झारखंड की राजधानी रांची में पुलिसवालों ने सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज कर दिया। सहायक पुलिसकर्मी (एसपीओ) रांची के मोरहाबादी मैदान में पिछले सात दिनों से उन्हें स्थाई करने की मांग कर रहे थे। शुक्रवार को उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आवास घेरने की कोशिश की। बैरिकेडिंग तोड़ने के बाद वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। इस दौरान कई सहायक पुलिसकर्मी घायल भी हो गए।
चीनी सामान को अलविदा कहकर तैयार कर लिया उसका विकल्प

टोंक में रहने वाले कल्याण सड़कों पर खिलौने बेचने का काम करते हैं। हर दिन वो 5 से 7 खिलौने बेच देते हैं, जिनसे उन्हें रोजाना करीब 500 रुपए की कमाई होती है। कल्याण बताते हैं कि पहले वो चीन से आने वाले प्लास्टिक के खिलौने बेचा करते थे, लेकिन अब लोकल में ही बनने वाले लकड़ी के खिलौने बेचते हैं। ये खिलौने देखने में बिल्कुल प्लास्टिक की तरह ही होते हैं। प्रदूषण मुक्त और स्वदेशी होना इनकी खासियत है।
मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर से लेकर आबूधाबी की शेख जायद मस्जिद तक में यहां के पत्थर लगे

नगौर जिले के पड़ाकुआं और डूंगरी की मार्बल खदानें दुनिया में प्रसिद्ध हैं। इन्हीं खानों के मार्बल से ताजमहल, देलवाड़ा के जैन मंदिर, मथुरा का श्रीकृष्ण मंदिर, वृंदावन का इस्कॉन मंदिर, जयपुर का बिड़ला मंदिर, कोलकाता का विक्टोरिया मेमोरियल और आबूधाबी की शेख जायद मस्जिद बनी है। इसके अलावा मुकेश अंबानी का पूजा घर और लक्ष्मी निवास मित्तल के घर में भी यहीं का मार्बल लगा है।
पार्क में बिखरी पड़ीं हैं 1857 की लड़ाई में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले शहीदों की मूर्तियां

देश के लिए अपनी जान तक न्यौछावर करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को सरकारें कितनी तवज्जो देती हैं ये इस फोटो से जाहिर होता है। झारखंड के पलामू में रहने वाले दो भाई शहीद नीलांबर और पीतांबर ने 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी थी। उनके सम्मान में मोरहाबादी के ऑक्सीजन पार्क में साढ़े तीन साल पहले दोनों की प्रतिमा लगाई गई थी, लेकिन पिछले कई दिनों से दोनों की मूर्तियां पार्क में टूटी पड़ी हुई हैं, लेकिन सरकार से लेकर प्रशासन तक किसी ने इनकी सुध नहीं ली।
तीन राज्यों को क्रॉस करते हुए 150 किलोमीटर का सफर करती है अनास नदी

इस खूबसूरत इलाके क्षेत्र का नाम हेजामाल है। और फोटो में दिख रही नदी का नाम अनास। यह नदी मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के आंबल गांव से निकलकर गुजरात की सीमा से होते हुए राजस्थान के बांसवाड़ा जिले गांगड़तलाई में प्रवेश करती है। मानसून में य हा की पहाड़ियां हरी-भरी हो जाती हैं, जिससे यह जगह काफी आकर्षक लगने लगती है।
झलाना के जंगली रास्तों पर सैर करने निकली मादा तेंदुआ फ्लोरा

पर्यटक और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर के लिए यह किसी लॉटरी से कम नहीं है। बरसात के दौरान जहां घने भरपूर जंगल में साइटिंग ही सौभाग्य से होती हो, वहां लेपर्ड जैसे शर्मिले वन्यजीव का खुले रास्ते पर दिखना झालाना में ही संभव है। शुक्रवार शाम को असली और नकली तेंदुए को साथ कैप्चर किया वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर सुरेंद्र चौहान ने। सुंदर फ्रेम में झालाना के शिकार ओदी गेट पर मादा लेपर्ड ‘फ्लोरा’ है।