने अकेले ही अपने बच्चों को पाला। फिरअपनी आजीविका चलाने के लिए खासी समुदाय के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया।2015 में उन्होंने दोबारा स्कूल जाने का निर्णय लिया। इस महिला ने ओपन स्कूल के जरिये अपना नामांकन दर्ज किया। इसके साथ ही वे अपनी जॉब भी करती रहीं। पढ़ाई के प्रति इस उम्र में उनकी लगन की तारीफ मेघालय केशिक्षा मंत्री लाहमेन रिंबुई ने भी की।
बेटी की मदद से पूरा कर लेती हैं
उनकी बेटी घर में पढ़ाई के दौरान उनका साथ देती है। जो उन्हें समझ में नहीं आता वो बेटी की मदद से पूरा कर लेती हैं। उनकी बेटी पढ़ाई के प्रति ऐसी लगन रखने वाली मां की तारीफ करते नहीं थकती। उसे अपनी मां पर गर्व है।
अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं
लकिनतिवु की बेटी कहती हैं मेरी मां से प्रेरित होकर कई महिलाएं बढ़ती उम्र में भी एक बार पढ़ाई करने केलिए प्रोत्साहित होंगी।वे आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं। उनका लक्ष्य खासी भाषा मेंग्रेजुएशन करना है। वे कहती हैं मुझे मालूम है कि शिक्षा का क्या महत्व होता है। बिना शिक्षा के जीवन में कुछ नहीं है।