मोदी से हाथ मिलाया तो कनाडाई सांसद का टिकट कटा:चंद्र आर्य से नाराज थी ट्रूडो की पार्टी, पिछले साल भारत दौरे पर आए थे

कनाडा की लिबरल पार्टी ने भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य को पार्टी लीडरशिप की दावेदारी से बाहर कर दिया है। इसके साथ ही नेपियन से भी उनका टिकट काट दिया है। यह फैसला उन पर भारत सरकार से करीबी संबंध रखने के आरोपों के बीच आया है। चंद्रा पिछले साल भारत दौरे पर आए थे और पीएम मोदी से मिले थे। हालांकि कनाडा सरकार और लिबरल पार्टी ने चंद्र आर्य के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की कोई वजह नहीं बताई है। द ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट ने सूत्रों के हवाले से बताया कि चंद्र आर्य ने इस दौरे के बारे में कनाडा की सरकार को सूचित नहीं किया था। जबकि उस समय भारत और कनाडा के संबंध बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे थे। सूत्रों के मुताबिक कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) ने भारत सरकार के साथ आर्य के कथित करीबी संबंधों को लेकर कनाडा सरकार को जानकारी दी थी। चंद्र आर्य ने 22 जून 2024 को कनाडा की संसद में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की याद में मौन रखने पर ट्रूडो सरकार की आलोचना भी की थी। आर्य बोले- खालिस्तानियों का विरोध करने से टिकट कटा इस बीच भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि उनका टिकट भारत से करीबी संबंध रखने की वजह से नहीं कटा है। उन्होंने कहा कि वे एक सांसद होने के नाते कई राजनयिकों और राष्ट्र प्रमुखों से मिलते रहे हैं। ऐसी किसी भी मुलाकात के लिए उन्होंने सरकार से कभी भी अनुमति नहीं ली। आर्य ने कहा कि लिबरल पार्टी की लीडरशिप और नेपियन से उनका हटाया जाने की वजह उनका खालिस्तानी आंदोलन का लगातार विरोध करना है। आर्य कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ लगातार आवाज उठाते रहे हैं। पन्नू ने ट्रूडो से आर्य पर एक्शन लेने को कहा था आर्य ने कनाडा में खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ जोरदार तरीके से आवाज उठाई है। आर्य की आलोचना से चिढ़े खालिस्तानी समूहों ने अतीत में उन्हें निशाना बनाया है। अक्टूबर में अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से आर्य के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया था। इससे पहले आर्य ने फैसले की जानकारी देते हुए एक्स पर लिखा, ‘मुझे लिबरल पार्टी ने सूचित किया है कि नेपियन में आगामी संघीय चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया है।’ यह खबर निराशाजनक है। लेकिन इससे नेपियन के लोगों की सेवा करने का गौरव कम नहीं हो जाएगा। इससे पहले चंद्र आर्य ने 9 जनवरी को अपनी उम्मीदवारी का ऐलान किया था। लेकिन तब भी पार्टी ने उनकी उम्मीदवारी कैंसिल कर दी थी। 2006 में कर्नाटक से कनाडा गए चंद्र आर्य मूल रूप से कर्नाटक के तुमकुरु के सिरा तालुक के निवासी हैं। वे 2006 में कनाडा जाकर बस गए थे। आर्य ने धारवाड़ के कौसली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से MBA किया है। कनाडा पहुंचने के बाद उन्होंने ओटावा में निवेश सलाहकार के रूप में काम शुरू किया और बाद में एक रक्षा कंपनी में छह साल तक कार्यकारी के रूप में कार्य किया। राजनीति में आने से पहले वे इंडो-कनाडा ओटावा बिजनेस चैंबर के अध्यक्ष रहे। 2015 में उन्होंने पहली बार फेडरल इलेक्शन लड़ा था और चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। 2019 और 2021 में वे फिर सांसद बने। आर्य अक्सर खालिस्तानी और चरमपंथी गतिविधियों की आलोचना करते रहे हैं। वे हिंदू मंदिरों पर हमलों और धार्मिक उन्माद को लेकर चिंता जता चुके हैं। इस वजह से उन्हें विवादों का भी सामना करना पड़ा है। अक्टूबर में अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने तत्कालीन प्रधानमंत्री ट्रूडो से आर्य के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की थी।