राम नवमी 6 अप्रैल को:श्रीराम की पूजा के साथ ही रामायण की सीख को जीवन में उतारेंगे तो सभी परेशानियां हो सकती हैं दूर

रविवार, 6 अप्रैल को श्रीराम का प्रकट उत्सव यानी राम नवमी है। इस पर्व पर भगवान राम की विशेष पूजा करने के साथ ही रामायण का पाठ करने की परंपरा है। पूरे रामायण ग्रंथ का पाठ एक दिन में करना मुश्किल है, इसलिए रामायण के सार का पाठ कर सकते हैं, रामायण के छोटे-छोटे किस्सों का पाठ कर सकते हैं। राम जी की पूजा के साथ रामायण की सीख को जीवन में उतार लेंगे तो कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। यहां जानिए रामायण का एक ऐसा किस्सा, जिसमें ये संदेश दिया गया है कि कभी भी अपने जीवन साथी की सलाह का अनादर नहीं करना चाहिए। रामायण में रावण सीता का हरण करके देवी को लंका ले गया था। रावण ने सीता को अशोक वाटिका में कैद कर रखा। हनुमान जी ने लंका में देवी को खोज लिया, इसके बाद राम वानर सेना के साथ लंका पहुंच गए थे। जब मंदोदरी को मालूम हुआ कि राम पूरी वानर सेना के साथ लंका तक आ गए हैं तो मंदोदरी रावण के जीवन को लेकर डरने लगी थीं। वो अक्सर अपने दुर्भाग्य पर रोती थीं। मंदोदरी को दुखी देखकर रावण ने रानी से पूछा कि तुम्हारी आंखों में आंसू क्यों हैं? मंदोदरी ने हाथ जोड़कर कहा कि मैंने आपसे पहले भी निवेदन किया है और अब फिर से आपको सलाह दे रही हूं कि राम कोई साधारण मानव नहीं हैं, उनसे दुश्मनी न करें। सीता को सकुशल लौटा दीजिए। इसी में सबकी भलाई है। रावण ने मंदोदरी की ये सलाह नहीं मानी। बल्कि, उसका अपमान करते हुए कहता है कि तुम औरतों में आठ अवगुण होते हैं। ये आठ अवगुण हैं – साहस, झूठ, चंचलता, छल, डरपोकपन, मूर्खता, अपवित्रता और निर्दयता। रावण की बात सुनकर मंदोदरी कहती हैं कि स्त्रियों का परिहास करके आप कोई बुद्धिमानी नहीं कर रहे हैं। राम लगातार आप पर विजय प्राप्त कर रहे हैं। वे समुद्र पार करके पूरी वानर सेना के साथ लंका तक आ गए। ये कोई सामान्य बात नहीं है। आप ये बात कब समझेंगे? रावण कहता है कि तुमने ये बड़ी गहरी बात कही है। ऐसा कहकर तुम मेरे ही बल का बखान कर रही हो, मेरा ऐसा प्रभाव है कि जिसे सब भगवान मान रहे हैं वो राम मुझसे लड़ने के लिए वानरों की सेना लेकर मेरे नगर तक आया है। मंदोदरी, मैं तुझे अब मान गया। ऐसा कहकर रावण जोर से हंसा और अपने दरबार की ओर चला गया। मंदोदरी ने रावण को जाता हुआ देखकर सोचा कि इनका ये अहंकार कहीं इनके प्राण न ले ले। अंत में हुआ भी यही। रावण का अभिमान उसके लिए घातक साबित हुआ। पत्नी की अच्छी सलाह का मजाक उड़ाना उसे भारी पड़ गया, राम के हाथों रावण के साथ ही उसके पूरे वंश का नाश हो गया। रामायण की सीख पारिवारिक जीवन में पति-पत्नी एक-दूसरे को सलाह देते हैं। कभी पति सही हो सकता है, कभी पत्नी सही हो सकती है। सलाह नहीं मानी जाती है तो वह अपनी जगह है, लेकिन कभी भी एक-दूसरे की सलाह का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। अगर जीवन साथी की सलाह सही है तो उसे जरूर अपनाएं। ऐसा करने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी।