रिलेशनशिप- इस दशहरा रावण के साथ जलाएं ये 10 अवगुण:अहंकार, क्रोध, आलस और डर, ये सब प्रोफेशनल सफलता की राह में बाधक

शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद दसवें दिन दशहरे का त्योहार होता है। इसे पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को लाेग लंका के राजा रावण पर भगवान राम की जीत के तौर पर मनाते हैं। इस शुभ दिन को मनाने के लिए हर साल दस सिरों वाले रावण को बहुत उत्साह के साथ जलाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। लेकिन जरा सोचकर देखिए, हम हजारों साल पहले किए गए गलत कामों के लिए 10 सिर वाले रावण को जलाने में तो बहुत इंटरेस्ट दिखाते हैं, लेकिन क्या हम अपने अंदर के रावण को, उसकी बुराइयों को खत्म करने के बारे में कभी सोचते हैं। रावण एक प्रतीक है। अहंकार का, ताकत के मद का, सत्ता के लोभ का प्रतीक। ऐसी बहुत सी चीजें हैं, जिन्हें हमें अपने भीतर से भी खत्म करने की जरूरत है। तो आज रिलेशनशिप कॉलम में हम उन 10 खराब आदतों के बारे में बात करेंगे, जिन्हें खत्म करके हम अपने अंदर के रावण को जला सकते हैं। ये आदतें हमारी सफलता की राह में बाधक हैं। आइए पहले ग्राफिक के जरिए जानते हैं कि इस दशहरा रावण के पुतले के साथ हमें अपने अंदर से किन दस बुराइयों को जलाकर खत्म करने की कोशिश करनी है। कुल मिलाकर इस दशहरे पर हम बहाने बनाना बंद करें और रावण के साथ-साथ इन दस चीजों को भी अपने अंदर से जला दें, जो हमारे करियर और निजी जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। जो हमारी प्रोफेशनल लाइफ काे प्रभावित करती हैं। तो आइए इन अवगुणों के बारे में विस्तार से बात करते हैं। ईर्ष्या-द्वेष की भावना काे खत्म करें हर व्यक्ति को सफलता हासिल करने के लिए अलग-अलग तरह से संघर्ष करना पड़ता है। यह कभी भी एक जैसा नहीं होता। हम हमेशा इस बात पर नजर रखते हैं कि दूसरों के पास क्या है, जो हमारे पास नहीं है और यही भावना ईर्ष्या को जन्म देती है। यह भावना इनसिक्योरिटी और कॉम्पिटिशन से उपजती है। जीवन ने हमें जो भी दिया है, उसके लिए आभारी होना महत्वपूर्ण है। जो हमारे पास नहीं है, उस पर ध्यान देने के बजाय जो हमारे पास है, उस पर ध्यान देकर हम उसका बेहतरीन तरीके से उपयोग कर सकते हैं। अहंकार न करें इस दुनिया में हर कोई जीवन में सफल होने के लिए लड़ाई लड़ रहा है। कभी-कभी सफलता जीवन में श्रेष्ठता की भावना को जन्म देती है। यही अहंकार है। अहंकारी होने और आत्मविश्वासी होने के बीच एक महीन रेखा है। अहंकार ग्रोथ और लर्निंग को रोकता है। यह हमें हेल्दी रिलेशन बनाने से भी रोकता है। करुणा और सहानुभूति का अभ्यास करके अहंकार की भावना को हराया जा सकता है। एक्सेप्टेंस और सेल्फ-इम्प्रूवमेंट पर ध्यान केंद्रित करने से यह और आसान हो जाता है। क्रोध और घृणा को खुद से दूर रखें हम सभी क्रोध और घृणा से परिचित हैं। यह कहा जा सकता है कि क्रोध और घृणा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। क्रोध घृणा का कारण बनता है और घृणा क्रोध को और बढ़ाती है। क्रोध वास्तव में एक अच्छे रिश्ते को खराब कर सकता है और ये पसर्नल ग्रोथ में भी बाधक है। क्रोध पर आसानी से काबू नहीं पाया जा सकता है। हालांकि ये नियमित अभ्यास से संभव है। क्रोध आने पर थोड़ी देर तक शांत रहने की कोशिश करें। आवेग और लालच दोनों हैं हानिकारक आवेग एक ऐसी बुराई है, जो अक्सर पकड़ में नहीं आती। बिना सोचे-समझे प्रतिक्रिया करना, परिणामों की कल्पना किए बिना कार्य करना ही आवेग है। दूसरी ओर लालच एक बुरी बला है। लालच जरूरत और इच्छा से परे है। इन दोनों चीजों को खत्म करके हम एक बेहतर भविष्य की नींव रख सकते हैं। टालमटोल करने की आदत तुरंत छोड़ें क्या आपको कभी किसी काम को शुरू करने में परेशानी हुई है, भले ही आप उसमें माहिर हों? क्या आपने कभी सोचा है कि हम समय का ध्यान क्यों नहीं रख पाते या काम को तब तक क्यों टालते रहते हैं, जब तक कि वह करने या मरने की नौबत न आ जाए? अगर आपका जवाब हां है तो इसका सबसे बड़ा कारण टालमटोल करना ही है। इस आदत को खत्म करके हम किसी भी कार्य को जल्द कर सकते हैं और हर किसी की नजरों में अच्छे बन सकते हैं। निराशा को नजदीक न आने दें जीवन में कई बार ऐसा समय आता है, जब हमें कुछ भी सही नहीं लगता और चीजों को बदलने के लिए अपने अंदर दृढ़ विश्वास भी नहीं दिखाई देता। यही निराशा है। इसे हम निगेटिविटी का दूसरा चेहरा भी कह सकते हैं। जीवन में परिस्थितियां कैसी भी हों, हमें निराश नहीं होना चाहिए। सफल होने के लिए हमें अपने अंदर के इस विकार को खत्म करने की जरूरत है। भ्रम काे दूर करें लोगों या अनुभवों के बारे में पहले से सोची गई धारणाएं जो सच हो भी सकती हैं और नहीं भी, यही भ्रम है। चाहे रिश्ते हों या परिवार, भ्रमपूर्ण मानसिकता हानिकारक हो सकती है। वास्तविकता के संपर्क में रहकर भ्रम से छुटकारा पाया जा सकता है। डर के आगे जीत है डर को अपने ऊपर हावी न होने दें। यह हमें किसी भी काम को करने से रोकता है। अगर डर ने हमारे अंदर घर बना लिया है तो किसी भी काम के प्रयास से पहले ही ये हमें उसे न करने के लिए उकसाता है। इसे हमें अपने अंदर से निकालकर फेंकना होगा। इससे सफलता की राह आसान दिखने लगेगी। आलोचनाएं आपकी राह आसान कर सकती हैं परिचितों-रिश्तेदारों या दोस्तों से मिलने वाली आलोचनाएं आपकी राह आसान कर सकती हैं, लेकिन इसके लिए आपको इसे पॉजिटिव-वे में लेना होगा। हालांकि इस पर गहन अध्ययन की जरूरत है। कुछ आलोचनाएं पॉजिटिव भी होती हैं और कुछ निगेटिव। तो इसे ध्यान में रखते हुए हम अपने आप में बदलाव कर सकते हैं। खुद के लिए समय निकालें इस व्यस्तता भरी जिंदगी में अपने लिए समय निकालना मुश्किल है, लेकिन खुद को प्राथमिकता देना जरूरी है। हर समय काम-काम ही न करते रहें। अपने शौक भी पूरा करें। मूवी देखने जाएं, दोस्तों व परिवार के साथ टूर पर जाएं। फैमिली को भी पर्याप्त समय दें। इससे आपको स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी चीजों से उबरने में मदद मिलगी। नीचे दिए गए ग्राफिक के जरिए जानते हैं कि और वो कौन सी आदतें हैं, जो हमारी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को प्रभावित करती हैं।