आज अगहन (मार्गशीर्ष) मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है, इसका नाम मोक्षदा है। द्वापर युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था, इस वजह से इस तिथि पर गीता जयंती भी मनाते हैं। बुधवार और एकादशी के योग में विष्णु जी के साथ ही भगवान गणेश और बुध ग्रह की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, मोक्षदा एकादशी व्रत अक्षय पुण्य देने वाला व्रत है, इस व्रत से जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों के फल नष्ट होते हैं, परेशानियों से मुक्ति मिलती है और क्रोध, मोह, लालच जैसी बुराइयां छोड़ने की प्रेरणा मिलती है। इस व्रत में पूजा-पाठ के साथ ही गीता का पाठ करने की भी परंपरा है। गणेश पूजा के साथ शुरू करें विष्णु जी का अभिषेक एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें। गणेश जी को स्नान कराएं। स्नान के बाद नए वस्त्र, हार-फूल से श्रृंगार करें। दूर्वा चढ़ाएं। मोदक का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप कर सकते हैं। गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु, महालक्ष्मी और श्रीकृष्ण का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। अभिषेक के लिए केसर मिश्रित दूध का इस्तेमाल करें। दूध के बाद शुद्ध जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान को नए वस्त्र और हार-फूल से सजाएं। तुलसी के साथ माखन-मिश्री और गाय के दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें। इसके बाद श्रीमद् भगवद् गीता का पाठ करें। आप चाहें तो श्रीकृष्ण से जुड़ी कथाएं भी पढ़ सकते हैं। इस दिन संतों के प्रवचन सुन सकते हैं। श्रीकृष्ण की कथाओं से मिली सीख को जीवन में उतारें और बुराइयां छो़ड़कर धर्म के अनुसार काम करने का संकल्प करें। एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम करें?