राजस्थान में सियासी घटनाक्रम का शनिवार को 16वां दिन था। शाम को भाजपा के 13 सदस्यों का दल राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला। हालांकि, बताया गया कि यह डेलिगेशन राज्य में कोरोना के हालात पर चर्चा करने के लिए पहुंचा था।
इस मुलाकात के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा- राज्य के मुखिया ये चेतावनी देते हैं कि 8 करोड़ जनता राज्यपाल को घेर लेगी। यह गलत है। यह बयान उन्हें (मुख्यमंत्री गहलोत को) आईपीसी की धारा 124 के तहत सजा दिला सकता है।
इस बीच, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि गहलोत सरकार 31 जुलाई को विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती है। इसके लिए नया ड्रॉफ्ट भी तैयार किया गया है, जो जल्द ही राज्यपाल को भेजा जाएगा। वहीं, कांग्रेस ने 27 जुलाई को देशभर में राजभवन का घेराव करेगी। इस अभियान को ‘प्रजातंत्र के लिए बोलो’ नाम दिया गया है।
कटारिया ने कहा- गहलोत को इस्तीफा दे देना चाहिए
भाजपा के दल ने मुख्यमंत्री के बयान के संबंध में राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा है। उधर, नेता विपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य के मुखिया हैं। वे खुद कह रहे हैं कि कानून-व्यवस्था की स्थिति के उल्लंघन के लिए वे जिम्मेदार नहीं होंगे। वे जिम्मेदार नहीं होंगे, तो कौन होगा? उन्हें ऐसी भाषा का उपयोग करने के लिए इस्तीफा देना चाहिए।
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक में फिर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा, ‘सरकार गिराने की भाजपा की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। जरूरत पड़ी तो राष्ट्रपति के पास जाएंगे। अगर इससे भी बात नहीं बनी तो हम प्रधानमंत्री आवास के सामने प्रदर्शन करेंगे।’ उनकी इस बात का विधायकों ने हाथ उठाकर समर्थन किया।
सीएम गहलोत के राज्यपाल से मिलने की चर्चा रही
दिनभर चर्चा रही कि मुख्यमंत्री गहलोत भी आज राज्यपाल से मिलेंगे। इस दौरान वे विधानसभा सत्र के लिए नया प्रस्ताव देंगे और राज्यपाल की 6 आपत्तियों का जवाब देंगे। दोनों के बीच शाम 4 बजे मिलने की खबर आई थी। हालांकि, रात तक गहलोत राजभवन नहीं पहुंचे। उन्होंने सुबह ही राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा था।
दरअसल, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच सत्र बुलाने को लेकर तकरार बढ़ गई है। मुख्यमंत्री सोमवार को सत्र बुलाना चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल ने कोरोना महामारी का हवाला देकर इनकार कर दिया था। कल रात मुख्यमंत्री को भेजे लेटर में सत्र को लेकर आपत्तियां जताई थीं।
कल रात तीन घंटे कैबिनेट बैठक की थी
मुख्यमंत्री गहलोत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर अड़े हैं। उन्होंने शुक्रवार देर रात 1 बजे तक कैबिनेट की बैठक की। तीन घंटे चली बैठक में राज्यपाल कलराज मिश्र की आपत्तियों पर चर्चा की गई। क्या फैसला लिया गया। इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। इससे पहले दोपहर को मुख्यमंत्री और विधायकों ने 5 घंटे राजभवन में धरना दिया था। 27 साल पहले मुख्यमंत्री भेरौसिंह शेखावत ने ऐसा किया था। 1993 में वे राजभवन में धरने पर बैठ गए थे। राज्यपाल ने 6 आपत्तियां कीं- पूरी खबर पढ़ें
दिनभर के अपडेट्स
- भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि राजभवन में कांग्रेस सरकार ने जो किया वह राजस्थान की राजनीति का निचला स्तर है। यहां कोई शासन नहीं है। जो सत्ता में हैं वे हफ्तों से फाइव स्टार होटल में ठहरे हैं। जनता कई मुद्दों की वजह से परेशान है।
- कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘राजस्थान में जनता की निर्वाचित सरकार धरने पर बैठी है, बीजेपी जनमत की हत्या में मगन है।’
राजस्थान में-
– जनता की निर्वाचित सरकार धरने पर बैठी है,
– बीजेपी जनमत की हत्या में मगन है,
– प्रजातंत्र बेड़ियों में है,
और
देश खतरे में है!संविधान और लोकतंत्र की रक्षा हम करेंगे।
संघर्ष की इस आंधी के बाद नया दृष्य आएगा,
मूल्यों और नीति का झंडा फिर से लहराएगा।#Rajasthan— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 25, 2020
- मुख्यमंत्री के बेटे वैभव गहलोत ने जयपुर में कहा, ‘जिस सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए शानदार काम किया, उस सरकार को केंद्र गिराना चाहता है।’
- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि कांग्रेस को अपने विधायकों का साथ छोड़ने का डर है।
हा हा हा हा फेयरमोन्ट में Three Layer Security और बाडेबंदी से MLAभागने का भय और अब पता चला कि राजभवन के धरने से भी भागने के खतरे के input के चलते जल्दी उठा दिया; टैंट वाले ने भी मना कर दिया कि पहले बताओ किराया कौन देगा।@BJP4Rajasthan @BJP4India#RajasthanPoliticalCrises
— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) July 25, 2020
- कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा राज्य में लोकतंत्र की हत्या कर रही है। यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जयपुर में भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन किया।
- केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मौजूदा हालात पर ट्वीट किया, ‘जहां राज्यपाल को मुख्यमंत्री धमका कर असुरक्षित महसूस करवाए, वहां चोरी, डकैती, बलात्कार, हत्या और हिंसक झड़पों से त्रस्त राजस्थानवासियों को मुख्यमंत्री के आगे अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगाना बेकार है।’
5 सवालों से समझिए… राजस्थान की सियासत की पूरी तस्वीर
1. हाईकोर्ट के फैसले का पायलट खेमे पर क्या असर होगा?
जवाब: हाईकोर्ट ने 19 विधायकों को नोटिस मामले में यथास्थिति को कहा है। मायने यह कि अभी उनकी सदस्यता रद्द नहीं होगी। आदेश का सोमवार को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू करेगा।
2. क्या गहलोत सरकार के पास बहुमत है?
जवाब: गहलोत सरकार ने राजभवन ले जाकर विधायकों की परेड करवाई। इसमें 102 का आंकड़ा दिया है। इनमें कांग्रेस के 88, निर्दलीय 10, बीटीपी के 2, सीपीएम और आरएलडी का एक-एक विधायक है। यदि इतने विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार का साथ देते हैं तो सरकार बहुमत हासिल कर लेगी। यदि दो-पांच विधायक भी इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में है।
3. क्या राज्यपाल सोमवार को विशेष सत्र बुलाएंगे?
जवाब: राज्यपाल द्वारा शुक्रवार रात कैबिनेट से 6 सवाल पूछने, कोरोना का हवाला देने तथा इतनी जल्दबाजी में विशेष सत्र बुलाने जैसे सवालों पर जवाब मांगने से लगता है कि राज्यपाल सोमवार को या इमरजेंसी में सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देंगे। यदि कैबिनेट ने दूसरी बार राजभवन काे प्रस्ताव भेजा तो नियमानुसार राज्यपाल मना भी नहीं कर सकते। लेकिन तुरंत सत्र की गुंजाइश नहीं लग रही है।
4. आखिर सत्र क्यों बुलाना चाहते हैं गहलोत?
जवाब: सत्र बुलाना तो बहाना है। मंशा बिल लाकर व्हिप जारी करना है। जो बागी बिल के खिलाफ वोट देंगे उनकी सदस्यता रद्द होगी। इसीलिए राज्यपाल को जो पत्र दिया, उसमें फ्लोर टेस्ट का उल्लेख नहीं। 19 की विधायकी गई तो बहुमत को 92 विधायक चाहिए जो सरकार के पास हैं।
5. भाजपा की सत्र बुलाने में रुचि क्यों नहीं है?
जवाब: भाजपा नहीं चाहती कि सरकार सत्र बुलाकर पायलट गुट पर एक्शन ले। वह चाहती है कि 19 विधायकों की सदस्यता बची रहे और जरूरत पड़े तो सरकार को हिला सकें।
सियासी संग्राम से पहले विधानसभा में स्थिति
107 कांग्रेस
…और अब ये हालात
गहलोत के पक्ष में: 88 कांग्रेस, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 1 आरएलडी, 1 माकपा यानी कुल 102
पायलट गुट: 19 बागी कांग्रेस, 3 निर्दलीय। कुल 22
भाजपा प्लस: 72 भाजपा, 3 आरएलपी। कुल 75
माकपा 1 : गिरधारी मईया फिलहाल तटस्थ।
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3. राज्यपाल ने गहलोत से पूछा- क्या विधायकों का राजभवन में धरना गलत ट्रेंड नहीं?
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