(विमल कुमार) शिवम मावी को जब जूनियर क्रिकेट में दिल्ली से मौका नहीं मिला तो उन्होंने उप्र का रुख किया। इसके बाद वे 2018 में अंडर-19 वर्ल्ड कप के हीरो बन गए। उन्होंने लगातार तीन मैच में विकेट लिए। 21 साल के इस युवा तेज गेंदबाज के प्रदर्शन से प्रभावित होकर कोलकाता नाइटराइडर्स ने 2018 में उन्हें 3 करोड़ रु. में खरीदा। मावी ने 2018 में 8 मैच खेले। लेकिन चोट के कारण 2019 में कोई मैच नहीं खेल सके। इस बार केकेआर को युवा गेंदबाज से बड़ी उम्मीदें हैं। मावी से बातचीत के मुख्य अंश…
ऑलराउंडर टी20 में बेहद अहम होते हैं, ऐसे में आपकी सोच क्या रहती है?
- जब मैं गेंदबाजी करता हूं तो सोच बिलकुल साफ रहती है कि स्विंग गेंदबाज होने के नाते मैं नई गेंद से अपनी टीम को शुरुआती विकेट दिला सकूं। बल्लेबाजी करने के दौरान मेरा नजरिया थोड़ा अलग हो जाता है। मुझे अमूमन 6 या 7 नंबर पर बैटिंग का मौका मिलता है। इस दौरान मेरे पास 6-7 गेंदें ही होती हैं खेलने के लिए। टीम को इतने छोटे से समय में 1 चौके और 1 छक्के की उम्मीद तो रहती है। मैं इसी को ध्यान में रखते हुए बल्लेबाजी का अभ्यास करता हूं। मैं ये भी सोचता हूं कि कैसे मुश्किल हालात और मौके की नजाकत को देखते हुए बल्लेबाजी कर टीम को जीत दिला सकूं।
क्या आपको अपने धुरंधर साथी आंद्रे रसेल से किसी तरह की मदद मिली है?
- बिलकुल मिली है। पहली बार मैं जब रसेल से मिला तो काफी प्रभावित हुआ, जिस ताबड़तोड़ अंदाज में वो बल्ला चलाते हैं। हार्ड हिटिंग के संदर्भ में मेरी उनसे काफी बात हुई और मुझे लगता है कि मेरे खेल में उसके बाद से निखार आया है।
आपके अंडर-19 वर्ल्ड कप के साथी कमलेश नागरकोटी भी केकेआर का हिस्सा हैं। आप दोनों क्या वैसा ही कमाल कोलकाता के लिए इस सीजन में दिखा सकते हैं?
- निश्चित तौर पर। मुझे काफी मजा आएगा, अगर एक छोर से कमलेश गेंदबाजी कर रहा हो और दूसरे छोर पर ये जिम्मेदारी मेरे कंधों पर हो। बतौर गेंदबाजी जोड़ीदार हम अंडर-19 दिनों जैसा खेल आईपीएल में भी दोहरा सकते हैं।
आपने काफी वक्त उप्र के धुरंधर गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार के साथ भी बिताया है। उनसे आपको क्या सीखने को मिला है?
- भुवी भइया से मुझे ही नहीं हर युवा गेंदबाज को सीखने को मिलता है। उन्होंने मुझे ये बताया है कि टी20 फॉर्मेंट में हर मौके पर अलग-अलग किस्म की चुनौतियां होती है और खुद को उसमें ढालना पड़ता है। मेरा मानना है कि जैसे-जैसे आप क्रिकेट के बेहतर स्तर पर खेलते हैं, वैसे-वैसे आपके कौशल और कला से ज्यादा ये बात मायने रखने लगती है कि आपकी सोच कैसी है। आप अपनी सोच को कैसे बदलते हैं।
आप पिछले 2 साल में फिटनेस को लेकर जूझते रहे हैं। आपको किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ा?
- फिटनेस के मामले में केकेआर के कोच अभिषेक नायर और ओंकार साल्वी ने काफी मदद की है। मेरे निजी कोच फूलचंद जी का भी मैं शुक्रगुजार हूं। इन लोगों ने मुझे ये बताया कि कैसे अपनी फिटनेस का ध्यान रखना है और वापसी करनी है। और ऐसा करने के दौरान मेरी गेंदबाजी पर किसी तरह का असर ना पड़े।
ऑलराउंडर के तौर पर आपके हीरो कौन रहे हैं?
- टेस्ट क्रिकेट में तो द. अफ्रीका के जैक कैलिस से काफी प्रभावित रहा हूं। वनडे क्रिकेट में कपिल देव जी का बहुत बड़ा फैन रहा हूं। और बात जब टी20 की आती है तो आंद्रे रसेल मेरे पसंदीदा ऑलराउंडर हैं।