मोदी बोले- पहलगाम हमले से देश का खून खौल रहा:पीड़ित परिवारों को न्याय मिलकर रहेगा; आतंकी कश्मीर की तबाही चाहते हैं

पीएम मोदी ने रेडियो शो ‘मन की बात’ के 121वें एपिसोड की शुरुआत पहलगाम में मारे गए लोगों को याद करते हुए की। उन्होंने कहा- इस आतंकी हमले के बाद पूरा देश एक स्वर में बोल रहा है। पूरे विश्व ने संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले से देश के लोगों का खून खौल रहा है। पीड़ित परिजनों को न्याय जरूर मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात के पिछले एपिसोड में पीएम ने परीक्षा देकर लोटे छात्रों के लिए नए टास्क दिए थे। उन्होंने कहा था कि इस बार गर्मियों में उन्हें कुछ नया सीखना है और उसको #Myholiday के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट करना है। 22 भाषाओं में ब्रॉडकास्ट होता है मन की बात कार्यक्रम मन की बात को 22 भारतीय भाषाओं और 29 बोलियों के अलावा 11 विदेशी भाषाओं में भी ब्रॉडकॉस्ट किया जाता है। इनमें फ्रेंच, चीनी, इंडोनेशियाई, तिब्बती, बर्मी, बलूची, अरबी, पश्तू, फारसी, दारी और स्वाहिली शामिल हैं। मन की बात की ब्रॉडकास्टिंग आकाशवाणी के 500 से अधिक ब्रॉडकास्टिंग सेंटर द्वारा किया जाता है। पहले एपिसोड की टाइम लिमिट 14 मिनट थी। जून 2015 में इसे बढ़ाकर 30 मिनट कर दिया गया था। मन की बात’ पिछले तीन एपिसोड की खबरें पढ़ें… 120वें एपिसोड में पानी बचाने की अपील की थी पीएम मोदी ने 120वें एपिसोड में देशवासियों को चैत्र नवरात्र, गुड़ी पाड़वा और हिंदू नववर्ष की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि गर्मी शुरू होते ही शहरों और गांवों में पानी बचाने की तैयारियां तेज हो गई हैं। देशभर में कृत्रिम तालाब, चेक डैम, बोरवेल रीचार्ज और कम्युनिटी सोक पिट का निर्माण किया जा रहा है।​​​​​​ पढ़ें पूरी खबर… 119वें एपिसोड में क्रिकेट और स्पेस की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 119वें एपिसोड में स्पेस सेक्टर और नारी शक्ति का जिक्र किया। उन्होंने कहा- हर तरफ चैंपियंस ट्रॉफी और क्रिकेट का माहौल है। क्रिकेट में सेंचुरी का महत्व क्या होता है ये सब जानते हैं। भारत ने स्पेस में जो सेंचुरी लगाई है, उसका अलग महत्व है। इसरो की सफलता का दायरा बढ़ा है। पूरी खबर पढ़ें… 118वें एपिसोड में महाकुंभ और सामाजिक एकता का जिक्र 118वां एपिसोड 19 फरवरी को प्रसारित हुआ था। तब पीएम ने महाकुंभ और रामलला का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि महाकुंभ में दुनियाभर से लोग आते हैं। यह सामाजिक समरसता का ऐसा संगम है, जहां जात-पात, ऊंच-नीच से परे लोग एक-दूसरे के साथ पवित्र स्नान करते हैं। पूरी खबर पढ़ें…