मोदी ने श्रीलंका से मछुआरों की रिहाई की मांग की:तमिलों को पूरा अधिकार देने को कहा; विदेशियों को मिलने वाला सबसे बड़ा अवॉर्ड मिला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्रीलंका के तीन दिन के दौरे पर हैं। यहां PM मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच द्विपक्षीय बातचीत हुई। इस दौरान मोदी ने भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी पर चर्चा की। मोदी ने कहा कि यह मछुआरों की आजीविका का मुद्दा है। हमने मछुआरों को तुरंत रिहा करने और उनकी नावों को छोड़ने पर बात की है। हम सहमत हैं कि हमें इस मामले में इंसानियत के साथ आगे बढ़ना चाहिए। तमिल मुद्दे पर मोदी ने कहा कि उन्हें यकीन है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की उम्मीदों को पूरा करेगी और श्रीलंका के संविधान के तहत मिले पूरे अधिकारों को लागू करेगी। वहीं, राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा- मैंने पीएम मोदी से कहा कि जरूरत के समय भारत की मदद हमारे लिए बेहद अहम रही है। मैंने उन्हें कहा है कि श्रीलंका अपने इलाके का इस्तेमाल भारत के सुरक्षा हितों के खिलाफ नहीं होने देगा। PM मोदी के श्रीलंका दौरे की 7 तस्वीरें… PM मोदी को मिला मित्र विभूषण अवॉर्ड श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मित्र विभूषण अवॉर्ड दिया। मित्र भूषण अवॉर्ड श्रीलंका का गैर-नागरिकों के लिए सर्वोच्च सम्मान है। मोदी ने कहा कि यह सम्मान केवल मेरा सम्मान नहीं, बल्कि यह 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। यह भारत और श्रीलंका के लोगों के बीच ऐतिहासिक संबंधों और गहरी मित्रता का सम्मान है। PM मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति दिसानायके ने अपनी पहली विदेश यात्रा के लिए भारत को चुना था और उनके पहला विदेशी मेहमान बनने का सौभाग्य मुझे मिला। यह हमारे विदेशी संबंधों की गहराई का प्रतीक है। मोदी-दिसानायके ने सामपुर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया कोलंबो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने संयुक्त रूप से सामपुर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का वर्चुअल उद्घाटन किया। सामपुर एक 120 मेगावाट (50 MW प्रथम चरण + 70 MW दूसरा चरण) का सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट है, जो श्रीलंका के पूर्वी त्रिंकोमाली जिले में स्थित है। भारत की नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (NTPC) और श्रीलंका की सेलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (CEB)मिलकर इसे डेवलप कर रहे हैं। इस प्रोजेक्ट का मकसद श्रीलंका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना है। 19 साल से काम रुका हुआ था सामपुर श्रीलंका के त्रिंकोमाली जिले में स्थित है, जो लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के प्रभाव वाले क्षेत्रों में शामिल था। 2006 तक सामपुर LTTE के नियंत्रण में था। जब श्रीलंकाई सेना ने सैन्य कार्रवाई कर इसे वापस लिया तो कई तमिल परिवार विस्थापित हुए और विवाद शुरू हुआ कि उस जमीन का उपयोग कैसे किया जाए। पहले भारत और श्रीलंका ने मिलकर यहां कोयला आधारित बिजली परियोजना लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन तमिल संगठनों और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह जमीन विस्थापित तमिल परिवारों की है और यहां उन्हें वापस बसाया जाना चाहिए। मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर मिला, पहली बार किसी विदेशी नेता का इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर स्वागत
इससे पहले PM मोदी को इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस दौरान उन्हें तोपों की सलामी भी दी गई। अधिकारियों के मुताबिक पहली बार श्रीलंका ने किसी मेहमान नेता का इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर ऐसा भव्य स्वागत किया गया है। इंडिपेंडेंस स्क्वायर श्रीलंका के ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता हासिल करने की स्मृति में बनाया गया है। श्रीलंका में विदेशी नेताओं का स्वागत आमतौर पर राष्ट्रपति भवन, भंडारनायके मेमोरियल इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस हॉल में होता रहा है। PM मोदी का यह चौथा श्रीलंका दौरा है। इससे पहले वे 2015, 2017 और 2019 में दौरा कर चुके हैं। मोदी का 6 मंत्रियों ने एयरपोर्ट पर किया स्वागत
मोदी कल रात थाईलैंड दौरे के बाद श्रीलंका पहुंचे थे। एयरपोर्ट पर श्रीलंका के 6 मंत्रियों ने उन्हें रिसीव किया। इसमें विदेश मंत्री विजिता हेराथ, स्वास्थ्य मंत्री नलिंदा जयतिस्सा, श्रम मंत्री अनिल जयंता, मत्स्य पालन मंत्री रामलिंगम चंद्रशेखर, महिला एवं बाल मामलों की मंत्री सरोजा सावित्री पॉलराज और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री क्रिशांथा अबेसेना शामिल थे। इस मौके पर एयरपोर्ट पर भारी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग भी मौजूद थे। उन्होंने मोदी-मोदी के नारे लगाए। भारत-श्रीलंका के बीच मछुआरों का मुद्दा क्या है? भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों से जुड़ा मुद्दा एक संवेदनशील और लंबे समय से चला आ रहा विवाद है, जो मुख्य रूप से पारंपरिक मछली पकड़ने के अधिकारों और समुद्री सीमा उल्लंघन से जुड़ा है। तमिलनाडु और श्रीलंका के मछुआरे पाक स्ट्रेट और मन्नार की खाड़ी में मछली पकड़ते हैं। यह इलाका समुद्री जैव विविधता से भरपूर है, लेकिन भारत और श्रीलंका की समुद्री सीमाएं निर्धारित हैं, और इनका उल्लंघन करना अंतरराष्ट्रीय अपराध माना जाता है। अक्सर तमिलनाडु के मछुआरे मछली पकड़ने के लिए श्रीलंकाई जल क्षेत्र में घुस जाते हैं। विवाद की 4 बड़ी वजह 1. पारंपरिक रूप से मछली पकड़ने का दावा: भारत के मछुआरे कहते हैं कि वे सदियों से इन जल क्षेत्रों में मछली पकड़ते आ रहे हैं, और यह उनका पारंपरिक अधिकार है। 2. कच्चाथीवू द्वीप: भारत और श्रीलंका के बीच 1974 में एक समझौता हुआ था जिसमें कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को दिया गया, और दोनों देशों की समुद्री सीमाएं तय की गईं। हालांकि, मछुआरे आज भी उस पर सवाल उठाते हैं। 3. ट्रॉलर का इस्तेमाल: भारतीय मछुआरे मोटर से चलने वाले ट्रॉलरों का इस्तेमाल करते हैं। श्रीलंका के मछुआरे इसका विरोध करते हैं, क्योंकि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ता है। 4. श्रीलंकाई नौसेना की कार्रवाई: जब भारतीय मछुआरे श्रीलंकाई जल सीमा में प्रवेश करते हैं, तो उन्हें श्रीलंकाई नौसेना गिरफ्तार कर लेती है। उनकी नावें जब्त कर ली जाती हैं, और कई बार हिंसा की घटनाएं भी होती हैं। मोदी ने तमिल समुदाय का अधिकार बढ़ाने को क्यों कहा? 29 जुलाई 1987 को भारत और श्रीलंका की सरकारों के बीच एक समझौता हुआ था। इसमें श्रीलंका ने वादा किया था कि वो देश के तमिलों को संविधान के 13वें संशोधन के तहत तमाम अधिकार देगा। समझौते में यह कहा गया था कि 13वें संशोधन के तहत स्टेट काउंसिल बनाई जाएंगी और इनमें तमिलों को भी संख्या के आधार पर जगह दी जाएगी। हालांकि, इस समझौते को अब तक लागू नहीं किया गया है। इस वजह से तमिल श्रीलंका की सत्ता और सिस्टम का हिस्सा नहीं बन पाए हैं। इसके चलते श्रीलंका के तमिल लोगों में नाराजगी है। करीब तीन साल पहले श्रीलंका की सात तमिल पार्टियों के नेताओं ने PM मोदी को एक लेटर लिखकर कहा था कि भारत सरकार श्रीलंका सरकार के आगे उनका मुद्दा उठाए। यही वजह है कि मोदी ने श्रीलंका सरकार तमिलों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए श्रीलंका में संविधान के पूरी तरह लागू करने और प्रोविजन काउंसिल इलेक्शन कराने पर जोर दिया। …………………………….. मोदी के श्रीलंका दौरे से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें… इंदिरा ने समझौते में सौंपा, क्या मोदी वापस लाएंगे कच्चाथीवू:श्रीलंका दौरे से चर्चा तेज; मोदी सरकार ने कहा था- इसके लिए जंग लड़नी पड़ेगी अगस्त 2023। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में कहा कि इंदिरा गांधी की सरकार ने 1974 में ‘भारत माता का एक हिस्सा’ श्रीलंका को दे दिया। वे रामेश्वरम के नजदीक एक द्वीप कच्चाथीवू का जिक्र कर रहे थे। इससे पहले साल 2015 केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कच्चाथीवू को वापस लेने के लिए ‘अब जंग लड़नी पड़ेगी।’ पूरी खबर यहां पढ़ें…