कोविड-19 से त्रस्त अर्थव्यवस्था में नए निवेश को आकर्षित करने के प्रयासों को सरकार मजबूत कर रही है। इसके लिए सरकार घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए पांच सेक्टर्स के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों पर काम कर रही है। यह जानकारी सूत्रों ने दी है।
इस वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था 10 प्रतिशत कम हो सकती है
कुछ अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था इस वित्त वर्ष में 10 प्रतिशत तक कम हो सकती है। क्योंकि प्रकोप के बाद व्यापार और उपभोक्ता गतिविधियाँ बुरी तरह से प्रभावित होंगी। कोरोना से पहले सरकार ने इसी अर्थव्यवस्था में 6 प्रतिशत की वृद्धि का ऑकलन किया था।
81 करोड़ लोगों को फूड सब्सिडी मिली
सरकार ने लगभग 81 करोड़ लोगों को फ़ूड सब्सिडी और छोटे व्यवसायों को 3 लाख करोड़ रुपए के लोन गारंटी सहित बड़े सहायता पैकेज को घोषित किया है। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज ने एक वर्चुअल सम्मेलन में कहा कि मैन्युफैक्चरिंग को आगे बढ़ाने और संघर्षरत उद्योगों की मदद के लिए प्रोत्साहन की पेशकश की जाएगी।
इलेक्ट्रॉनिक यूनिट्स में निवेश पर भी प्रोत्साहन की घोषणा
हालांकि बजाज ने उन क्षेत्रों को नहीं बताया जो प्रोत्साहनों के लिए योग्य हो सकते हैं। सरकार इससे पहले मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रॉनिक इकाइयों में निवेश आकर्षित करने के लिए घोषणा की थी। इसके तहत पांच साल के लिए बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक सामान निर्माताओं के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहनों की घोषणा कर चुकी है।
दवा के लिए भी प्रोत्साहन की घोषणा
दवा कंपनियों के लिए थोक दवाओं के उत्पादन और मेडिकल उपकरणों पर प्रोत्साहन देने की भी घोषणा की जा चुकी है। गुरुवार को फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कांफ्रेंस में वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सरकार अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में वी शेप इकोनॉमिक रिकवरी की उम्मीद कर रही है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत अगले पांच वर्षों में वाहनों और कंपोनेंट के निर्यात को दोगुना करने के उद्देश्य से ऑटो क्षेत्र के लिए एक राहत पैकेज तैयार कर रहा है। कपड़ा और फुड प्रोसेसिंग निर्माताओं जैसे क्षेत्रों को उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन पैकेज दिए जा सकते हैं।