श्रीरामचरित मानस का रावण और मारीच से जुड़ा प्रसंग है। शूर्पणखा से सीता की सुंदरता के बारे में सुनकर रावण के मन में सीता का हरण करने का विचार आया। सीता हरण के लिए रावण लंका से निकलकर अपने मामा मारीच के पास पहुंचा। रावण ने मारीच को देखते ही झुककर प्रणाम किया।
मारीच ने रावण को अपने सामने झुका हुआ देखा तो वह हैरान हो गया और सोचने लगा कि रावण मेरे सामने झुका है, मतलब मेरे लिए कोई संकट आने वाला है। रावण को झुका हुआ देखकर मारीच सोचता है कि किसी नीच व्यक्ति का नमन करना, प्रणाम करना हमारे लिए दुखदाई होता है। मारीच रावण का मामा था, रावण से उम्र में बड़ा था, लेकिन रावण अभिमानी था, वह कभी भी किसी के सामने झुकता नहीं था। मारीच ये बात जानता था। जब रावण मारीच के सामने झुका तो वह समझ गया कि कोई दिक्कत आने वाली है। डरते हुए मारीच ने भी रावण को प्रणाम किया। मारीच ने सोचा कि जिस प्रकार कोई धनुष झुकता है तो वह बाण से किसी के प्राण हर लेता है। कोई सांप झुकता है तो वह डंसने के लिए झुकता है। जैसे कोई बिल्ली झुकती है तो वह अपने शिकार पर झपटने के लिए झुकती है। ठीक इसी प्रकार रावण भी मारीच के सामने झुका था। किसी नीच व्यक्ति की मीठी वाणी भी दुख देने वाली होती है। यह ठीक वैसा ही है जैसे बिना मौसम का कोई फल। मारीच अब समझ चुका था कि उसके साथ कुछ बुरा होने वाला है। रावण ने मारीच को सीता हर की योजना बताई। मारीच को न चाहते हुए भी रावण का साथ देना पड़ा, बाद में मारीच राम के बाण से मारा गया।
मारीच ने रावण को अपने सामने झुका हुआ देखा तो वह हैरान हो गया और सोचने लगा कि रावण मेरे सामने झुका है, मतलब मेरे लिए कोई संकट आने वाला है। रावण को झुका हुआ देखकर मारीच सोचता है कि किसी नीच व्यक्ति का नमन करना, प्रणाम करना हमारे लिए दुखदाई होता है। मारीच रावण का मामा था, रावण से उम्र में बड़ा था, लेकिन रावण अभिमानी था, वह कभी भी किसी के सामने झुकता नहीं था। मारीच ये बात जानता था। जब रावण मारीच के सामने झुका तो वह समझ गया कि कोई दिक्कत आने वाली है। डरते हुए मारीच ने भी रावण को प्रणाम किया। मारीच ने सोचा कि जिस प्रकार कोई धनुष झुकता है तो वह बाण से किसी के प्राण हर लेता है। कोई सांप झुकता है तो वह डंसने के लिए झुकता है। जैसे कोई बिल्ली झुकती है तो वह अपने शिकार पर झपटने के लिए झुकती है। ठीक इसी प्रकार रावण भी मारीच के सामने झुका था। किसी नीच व्यक्ति की मीठी वाणी भी दुख देने वाली होती है। यह ठीक वैसा ही है जैसे बिना मौसम का कोई फल। मारीच अब समझ चुका था कि उसके साथ कुछ बुरा होने वाला है। रावण ने मारीच को सीता हर की योजना बताई। मारीच को न चाहते हुए भी रावण का साथ देना पड़ा, बाद में मारीच राम के बाण से मारा गया।